Yashaswini - 17 in Hindi Fiction Stories by Dr Yogendra Kumar Pandey books and stories PDF | यशस्विनी - 17

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यशस्विनी - 17


लघु उपन्यास यशस्विनी: अध्याय 17 : खतरे का कुछ क्षण पहले ही पूर्वानुमान

यशस्विनी ने असहज स्थिति से निपटने के उपाय बताने के क्रम में आगे कहा: - 

" हां अवश्य, क्यों नहीं काम आएंगे?"

" उदाहरण के लिए अगर उन अपराधियों के पास पिस्टल होती और वे मुझे पिस्टल के पॉइंट पर ले लेते तो थोड़ी दूरी से निशाना लगाए जाने की स्थिति में मेरा मार्शल आर्ट क्या कर पाता?.... इसके अलावा अगर उन्होंने घात लगाकर मुझ पर हमला किया होता...पहले मैंने उन्हें दूर से भी नहीं देखा होता….. अचानक वे मेरे पीछे आकर प्रहार करते और मैं असावधान सी उनके हमले का शिकार हो जाती……" मीरा ने अपनी व्यथा बताई।

यशस्विनी ने उसे समझाते हुए कहा, "देखो मीरा मैं यह नहीं कहती हूं कि कलियरपट्टू या ऐसे मार्शल आर्ट पूरी तरह से फूल प्रूफ हैं,अर्थात वे हर तरह के हमले का जवाब देने में सक्षम हैं…. यह कहना भी अवैज्ञानिक होगा कि हम कोई मंत्र पढ़े व चमत्कार हो जाए और पिस्तौल से दागी गई गोली छूटे ही न या अगर गोली दागी भी गई तो रास्ते में डायवर्ट हो जाए और तुम्हारे शरीर को न लगे।"

" दीदी आखिर इसका समाधान क्या है? अर्थात खौफ के साये में तो हमें जीते ही रहना रहना होगा... अगर किसी ने हमारे आने जाने के समय की रेकी कर ली है तब तो हम परेशानी में कभी भी पड़ सकते हैं…."

" सबसे पहले तुम्हें जो कहना चाहूंगी उसे तुम्हें सुनकर आश्चर्य होगा लेकिन सावधानी सबसे बड़ी सुरक्षा है इसका तुम ध्यान रखो।हम स्वतंत्र हैं, कहीं भी कभी भी आ जा सकते हैं, यह सोच कर मूर्खता वाली वीरता दिखाने की जरूरत नहीं है अर्थात समय से घर लौटने की कोशिश करना... असमय में असुरक्षित और सुनसान रास्ते का प्रयोग करने से बचना ।ये सब महिलाओं के लिए ही क्यों, पुरुषों के लिए भी तो आवश्यक हैं।पुरुष भी तो लूट हमले का शिकार होते हैं।''

मीरा ने मामले की गंभीरता को समझते हुए कहा- "हां आप सही कह रही हैं दीदी।"

" कहीं जाओ और वह नियमित आने जाने से अलग हटकर है तो घर के लोगों और परिचितों को बता कर जाओ। वापस लौटने की संभावित अवधि भी बता कर जाओ। मोबाइल फोन से अपनों के संपर्क में रहो। पैनिक बटन का इस्तेमाल जानो ताकि इमरजेंसी होने पर तत्काल तुम्हें मदद पहुंच सके और... यह बात तुम्हें अटपटी लगेगी लेकिन अपने पर्स में मिर्च पाउडर, छोटा चाकू आदि रखने में भी कोई बुराई नहीं है….. अगर तुमसे एक व्यक्ति लड़ने आए मीरा तो तुम उसे पछाड़ दोगी लेकिन एक से अधिक अपराधी हैं तो इस तरह के सुरक्षात्मक उपायों और चीजों का प्रयोग करने में कहीं से कोई बुराई नहीं है।"

" आप ठीक कह रही है दीदी ...और क्या योग, प्राणायाम, ध्यान से भी हमारे शरीर में ऐसी क्षमता जाग्रत होती है कि हम इस तरह के खतरों और हमलों को नाकाम कर दें….."

" हां अवश्य होती है मीरा जब तुम ध्यान के चक्र में ऊपर उठती जाओगी तो तुम्हारी छठी इंद्री भी जाग्रत होगी और इस तरह के किसी भी संभावित हमले का संकेत तुम्हें प्राप्त हो सकता है।….. हम अपने आसपास के अच्छे लोगों की सकारात्मक तरंगों को भी उनके आने से पहले ही जान जाते हैं और बुरे लोगों के इरादों और उनके आसपास उपस्थिति को भी उनकी नकारात्मक तरंगों के माध्यम से जान जाते हैं। ऐसा तुमने भी कई बार अनुभव किया होगा हालांकि ठीक-ठीक खतरे का अनुमान लगाना साधना के ऊंचे स्तर पर ही संभव है और मैं तुम्हें इस पर फोकस करने के लिए कह भी नहीं रही हूँ….।

ऐसा कहती हुई यशस्विनी थोड़ी देर के लिए रोहित के ख्यालों में डूब गई…. जब कल शाम वह ऑफिस में बैठकर कुछ कार्य कर रही थी तो उसे ऐसा लगा कि रोहित थोड़ी ही देर में यहां पहुंचने वाला है और सचमुच ऐसा हो ही गया... लगभग 5 मिनट के भीतर रोहित दरवाजे पर खड़ा मुस्कुरा रहा था "...  “मे आई कम इन यशस्विनी……"

          यशस्विनी ने मीरा को आगे समझाते हुए कहा…. और हमें अपने कानून एवं व्यवस्था पर भरोसा करना चाहिए। हमारा देश और हमारा समाज अभी इतना असुरक्षित नहीं हुआ है…. थोड़े खतरे तो अवश्य हैं लेकिन बाकी देशों की तुलना में कम ही हैं मीरा…..।

 " समझ गई दीदी, इसीलिए मेरी छठी इंद्रिय उस दिन मैदान पर मुझसे हमले के ठीक एक सेकंड पहले ही जाग गई थी और मैंने तत्काल झुक कर उस बड़े हमले से अपने को बचा लिया था….."

" हां पर सावधानी बरतते रहनी चाहिए मीरा।…. वैसे अपने अगले साप्ताहिक आलेख में मैं सभी बच्चों के माता-पिता से यही अपील करने जा रही हूं कि अपने घर के लड़कों को घर में ही महिलाओं और लड़कियों का सम्मान करना सिखाएंगे तो ये बाहर जाकर ऐसी कायराना और शर्मनाक हरकत नहीं करेंगे... और मीरा सभी लड़के भी ऐसे नहीं होते... अधिकांश अच्छे हैं... कुछ ही ने पूरे माहौल को बिगाड़ रखा है।"

यशस्विनी की बातों से मीरा को अत्यंत सहायता मिली और नैतिक रूप से उसका मनोबल अत्यंत उच्च हुआ।उसे बहुत धन्यवाद देते हुए मीरा चली गई लेकिन जाने से पहले उसने यशस्विनी से यह आश्वासन लिया कि जब भी उसे आवश्यकता होगी, वह सहायता अवश्य देगी, इस पर यशस्विनी ने हँसते हुए कहा-अरे हाँ, क्यों नहीं? तुम मेरी शिष्या जो हो।

                          फरवरी 2020 के दूसरे सप्ताह में एक खबर पर यशस्विनी का ध्यान अटक गया। उसने ध्यान से पढ़ा। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नोबेल कोरोनावायरस बीमारी को एक महामारी घोषित किया। विश्व स्वास्थ्य संगठन कुछ रोगों को लेकर पहले के वर्षों में ऐसा कर चुका था और उसने इस मामले को बहुत गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन कुछ देर के लिए वह विचार में डूब गई।कहीं स्वाइन फ्लू, इबोला वायरस जैसी एक और बड़ी बीमारी तो विश्व में दस्तक नहीं दे रही है? उसे याद आया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 11 वर्ष पहले एच 1,एन 1 बीमारी को लेकर पांचवी बार आपात स्थितियों की घोषणा की थी और अब यह छठी स्थिति है। यशस्विनी ने अखबार ध्यान से पढ़कर तारीख को देखा। यह 30 जनवरी 2020 अर्थात लगभग 12 से 13 दिन पहले की घोषणा है। उसने सोचा यह निमोनिया का ही एक प्रकार होगा और भारत में पिछली बीमारियों ने बहुत बड़े पैमाने पर दस्तक नहीं दी थी, इसलिए यशस्विनी ने इस खबर पर विशेष ध्यान नहीं दिया।

  बसंत पंचमी के बाद मौसम में परिवर्तन होने लगा था और कड़ाके की ठंड के बाद अब धीरे-धीरे वातावरण में थोड़ी उष्णता का अहसास होने लगा था। साधना के स्तर पर यशस्विनी और रोहित दोनों ही ऊपर उठ रहे थे।दोनों के हृदय में एक दूसरे के लिए प्रेम का अंकुरण हो चुका था लेकिन दोनों ही इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं थे। प्रेम के साथ यही एक विशेष बात है कि यह जीवन में कल्पनाएं लेकर आता है,मनुष्य को सपनों की दुनिया में विचरण कराता है पर यथार्थ में उसे परिलक्षित होते हुए देखना उतना ही कठिन होता है।

(क्रमशः)

(योग, ध्यान और विभिन्न साधना चक्रों का योग्य गुरु की उपस्थिति में ही अभ्यास करें।)

डॉ. योगेंद्र कुमार पांडेय