Little Chetna in Hindi Love Stories by Abhay Marbate books and stories PDF | छोटी चेतना

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छोटी चेतना

🌸 छोटी चेतना 🌸

राजस्थान के एक छोटे से गाँव "धनपुरा" में चेतना नाम की 12 साल की लड़की रहती थी। उसका चेहरा भले ही साधारण था, मगर उसकी आँखों में सपनों की चमक किसी भी बड़े शहर की लड़कियों से कम नहीं थी। चेतना गरीब किसान की बेटी थी। पिता दिनभर खेतों में मेहनत करते, माँ घर का काम सँभालतीं और साथ में खेतों में भी हाथ बंटातीं।

गाँव में पढ़ाई-लिखाई का ज़्यादा महत्व नहीं था। लड़कियों को बस घर के कामकाज सीखना और शादी करना ही उनकी ज़िंदगी का मकसद समझा जाता था। मगर चेतना अलग थी। उसे किताबों से प्यार था।

वो रोज़ स्कूल जाने के लिए 4 किलोमीटर पैदल चलती। अक्सर गर्मी में पैर जल जाते, कभी बारिश में भीग जाती और कभी कड़कड़ाती ठंड में ठिठुरते हुए भी स्कूल पहुँचती। लेकिन उसके चेहरे पर शिकन नहीं आती।


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✨ किताबों का जुनून

स्कूल की लाइब्रेरी छोटी थी, लेकिन चेतना वहाँ हर किताब पढ़ चुकी थी। उसे विज्ञान और गणित बहुत पसंद था। उसके मास्टरजी अक्सर कहते –
“चेतना, तू गाँव की नहीं, शहर की बच्ची लगती है। तुझे बड़ा scientist बनना चाहिए।”

इन बातों से चेतना के मन में और हिम्मत आती। वो सपना देखती कि एक दिन गाँव की लड़कियों को भी लोग सिर्फ चूल्हा-चौका करने वाली नहीं, बल्कि पढ़ी-लिखी, आत्मनिर्भर समझेंगे।


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🌿 गरीबी की मार

लेकिन सपनों के साथ-साथ उसकी ज़िंदगी संघर्षों से भी भरी थी। घर की हालत इतनी खराब थी कि कई बार रात को रोटी भी पूरी नहीं मिलती थी। कई दिन तो चेतना बिना जूते के ही स्कूल जाती। किताबें पुरानी होतीं, कॉपी के पन्ने अधूरे, और पेंसिल आधी टूटी हुई।

एक बार उसके पिताजी ने कहा –
“बिटिया, अब पढ़ाई छोड़ दे। घर की हालत तंग है। तुझे भी माँ की मदद करनी होगी।”

ये सुनकर चेतना की आँखों से आँसू गिर पड़े। उसने हाथ जोड़कर कहा –
“बाबूजी, अगर मैं पढ़ाई छोड़ दूँगी तो हमारी हालत कभी नहीं सुधरेगी। मुझे पढ़ने दो, एक दिन मैं सब बदल दूँगी।”

पिता उसकी जिद देखकर चुप हो गए।


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🕯️ दीये की रोशनी में पढ़ाई

गाँव में बिजली अक्सर चली जाती। चेतना दीये की हल्की रोशनी में पढ़ाई करती। उसकी सहेलियाँ खिलौनों से खेलतीं, लेकिन वो गणित की मुश्किल समस्याएँ हल करती। कभी माँ-पिता उसे देखकर सोचते –
“क्या ये नन्ही सी बच्ची वाकई हमारे लिए कुछ कर पाएगी?”

मगर चेतना के हौसले बुलंद थे।


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🏆 पहला बड़ा मौका

एक दिन गाँव में जिला स्तर की "प्रतिभा खोज परीक्षा" की घोषणा हुई। मास्टरजी ने कहा –
“चेतना, तू जरूर इस परीक्षा में बैठ। अगर तू पास हो गई तो स्कॉलरशिप मिलेगी और पढ़ाई के खर्चे में मदद होगी।”

चेतना ने दिल लगाकर पढ़ाई शुरू की। गाँव के लोग हँसते –
“क्या होगा इस गरीब की बेटी का? शहर के बच्चे आएँगे, वो उनसे कैसे जीतेगी?”

लेकिन चेतना ने सबको गलत साबित कर दिया। परीक्षा में उसने पहला स्थान प्राप्त किया। जिले के कलेक्टर ने खुद उसे मंच पर बुलाकर इनाम दिया।

भीड़ में खड़े उसके पिताजी की आँखों से आँसू बह निकले। उन्होंने मन ही मन सोचा –
“आज मेरी बेटी ने सच में चेतना जगा दी है।”


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🌸 चेतना की सोच

धीरे-धीरे चेतना गाँव की हर लड़की के लिए प्रेरणा बन गई। वो छोटी बच्ची अब बड़ी सोच रखने लगी थी। उसका कहना था –
“अगर लड़कियों को मौका मिले तो वो भी आसमान छू सकती हैं। गरीबी, समाज की बातें और मुश्किलें सिर्फ रास्ते की रुकावट हैं, मंज़िल नहीं।”

उसकी बातें सुनकर गाँव की और लड़कियाँ भी पढ़ाई की ओर आकर्षित होने लगीं।


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🕊️ अंत लेकिन शुरुआत

कुछ सालों बाद चेतना ने पूरे जिले में टॉप किया। अखबारों में उसकी तस्वीर छपी। गाँव के लोग अब उसी बच्ची पर गर्व करने लगे जिस पर कभी ताने कसते थे।

उस दिन उसके पिता ने गर्व से कहा –
“मेरी छोटी चेतना अब सबके लिए बड़ी चेतना बन गई है।”


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✨ सीख

यह कहानी हमें सिखाती है कि हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी सपना सच किया जा सकता है।


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❤️ अंत में ❤️

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