🌸 कहानी: तेरा वो रास्ता 🌸
भाग 1: मिलन की शुरुआत
वो शाम की हल्की रोशनी थी, जब अर्श और रिया पहली बार एक दूसरे से टकराए। कॉलेज का प्रांगण था, जहाँ हर कोई अपने अपने दोस्तों के साथ व्यस्त था। रिया, एक शर्मीली लड़की थी, जिसकी आँखों में हमेशा एक अनकहा सपना बसा रहता था। अर्श, कॉलेज का लोकप्रिय लड़का, जो हमेशा मस्ती में लगा रहता था। दोनों की मुलाकात एक मामूली सी दुर्घटना के कारण हुई, जब रिया का किताबों का ढेर गिर गया और अर्श ने उसकी मदद की।
"तुम हमेशा इतनी अव्यवस्थित क्यों रहती हो?" अर्श ने हँसते हुए पूछा।
रिया थोड़ी चुप रही, फिर मुस्कुराई। "शायद इसलिए कि मैं अपनी दुनिया में खोई रहती हूँ।"
अर्श ने उसकी मासूमियत में छुपी गहराई को महसूस किया। इसी छोटे से संवाद ने उनके बीच की दूरी को मिटा दिया। धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती गहरी होती चली गई।
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भाग 2: साथ चलने की चाह
अर्श और रिया की दोस्ती अब किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं थी। वे एक दूसरे की खुशियों और दुखों का हिस्सा बन चुके थे। कॉलेज के प्रोजेक्ट्स से लेकर कैफे में बिताए गए लंबे घंटे, हर पल उनके रिश्ते को और भी मजबूत बना रहा था।
एक दिन रिया ने अर्श से कहा, "अर्श, क्या तुम मेरे साथ एक खास जगह चलोगे? एक ऐसी जगह जहाँ सिर्फ हम होंगे।"
अर्श ने उसकी आँखों में झाँकते हुए मुस्कुराया। "कब और कहाँ?"
"कल शाम," रिया ने धीरे से कहा।
अगली शाम, दोनों शहर के एक पुराने पुस्तकालय की ओर बढ़े। वहां की शांति और पुरानी किताबों की खुशबू ने उनका मन मोह लिया। रिया ने उस पुराने पुस्तकालय के एक कोने में बैठकर कहा, "अर्श, तुम्हारे साथ चलना मेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत रास्ता है।"
अर्श ने उसका हाथ थामा, "रिया, मैं भी यही सोचता हूँ।"
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भाग 3: रास्ते में अड़चन
जैसे-जैसे समय बीतता गया, उनके रिश्ते में मिठास के साथ-साथ कुछ दूरियाँ भी आने लगीं। अर्श के माता-पिता उसके अच्छे भविष्य के लिए एक गंभीर करियर चाहते थे, जबकि रिया का सपना एक स्वतंत्र लेखिका बनने का था। उनके सपने और अपेक्षाएं एक दूसरे से टकराने लगीं।
एक दिन कॉलेज के प्रांगण में दोनों की बड़ी बहस हो गई। "तुम मेरी दुनिया की अहमियत समझते ही नहीं!" रिया ने आक्रोश से कहा।
"रिया, मैं तुम्हें खुश देखना चाहता हूँ, पर तुम्हारी बातें मेरे लिए समझना आसान नहीं!" अर्श ने भी अपनी निराशा जाहिर की।
दोनों का दिल टूट चुका था, पर फिर भी, अंदर से वे एक दूसरे से जुड़े थे। पर अब सवाल था – क्या वे फिर से उस रास्ते पर चल सकते हैं, जो कभी एक साथ तय किया था?
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भाग 4: दूरियाँ और मिलने की आस
समय के साथ वे अलग-अलग राहों पर चल पड़े। रिया ने लेखिका बनने की दिशा में कदम बढ़ाया और अर्श ने भी अपने माता-पिता के सपनों की ओर बढ़ चला। पर उनके दिलों में एक सवाल हमेशा बना रहा – क्या हमारा रास्ता फिर से मिल सकेगा?
एक दिन, रिया का एक लेख एक प्रसिद्ध पत्रिका में प्रकाशित हुआ। अर्श ने वह लेख पढ़ा। उसके शब्दों में उसने खुद की झलक पाई थी। लेख का शीर्षक था – "वो रास्ता, जो कभी हमारे कदमों ने सजाया था।"
अर्श ने तुरंत रिया को कॉल किया। "रिया, क्या हम फिर से मिल सकते हैं? क्या हम अपने उस रास्ते को फिर से साथ चल सकते हैं?"
रिया की आँखें भीग गईं। "अर्श, मैं हमेशा से यही चाहती थी।"
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भाग 5: फिर से एक साथ
उनका मिलन एक नई शुरुआत बन गया। दोनों ने अपने सपनों को साथ मिलकर पूरा करने का वादा किया। अर्श ने रिया के लेखन में मदद की और रिया ने अर्श को समझने की कोशिश की। वे दोनों अपने अलग-अलग रास्तों को छोड़कर एक नए रास्ते पर चले, जो केवल उनके लिए था।
वो रास्ता अब उनके लिए सिर्फ एक याद नहीं, बल्कि एक जीता-जागता एहसास बन चुका था। हर मोड़ पर, हर कदम पर, उन्होंने अपने प्यार और समझदारी के साथ उस राह को सजाया।
🌸 "क्योंकि कभी वो रास्ता, जो तुम्हारा और मेरा था, हमेशा हमारा ही रहेगा।" 🌸
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