Three best forever - 30 in Hindi Comedy stories by Kaju books and stories PDF | थ्री बेस्ट फॉरेवर - 30

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थ्री बेस्ट फॉरेवर - 30

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( >💜💜💜 दोनो सरपट भागते हुए एक रूम से लेकर दूसरे रूम में घुसकर सबको जगाने लगे जिसकी निंद खत्म नहीं होती उन्हे ज्ञानेद्रीय सर की आवज की नकल कर जगाते। अब आगे,,,,

ऐसे ही दोनो ने मिलकर सबको डरा धमकाकर रेडी करवा लिया सभी ज्ञानेद्रीय सर के सामने डरे हुए एक दूसरे से सिमट कर खड़े थे। 
जैसे ज्ञानेद्रीय सर बब्बर शेर हो और वो सब चूहे जिनका शिकार बब्बर शेर यानी ज्ञानेद्रीय सर करेंगे।

"बहुत जल्दी उठकर आ गए तुम सब,,, आराम से शाम सोते रहते मैं आने ही वाला था उठाने" ज्ञानेद्रीय सर अपनी रौबदार आवाज में ताना कसे जो सभी अच्छे से समझ रहें थे।

सभी जबरदस्ती हस्ते हुए "सॉरी सररर,,," 

"छोड़िए सर बच्चे हैं हो जाती हैं गलती" विजेंद्र सर हस्ते हुए बोले। तो 

"बच्चे है तो एक दिन बड़े भी होंगे और बूढ़े भी इनका छोड़िए लेकिन आप हर बार इनकी गलती पर पर्दा डालने की अपनी आदत को सुधार लेंगे तो ज्यादा बेहतर होगा इन बच्चों के लिए" ज्ञानेद्रीय सर भी उन्हे मुंह तोड़ जवाब देते हुए मुस्कुराए। 
तो विजेंद्र सर गुस्से का घुट पीकर रह गए फिर उन्हे इग्नोर कर सभी स्टूडेंट की रुख कर बोले "खैर,,,बच्चो चलो दस मिनट तक रास्ता है सड़क पर बस हमारा इंतजार कर रही होगी" 

"बस भी इंतज़ार करने लगी अब,,,? आप क्या बस के रिश्तेदार हैं जो इंतजार करेगी" ज्ञानेद्रीय सर विजेंद्र सर की खिल्ली उड़ाते हुए बोले। 

तो वही उनकी बात सुन सभी स्टूडेंट की हसी छुट गई तो वही विजेंद्र सर सबको घूरे सब चुप रह गए तभी एका एक विजेंद्र सर भी हस पड़े उन्हे हस्ता देख सभी स्टूडेंट फिर ठहाका लगा दिए। सारे स्टूडेंटस के लिए कोई हैरानी की बात नही थी उनकी नज़र में तो विजेंद्र सर खुश मिसाज आदमी थे लेकिन बहुत कम लोग ही असली सच्चाई जानते थे या फिर कहूं जानने लगे थे। और वो है प्रिंसिबल सर मस्ती और रियू जिनके मन में शक की खाई गहरी होती जा रही है।

प्रिंसिबल सर और मस्ती और रियू विजेंद्र सर को गौर से नोटिस कर रहे थे उनकी हसी एक दम नक़ली थी उस हसी में उनका गुस्सा और आखों में नफरत साफ झलक रहा था । 

रियु मस्ती जब से ट्रिप शुरु हुई तब से हर बार नोटिस कर रहे थे लेकिन प्रिंसिबल सर को तो बहुत पहले से भान हो चुका था। फिर भी चुप थे इसकी एक वजह थी जो जल्दी ही पता चल जाएगा।
दरअसल इनको भी इन दोनों के बीच जंग क्यू छिड़ी हुई है नही पता और जिनसे ये पूछना चाहते हैं वो खुद ही इस बात पर मौन व्रत धारण कर के बैठ जाते है और वो है ज्ञानेद्रीय सर जो अभी भी गुस्से में तमतमाए विजेंद्र सर को नफरत भरी नज़रों से घुरे जा रहे थे।

जंग न छिड़ जाए ये ध्यान में आते ही 
प्रिंसिबल सर बोले "हो गया कोलगेट प्रचार खत्म तो चलो जल्दी जल्दी कदम आगे बढ़ाओ बस छूटी ना तुम सबको यही छोड़कर चला जाऊंगा" 

ये सुन सभी के कदम तेजी से आगे बढने लगे। 

की तभी हुए उत्साह चहकते हुए बोला "कोई बात नहीं सर वैसे भी हमे ये जगह बहुत मस्त लगी" 

राहुल ने भी उसका साथ देते हुए कहा "हा हम यहां और इंजॉय कर लेंगे" 

मस्ती रीयू उन्हे घुरकर साथ में बोली "हा ये जगह तो तुम्हारे परदादा ने खरीद रखी है ना जो मुफ्त में धरना लेकर बैठ जाओगे" 

राहुल प्रिंसिबल सर से बोला "पर सर बोले थे मुफ्त की ट्रिप है,,, हैं ना सर?" 

प्रिंसिबल सर उसे भौंहे उठाए घुरकर "हा कहा था तो?" 

राहुल सवालिया नजरों से उन्हे देख "तो?" 

प्रिंसिबल सर बेपरवाही से "तो हो तो गई मुफ्त की ट्रिप खत्म और वैसे भी हम यहां जितने समय रहे ना उसकी कीमत चुकाई है" 

सभी स्टूडेंट एका एक बोल उठे "कितनी कीमत?" 

तो वहीं प्रिंसिबल सर से पहले ज्ञानेद्रीय सर बेपरवाही से बोल दीए "पूरे पाच लाख" 

सभी आंख मुंह फाड़े प्रिंसिबल सर को देखने लगे।

मोहिंता मेम हैरानी से "क्या सर आप भी,,शर्म नहीं आती बच्चो से झूठ बोल रहे,,?" मेम की बात सुन सभी राहत की सास लिए।

"अरे मोहिंता मेम शर्म तो कब का बेच दिए सर ने क्यू है ना सर?" विजेंद्र सर ज्ञानेद्रीय सर को तंज कसे और हंस पड़े ।
लेकिन ज्ञानेद्रीय सर भी कहा कम थे उन्हे देख ऐसे मुस्कुराए और उनके पास जाकर कंधे पर हाथ रख धीरे से बुदबुदाए "अबे मैं सिर्फ़ शर्म बेचा हु पर तू तो बुराई हैवानियत में पुरा का पुरा बिका हुआ है साले,,जिसकी दो कौड़ी की भी कीमत नहीं फोकटिया हैं साला तू" उनकी आवाज में एक सनक थी जो विजेंद्र सर को कानों में चुभ गया वो दूर हट कर उन्हे आखें बड़ी बड़ी कर घूरे
किसी को उनका ऐसा रिएक्शन समझ में नहीं आ रहा था। सभी यही समझ रहे थे की मस्ती मजाक कर रहे होंगे
तो सभी उन्हे इग्नोर कर दिए और कीमत कीमत रटने लगे।

मोहिंता मेम उन्हे शांत कराते हुए प्यार से बोली "देखो बच्चो ऐसा कुछ नहीं है" 

समजीत बोला "तो आप ही बताइए कैसा है? असली कीमत बताइए,, असली कीमत?"

मोहिंता मेम बोली "यही कुछ पचास हजार" उनकी बात सुन सभी उन्हे आंखे छोटी कर घूरते हैं जैसे 
पूछ रहे हो "सच में " 

प्रिंसिबल सर सबको डपटते हुए "ऐसे क्या देख रहे ? सच कह रही है मेम और पचास हजार ये भी कम नहीं होता इसलिए अब बेवकूफों जैसी बाते बंद करो और चुप चाप आगे बढ़ते रहो" 

जैसा की विजेंद्र सर ने कहा था दस मिनट में सड़क तक पहुंच गए पास में एक बड़ा सा बोर्ड लगा था जो बस स्टैंड होने का संदेश दर्शा रहा था।

तीस सेकेंड गुजरे की सबको उनकी तरफ़ आती बस की झलक दिखाई दी साथ उसके पोंगे की आवाज भी

"थैंक गॉड ज्यादा वेट नही करना पड़ा वरना मेरी सॉफ्ट ब्यूटी पर धूप से काले दाग धब्बे पड़ जाते" रिचा स्माल मिर्न में ख़ुद की शक्ल को टच कर बाल सवारते हुए बोली।

"अरे यार तू ना ज्यादा टेंशन लेगी तो वैसे ही गलत असर पड़ेगा चील किया कर,, वैसे क्या लगाई है चेहरे पर बड़ी नूर छाई है" धनेशी उसे चने के झाड़ में चढ़ाते हुए बोली।

तो रिचा चहकते हुए अपनी बैग से एक क्रीम निकाल कर  बोली "है ना कमाल,,देख ये क्रीम लगाई"

धनेशी क्रीम का डिब्बे पर लिखा हुआ पढ़कर "नुरका नूरका क्रीम" 

रिचा चहकते हुए फिर बोली "हा नुरका नूरका क्रीम एक बार लगाओ और नूर की तरह छा जाओ,," 

सभी उनकी बाते सुन मुंह बनाने लगे तो वही रियू मस्ती उनकी नकल उतार उसे चिढ़ा रहे थे वो भी उल्टे सुलटे डायलॉग बोलकर

रियू धनेशी की तरह "नोर्का पोलखा क्रीम,,,"

मस्ती  रिचा की तरह "हा नोरका पोल्खा क्रीम एक बार लगाओ और सफ़ेद चुने की तरह छा जाओ"

उनकी एक्टिंग देख सभी रिचा और धनेशी को देखे जो मुंह खोले हैरान खड़ी थी फिर क्या सहन नहीं हुआ और ठहाका मारकर हंस पड़ें तो  वही कोई हस्ते हस्ते ताली देने के चक्कर में गिर पड़ा लेकिन फिर भी हंसना नही रोके


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( >💜💜💜क्या होगा आगे? 😂 जानेंगे अगले ep में बने रहे स्टोरी के साथ जल्द ही उपस्थित होंगे एक इंटरटेनमेंट भरे ep में 😁💜💜💜