Bundo me Chhupa Pyaar - 6 in Hindi Love Stories by Rekha Rani books and stories PDF | बूंदों में छुपा प्यार - 6

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बूंदों में छुपा प्यार - 6

🕊️ भाग 1: सहर की चुप्पी

शहर में सुबह की पहली बारिश थी।  
अदिति खिड़की के पास बैठी थी — वही अदिति जो अब मुस्कुराना भूल चुकी थी।  
उसके हाथ में एक पुराना खत था — जो आरव ने उसे दो साल पहले लिखा था।

> “अगर कभी बारिश में तुम्हें मेरी याद आए… तो समझना मैं वहीं हूँ — तुम्हारे पास।”

अदिति ने खत को सीने से लगाया — और आँखें बंद कर लीं।

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🧳 भाग 2: आरव की वापसी

आरव दो साल बाद भारत लौटा था — लंदन की नौकरी छोड़कर।  
लेकिन वो किसी को बताना नहीं चाहता था।  
उसके पास सिर्फ एक बैग था — और उसमें वही स्केचबुक जिसमें अदिति की तस्वीरें थीं।

वो सीधे उस पुराने कैफे गया — जहाँ वो दोनों पहली बार मिले थे।

> लेकिन कैफे अब बंद हो चुका था।  
> दीवार पर एक नोट था: “प्यार यहाँ अब नहीं रहता।”

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🖼️ भाग 3: अदिति की प्रदर्शनी

अदिति अब एक कलाकार बन चुकी थी — उसकी प्रदर्शनी शहर के सबसे बड़े आर्ट गैलरी में लगी थी।  
हर चित्र में बारिश थी — लेकिन एक चित्र सबसे अलग था।

> एक लड़का और लड़की — एक छतरी के नीचे, लेकिन दोनों भीग रहे थे।

लोगों ने पूछा: “ये कौन हैं?”  
अदिति ने सिर्फ इतना कहा:  
> “वो जो भीगते हैं… वो ही सच्चा प्यार करते हैं।”

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📻 भाग 4: रेडियो पर एक आवाज़

आरव ने एक रात रेडियो चालू किया — और वहाँ अदिति की आवाज़ थी।  
वो एक इंटरव्यू दे रही थी।

> “अगर मुझे दोबारा मौका मिले… तो मैं उस बारिश में वापस जाना चाहूँगी — जहाँ मैंने उसे खोया था।”

आरव की आँखें भर आईं — उसने उसी रात एक खत लिखा।

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✉️ भाग 5: वो खत

> “अदिति,  
> मैं लौटा हूँ — लेकिन इस बार तुम्हें खोने नहीं आया।  
> अगर तुम्हें अब भी बारिश पसंद है… तो कल शाम 6 बजे पुराने स्टेशन पर आना।  
> मैं छतरी नहीं लाऊँगा।”

अदिति ने खत पढ़ा — और कुछ नहीं कहा।  
बस अगले दिन वो स्टेशन पहुँची — बारिश हो रही थी।

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🚉 भाग 6: स्टेशन की मुलाकात

स्टेशन पर आरव खड़ा था — भीगता हुआ, मुस्कुराता हुआ।  
अदिति आई — लेकिन उसके हाथ में छतरी थी।

> “तुमने कहा था छतरी नहीं लाओगे…”  
> “मैंने कहा था… तुम्हारे साथ भीगना चाहता हूँ।”

अदिति ने छतरी फेंक दी — और दोनों भीगते रहे।

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💔 भाग 7: अधूरी बातें

आरव ने कहा:  
> “तुमने मुझे क्यों छोड़ा था?”  
अदिति बोली:  
> “क्योंकि मैं डर गई थी… तुम्हारे प्यार से, अपनी कमज़ोरी से।”

आरव ने उसका हाथ पकड़ा:  
> “अब डरने की ज़रूरत नहीं… अब मैं तुम्हारे साथ हूँ।”

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🎨 भाग 8: एक नई शुरुआत

अदिति ने अपनी अगली प्रदर्शनी की थीम बदली —  
अब हर चित्र में दो लोग थे — साथ भीगते हुए।

> और एक कोने में लिखा था:  
> “बूंदों में छुपा प्यार… अब खुलकर बरसता है।”

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🌈 भाग 9: समापन की बारिश

एक साल बाद — उसी स्टेशन पर, उसी बारिश में —  
आरव और अदिति ने शादी की।

> कोई मंडप नहीं, कोई रस्म नहीं — सिर्फ बारिश, और वो दो दिल।

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🌧️ भाग 10: शादी की तैयारी नहीं, सिर्फ इंतज़ार

अदिति और आरव ने तय किया — कोई मंडप नहीं, कोई पंडित नहीं।  
बस वही स्टेशन, वही दीवार, और वही बारिश।

रीमा ने पूछा:  
> “तुम्हारी शादी में कोई मेहमान नहीं?”  
अदिति मुस्कराई:  
> “होंगे… बादल, बूंदें और वो दीवार जो हमारी कहानी जानती है।”

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🖼️ भाग 11: दीवार की सजावट

अदिति ने स्टेशन की दीवार पर एक नई स्केच बनाई —  
एक लड़की और लड़का, दोनों भीगते हुए, लेकिन उनके ऊपर बादल मुस्कुरा रहे हैं।

नीचे लिखा:  
> “अगर मोहब्बत सच्ची हो… तो बादल भी गवाह बन जाते हैं।”

विराज ने तस्वीर ली — और कहा:  
> “इस बार मैं सिर्फ दर्शक हूँ… लेकिन दिल से।”

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💌 भाग 12: वो वादा

आरव ने अदिति को एक छोटा सा खत दिया —  
> *“मैंने तुम्हें खोया था, फिर पाया… अब तुम्हें कभी जाने नहीं दूँगा।  
> अगर कभी फिर बारिश हो… तो समझना, मैं तुम्हारे साथ हूँ।”*

अदिति ने वो खत अपनी स्केचबुक में चिपका दिया — और लिखा:  
> “अब ये किताब पूरी है।”

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☁️ भाग 13: बादलों की गवाही

शाम को दोनों स्टेशन पहुँचे — बारिश शुरू हो चुकी थी।  
कोई सजावट नहीं, कोई शोर नहीं — सिर्फ बूंदों की आवाज़।

अदिति ने कहा:  
> “क्या तुम तैयार हो?”  
आरव ने जवाब दिया:  
> “मैं तो उसी दिन से तैयार था… जब तुमने पहली बार मेरी तस्वीर ली थी।”

वो दोनों दीवार के सामने खड़े हुए — और एक-दूसरे का हाथ थामा।

तभी एक तेज़ बिजली चमकी — और बादलों ने ज़ोर से गरज कर जैसे अपनी मुहर लगा दी।

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🎨 भाग 14: समापन की स्केच

अदिति ने दीवार पर आखिरी स्केच बनाई —  
एक दिल, जिसमें बारिश की बूंदें गिर रही थीं… और बीच में लिखा था:

> “बूंदों में छुपा प्यार — अब खुलकर बरसता है।”

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Writer: Rekha Rani