आका की बात सुनकर ज़ेबा चौंक गयी और बोली, " क्या, क्या कह रहे हो आका वह एक जासूस है और मुझे उसके साथ रिश्ता बनाकर क्या करना है." फिर आका ने कहा, " ज़ेबा आपको उसके साथ जो रिश्ता बनाना है वह बनाइये और उसके मुल्क की खुफ़िया जानकारी उसके पास से नीकालकर हम तक पहुँचाइये. ज़ेबा हमारा मकसद पूरा करने के लीये आप उसकी महबूबा बन जाओ. वह जो कहेगा वह करो उसके साथ हमबीस्तर हो जाओ लेकीन हमारा मकसद पूरा करो. आप चाहो तो उसके साथ उसके घर में जाकर रहो और मीठी मीठी बाते कर के उसके दिल में जो राज छुपे है वह राज हम तक हर हाल में पहुँचाओ. " ऐसा कहकर आका ने फोन रख दिया. अब ज़ेबा के सामने एक सवाल खड़ा हो गया था. एक तरफ उसका प्यार था और दूरसरी तरफ उसका फर्ज, ज़ेबा उस सवाल के भंवर में फंस चुकी थी, उसे सूझ नहीं रहा था के क्या किया जाये. लेकिन अचानक से ज़ेबा का मरा हुआ जमीर जाग गया. ज़ेबा को अपने पुराने दिन याद आने लगे. ज़ेबा के साथ जो जुल्मों सीतिम हुए थे वह उसे याद आने लगे, इसलीये उसने फैसला किया और वह खुद से ही कहने लगी, " मै अपने प्यार को इस तरह मुसीबत में नहीं डाल सकती हूँ. बादल मेरा प्यार है और मैं भी उसे जान से ज्यादा प्यार करती हूँ. मै इन जालीमों के कहने से अपने प्यार की जान को खतरे में नहीं डाल सकती हूँ. इसलीये मुझे अपने प्यार को बचाने की खातीर वह बादल से दूर जाना ही होगा."
ज़ेबा अब इस ही उधेड़बुन में जी रही थी के तभी बादल का मेसेज फिर आया और उसने लीखा, " ज़ेबा क्या आपको फुरसत हो गयी है." ज़ेबा ने लीखा, " हाँ बोलीये क्या कहना चाहते हो. बादल ने लीखा, " कुछ ख़ास नहीं, बस आपसे थोड़ा इश्क करना चाहते है" फिर ज़ेबा ने कहा, " हाँ जनाब, आप जैसे आशीक को तो हर वक्त फुरसत ही होती है और एक हम है जिन्हें हर वक्त काम, काम और बस काम ही करना पड़ता है." फिर बादल ने लीखा, " ऐसा है तो हमें आपकी खिदमत करने का एक मौका भी तो दिजीये" फिर ज़ेबा ने लीखा, "तो आप हमारी खिदमत करना चाहते है जनाब " बादल ने लीखा, " होँ आप जो कहेंगी वह हम करने के लीये तैयार है, बस आप हुक्म करो." फिर ज़ेबा ने लीखा, " आपको झाड़ू मारना आता है, आपको बर्तन मांजना आता है तो फिर आपको हम अपने घर बुलायेंगे हमारी खिदमत करने के लीये." बादल ने लीखा, " झाड़ू, बर्तन का क्या है आप हमें कुछ और कहो तो भी हम वह कर देंगे " तो इस तरह बादल और ज़ेबा का प्यार धीरे धीरे आखिर परवान चढ़ ही गया था. दोनों के कुछ दिन इस तरह प्यार की बाते करते हुए कटते रहे. फिर एक दिन बादल ने देखा के एक गाड़ी ज़ेबा के फ्लैट के नीचे आयी है. बादल ने देखा तो वह शख्स लौटकर अपने फ्लैट में आया है. बादल बराबर उस शख्स पर नजर गड़ाए हुए था. वह शख्स गाड़ी से उतरा और सीधा बादल के फ्लैट की ओर देखने लगा. बादल को थोड़ा अजब लगा और वह खिड़की के अंदर से उस शख्स को देखता रहा. वह शख्स बादल के फ्लैट की और देखता हुआ सीढियों से अपने फ्लैट के अंदर चला गया. बादल को अब थोड़ा अंदेशा होने लगा के कुछ तो गड़बड़ है. फिर वह अपने खिड़की में जाकर कांच के पीछे से उस शख्स के खिडकी की ओर देखने लगा. उसने देखा के वह शख्स ज़ेबा से किसी बात को लेकर बहस करने लगा. वह बार बार बादल के फ्लैट की और इशारा कर के ज़ेबा से कुछ कह रहा था. वह देखकर बादल सोचने लगा कि ऐसा क्या हुआ होगा. जो यह शख्स जब से आया है तब से मेरे ही फ्लैट को ओर देख रहा है.
इधर ज़ेबा और उस शख्स के बीच बातचीत शुरू थी. उसने ज़ेबा से कहा, तुम्हें आका का फरमान मील चूका है ना." ज़ेबा ने कहा, " हॉ, मुझे फरमान मील गया है." शख्स बोला, " तो फिर क्या और कैसे करना है इस बारे में तुमने क्या सोचा." ज़ेबा ने कहा, " इस बारे में मैंने बहोत सोचा, मुझे कुछ रास्ते भी मीले लेकिन उनको अमल में लाने में मुझे कुछ तकलीफे भी होगी. मैंने सोचा अगर आप कोई बजा सा रास्ता सुझाये तो मेरा काम आसान हो जाएगा. मैं इसलीये आपके आने का इंतजार कर रही थी." शख्स ने फिर कहा, " मेरी आका से इस बारे में बात हुई है और उन्होंने मुझे कुछ नायाब तरीके बताये है. जिन्हें हमें बड़ी ही एहतियात से अमल में लाने होंगे. उससे पहले हमें एक बड़ा धमाका करना है तो पहले उस काम के बारे में हम बात करेंगे. आज से ठीक एक हफ्ते के बाद हमें एक जगह पर जाना है और वहॉँ इस काम को अंजाम देना है. इसके लीये हमें बहोत सी तैयारी भी करनी है." ज़ेबा ने कहा, " क्या तैयारी करनी है हमें " फिर वह शख्स बोला, " सबसे पहले तो इस जासूस को ठिकाने लगाना है." ज़ेबा ने कहा, " उस काम से इस जासूस का क्या ताल्लुक है." वह शख्स बोला, " बहोत गहरा ताल्लुक है, यह जासूस हमारे मंसूबो के बारे में उसके आका को खबर देता है. हम कुछ दिनों से देख रहे है तो यह हर वक्त कुछ ना कुछ करते रहता है. इसलीये आका ने सबसे पहले इसे ठिकाने लगाने के लीये कहा है. फिर ज़ेबा बात बदलते हुए कहा, " और दुसरा काम." फिर वह शख्स बोला, " एक हफ्ते बाद एक महफ़िल जमनेवाली है तो हमें उस महफ़िल में बड़ा धमाका करना है. उस महफ़िल में कई नामचीन लोग शामील होनेवाले है. तो उन सभी की कब्र वहाँ पर खोदने का काम हमें दिया है हमारे आका ने." फिर ज़ेबा ने कहा, " तो फिर हमारा प्लान क्या है और वह काम करने के बाद हमें बचके कैसे नीकलना है. इस बारे में कुछ सोचा है क्या आपने." फिर वह शख्स बोला, " ज़ेबा हम लोग हर वक्त अपने सर पर कफ़न बांधकर चलते है. हमारे लीये सबसे पहले हमारा मकसद आता है उसके बाद बाकी सब कुछ आता है. अपने मकसद के लीये अगर हमारी जान भी चली जाए तो हम खुद को खुशनसीब समझते है. " फिर वह शख्स फोन पर किसी से बात करते हुए है कहीं बाहर जाने के लीये नीकलने लगा. वह सीढ़ियों से उतरकर अपने गाड़़ी के पास जाकर रुका और फिर बादल के प्लैट की ओर देखने लगा. फिर वह अचानक वापस मुडा और अपने फ्लैट की तरफ वापस जाने लगा. फिर वह अपने फ्लेट में चला गया. उधर बादल उस शख्स की हर हरकत पर नजरे गढ़ाये हुए बैठा था. काफी देर तक कोई हरकत ना हुई तो बादल थोड़ा रिल्याक्स होकर टहलने लगा था के उसने देखा के सामनेवाले फ्लैट में कुछ हलचल हो रही है.
शेष अगले भाग में........