🌸 अनजान रिश्ता 🌸
शहर की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में कुछ रिश्ते ऐसे बन जाते हैं, जिनका कोई नाम नहीं होता, कोई पहचान नहीं होती... पर दिल उन पर अपनी मुहर लगा देता है। यह कहानी भी ऐसे ही एक अनजान रिश्ते की है।
---
पहला पड़ाव
नंदिनी एक साधारण मिडिल क्लास लड़की थी, जो दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रही थी। वो हमेशा अपनी किताबों और दोस्तों की छोटी-छोटी बातों में खुश रहती थी। उसके चेहरे की मासूम मुस्कान ही उसकी सबसे बड़ी पहचान थी।
एक दिन लाइब्रेरी में अचानक उसकी नज़र एक लड़के से मिली। वो वहीँ बैठा था, किताबों में खोया हुआ, जैसे पूरी दुनिया से कटा हुआ हो। नंदिनी को नहीं पता था कि वो कौन है, पर उसकी आंखों में कुछ ऐसा था जिसने उसे पल भर में रोक लिया।
उस लड़के का नाम था अयान।
---
अनजानी मुलाकातें
कभी कैंटीन में, कभी बस स्टॉप पर, तो कभी कॉलेज के गलियारों में... नंदिनी और अयान की मुलाकातें होती रहीं। दोनों ने कभी सीधे-सीधे एक-दूसरे से बात नहीं की, पर आँखें बहुत कुछ कह जाती थीं।
एक दिन बारिश हो रही थी। नंदिनी छतरी भूल गई थी और भीग रही थी। तभी अयान ने चुपचाप अपनी छतरी आगे बढ़ा दी। नंदिनी चौंकी, पर उसकी आंखों में वो खामोश अपनापन था जो किसी रिश्ते से कम नहीं था।
---
रिश्ता... पर बिना नाम का
धीरे-धीरे दोनों की मुलाकातें बढ़ीं। वो दोस्त भी नहीं थे, आशिक भी नहीं, पर एक-दूसरे की फिक्र करते थे। क्लास में अगर नंदिनी की तबीयत खराब होती तो अयान बिना कुछ कहे उसके लिए दवा ले आता। नंदिनी भी हर बार उसके लिए चाय का कप तैयार रख देती।
दोनों का रिश्ता ऐसा था जिसे कोई परिभाषित नहीं कर सकता था।
---
सच्चाई का खुलासा
एक दिन नंदिनी को पता चला कि अयान की ज़िंदगी आसान नहीं है। उसके पापा का देहांत हो चुका था और घर की सारी ज़िम्मेदारी उसी पर थी। वह पढ़ाई के साथ-साथ पार्ट-टाइम जॉब करता था। शायद यही वजह थी कि वो हमेशा चुप और गंभीर रहता था।
नंदिनी ने पहली बार उससे खुलकर बातें कीं। उस दिन अयान ने कहा—
"कभी-कभी कुछ रिश्तों को नाम देना ज़रूरी नहीं होता नंदिनी... क्योंकि नाम देते ही वो रिश्ते बोझ बन जाते हैं।"
यह सुनकर नंदिनी की आँखें भर आईं।
---
जुदाई का वक़्त
कॉलेज का आख़िरी साल था। सब अपने-अपने सपनों की तरफ़ बढ़ रहे थे। नंदिनी को भी विदेश में पढ़ाई का मौका मिल रहा था। अयान ने कभी उसे रोका नहीं, बस हमेशा यही कहा—
"तुम्हें जहां भी जाओ, खुश रहना चाहिए।"
विदाई वाले दिन नंदिनी ने अयान से आखिरी बार पूछा—
"क्या हमारा रिश्ता कभी नाम पाएगा?"
अयान मुस्कुराया और बोला—
"रिश्ते का नाम नहीं, उसकी गहराई मायने रखती है। हमारा रिश्ता हमेशा रहेगा, चाहे दूरी कितनी भी हो।"
---
सालों बाद
पांच साल बाद, नंदिनी इंडिया लौटी। एयरपोर्ट से बाहर निकली तो सबसे पहले जिसकी नज़र सामने पड़ी, वो अयान था। हाथ में वही पुरानी छतरी लिए खड़ा था... जैसे वक्त कभी रुका ही न हो।
नंदिनी की आँखों में आँसू थे। वो दौड़कर अयान से लिपट गई।
वो रिश्ता, जो कभी अनजान था, अब उसकी सबसे बड़ी पहचान बन चुका था।
---
कहानी का संदेश
कुछ रिश्तों को शब्दों की ज़रूरत नहीं होती। उनका एहसास ही काफी होता है। "अनजान रिश्ता" भी ऐसा ही था, जो दूरियों में भी ज़िंदा रहा और वक्त की कसौटी पर और मजबूत हो गया।
---
✨ अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो तो कृपया मुझे Matrubharti पर Follow ज़रूर करें, ताकि और भी दिल को छू लेने वाली कहानियाँ आप तक पहुँच सकें। ✨