Three best forever - 37 in Hindi Comedy stories by Kaju books and stories PDF | थ्री बेस्ट फॉरेवर - 37

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थ्री बेस्ट फॉरेवर - 37

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( >💜💜💜 पढ़ो मेरे यारों next ep😎

प्रिंसीबल सर हाथ बांधे सवाल किए "हा तो बताओं मस्ती क्या रिश्वत लोगी?" अब आगे,,,

मस्ती चालाकी से हस्ते हुए "ही ही ही ज़्यादा कुछ नहीं बस आप टीचर्स से एक रिक्वेस्ट है अगर इस साल एक्जेम में फेल हो जाऊ तो पास करवा देना" 

सभी आंख मुंह फाड़े उसे देखने लगे। 

सभी लोग उसे घुरकर "चालाक लड़की तेरा ये सपना कभी पूरा नहीं हो सकता समझी,," 

मस्ती खिसियानी हसी हसकर बोली "ही ही ही मैं तो मज़ाक कर रही थी आप सबने तो सिरियस ले लिया डोंट वरी ऐसा कुछ नहीं करना है" 

सभी टीचर्स सिर पीट कर बोले "तुम्हारा कोई भरोसा नहीं कब क्या कर दो " 

मस्ती घमंड से बोली "तारीफ के लिए thyenks सर and मेम जी वैसे मेरा स्टॉप आ गया जिसको चलना है वो पीछे पीछे आओ वरना,,,"बोलते हुए मस्ती जानबुझकर रुक गई।

सभी हैरानी से " तुम नेवता दे रही या धमकी,,,?वरना क्या,,,?" 

"वरना कही भी जाओ अपने को घंटा फर्क नहीं पड़ता अपन अकेले ही मस्त मगन गाते हुए चले जायेंगे" ये बोलते हुए मस्ती बस से उतर गई और बीना पीछे मुड़े जैसे वो बोली थी वैसे ही जानें लगी गाते हुए।

सभी देखते रह गए।

दस मिनट का रास्ता खत्म होते ही मस्ती एक छोटे से आलीशान महलों जैसे घर के बाहर खड़ी थी। बहुत सुंदर घर था। और बाहर से जितना सुंदर नजारा था अंदर उतना ही खूबसूरत गार्डन एकदम हरा भरा और तरह तरह के सेप में कटे पेड़ पौधे मानो किसी को कटिंग का बहुत शौक हो।
वही मस्ती दरवाज़े पर खड़ी डोर बेल बजाने जा रही थी की एक जानी पहचानी आवाज सुनी "एक दो बार आराम से बजाना नॉनस्टॉप बजाई तो हाथ तोड़कर वही चिपका दूंगी" 

"हा हा मम्मी पता है मु,,," अपनी मम्मी की आवाज सुन मस्ती बोलते हुए पीछे पलटी की एकदम से चुहुंक गई।

सुनिता जी के पीछे रियू,, मनीष,,राहुल,, उत्साह,, समजीत और स्ट्रॉन्ग के साथ ही चारों टीचर्स बस ज्ञानेद्रीय सर को छोड़ सब कोलगेट प्रचार करते हुए खड़े थे। 
जिन्हें ऐसे देख मस्ती चिहुंक गई थी।
वो सीने पर हाथ रख बोली "क्या है इतने पास भिड़ लगाए खड़े हो मुझ नन्हीं सी जान को डरा दिया हु" 

सुनिता जी उसके सिर पर चपत लगाते हुए "बड़ी आई नन्हीं सी जान,,चल हट लॉक खोलने दे" 

सुनिता महेंद्रवंश उम्र 36 एक प्यारी हिटलर मा अपनी बेटी से जितना प्यार करती है ना उतना ही प्यार हर बच्चों पर लुटाती है और इनकी हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी बहुत हिम्मत वाली है मांगने नहीं छीनने वाली है क्योंकि जो इनका है उस पर हाथ रखना किसी के बस की बात नहीं।

मस्ती मुंह बनाते हुए साइड हटी तो सुनिता जी ने पर्स से चाबी निकाल लॉक खोला।

"चलिए सब अंदर" सुनीता जी ने मुस्कुराते हुए कहा तो सब उन्हे ग्रिट करते हुए अंदर एंट्री लिए। 

सभी हॉल में आए सभी घर को देख रहे थे ऐसा नहीं है की पहली बार देख रहे हैं। बहुत बार देखे है लेकिन फिर भी जब भी आते हैं ऐसे ही देखते हैं जैसे इससे सुंदर घर देखा ही नही।

उत्साह बोला "मैं ना इस घर को कितने दिन बाद देख रहा हु सब कुछ अभी भी वैसा ही है कुछ नहीं बदला"

मस्ती रियू साथ में बोली "अबे वो फेकू परसो ही तो आया था मेरा मैथ्स का नोटबुक लेने" सभी उसकी बात सुन हस पड़े। तो वही उत्साह का मुंह बन गया।

तभी मस्ती बोली "मम्मी तुम कहा गई थी?" 

सुनिता जी बोली "मार्किट" 

मस्ती बोली "अच्छा तो मार्किट में मेरे टीचर्स और नमूने दोस्त बिक रहे थे जो उठा लाई साथ में" 
उसकी बात सुन सभी आंखे चढ़ाए उसे घूरने लगे।

वही सुनिता जी जो समझते ही उसका कान पकड़ हल्के से मोड़ते हुए "ज्यादा मस्ती चढ़ी है,,,अपने टीचर्स के सामने तो कुछ रिस्पेक्ट कर मेरी" सुनीता जी की बात सुन सभी स्टूडेंट ने टीचर्स की तरफ देखा सब टीचर्स का मुंह देखने लायक था।

सभी टीचर्स हैरानी से मन में "इनकी बेटी ने साफ साफ हम टीचर्स की इंसल्ट की है और इन श्री मती सुनीता जी को अपनी रिस्पेक्ट की पड़ी है" 

वही सभी स्टूडेंट मन में भी यही बाते चल रही थी । वो सब धीरे धीरे से से बोलने लगे।

उत्साह बोला "कहा से आंटी जी को अपनी बेज्जती लग रही,,?" 

समजीत कन्फ्यूज होकर "क्या पता,,,?" 

राहुल बोला "यहां तो साफ तौर पर हमारे टीचर्स की बेज्जती हुई पड़ी है" 

स्ट्रॉन्ग बोला "पर अब ये बात कौन समझाए आंटी जी को?" 
रियू मस्ती को देखी जो सुनिता जी से कान छुड़ाने के लिए बंदर की तरह उछल रही थी। रियू बोली "वही लगे समझाने,,, जिसे अपने कान है तुड़वाने" 

सभी लड़के साथ में "वाह वाह,, वाह वाह,,क्या बात है रियूमा तुम तो शायर भी निकली" 

रियू भड़कते हुए "चुप करो बे,,,वरना मुझे शेरनी बनने में भी देर नहीं लगेगी,, अब जाओ मम्मी जी का राशन का सामान किचन में रख कर आओ" 

"जो हुकुम शेरनी जी" ये बोल सभी लड़के बैग उठाकर किचन की ओर बढ़ गए। 

सुनिता जी खुश होते हुए "ये बच्चे कितने प्यारे हैं जब भी आते हैं हमेशा मेरी कोई ना कोई मदत करते रहते हैं और ये है एक कामचोर निकम्मी जिसे सिर्फ नींद में जीना है" ये बोल सुनिता जी उसका कान और हल्के से मोड़ी।

मस्ती ऐसे चिल्लाई जैसे कान ही उखड़
गया हो "आईमम्मीईई,,मम्मी मेरा कान छोड़कर उनकी तारीफ की पुल निर्माण करो ना,,वो तो सबको आपके साथ देखकर बोल दी इतनी सी बात पर अपनी प्यारी भोली भाली नाजुक कली बेटी की कान उखड़ोगी"

वो इतनी मासूम सूरत बनाए थी की सभी हैरान बड़ी बड़ी आंखे कर उसे देख सोच रहे थे "दुनियां भर की मासूमियत अचानक कैसे भर आती है इसमें ? ना जाने क्या राज है?" 

सुनीता जी उसका कान छोड़ बोली "अरे वो तो मार्किट से घर आ रही थी तो सबको देख लिया और साथ में आ गए इसमें ऐसा सवाल करने वाली क्या बात हुई? तूने ही तो पहले ही फोन करके बताया था ना अंजान तो ऐसे बन रही जैसे कोई शुभ काम कर रही है बड़ी आई भोली भाली नाजुक कली" 

मस्ती सुनिता जी को गले लगाते हुए प्यार से बोली "ओह मेरी प्यारी प्यारी मम्मी तारीफ़ के लिए थैंक्स अगली बार और अच्छे से कोशिश करना " 

उसकी बात सुन सुनिता जी के साथ सबने सिर पीट लिया।
आखिर सबको पता था इसपर किसी के ताना बाना नाना का कोई असर नहीं होने वाला। मस्ती खुद में एक मस्ती है वो वही करेगी जो उसका मन करेगा आखिर अपने मर्जी की मालकिन जो है मस्तानी।

सुनिता जी हार मानकर मस्ती को सीने से लगा ली और प्यार से उसके माथे को चूम लिया और मुस्कुराते हुए
बोली "तेरा कुछ नहीं हो सकता तू यहां सबके साथ बैठ मैं खाना बना लेती हु फट से सबको भुख लगी होगी" सभी उन मां बेटी का प्यार देख मुस्कुरा रहे थे। 

तभी मस्ती कुछ बोलने जा रही थी की,,,,

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( >💜💜💜ऐसा क्या बोलने जा रही थी ये मस्ती? जानना चाहते हों तो आ जाना next ep पढ़ने। मिलते हैं जल्द ही😁💜💜💜