Bandhan - 70 in Hindi Fiction Stories by Maya Hanchate books and stories PDF | बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 70

Featured Books
Categories
Share

बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 70

chapter 70 

इसके बाद शिवाय को एक अजीब सा सपना आता है तो जिसमें आरोही दोनों बच्चों को से छीन रही थी जिसे देखकर शिव इतना घबराता है कि वह रातों-रात अमेरिका के लिए चला जाता है। शिवाय ने किसी को भी अपने जाने के बारे में नहीं बताया हुआ था।

तो वही कोई और भी था जो शिवाय का पीछा कर रहा था।
तो वही आरोही अपने कमरे में बड़ी सुकून के साथ सोई हुई थी। तभी उसके बालकनी में कोई कूद कर आता है और आरोही को उसे सोते देखकर एक तक निहारने लगता है। 

अब आगे 

इस समय आरोही अपने बेड पर बड़े सुकून से सोई हुई थी उसकी हल्के बुरे बाल पूरे तकिए पर फैले हुए थे।

वह इंसान जो बालकनी से कूद के आया था वह एक तक आरोही को देख रहा था जैसे आरोही को देखकर उसे कोई खजाना मिलने वाला हो। यह इंसान कोई और नहीं तरुण था। 

तरुण धीरे-धीरे आरोही के करीब आता है और  बेड के एक साइड  बैठकर अपनी आंखों में बेइंतहा मोहब्बत भर कर आरोही को बिना पल के झपकाएं देख रहा था। और साथ में कुछ सोच भी रहा था।।

कुछ देर ऐसे ही बीत जाता है । तभी तरुण देखता है कि आरोही नींद में बेचैन हो रही थी। जिसे देखकर तरुण को कुछ समझ नहीं आता कि वह क्या करें। 

तरुण आरोही की बेचैनी को रोकने के लिए कुछ कर पाता उससे पहले ही आरोही घबराकर आंखें खोलती है और लंबी-लंबी सांस लेने लगती है। वह इतनी बेचैन थी कि इतनी ठंड में भी उसे पसीना आ रहा था। 

तरुण आरोही को इतना बेचैन और घबराए देखकर उसे अपने सीने से लगाता है और उसके पीठ को सहलाते हुए उसे कहता है "शांत हो जाओ जान ,, कुछ नहीं हुआ है,,। 

इतना बोलकर वह आरोही को अपने आपसे अलग करता है और उसके चेहरे को अपनी हथेली से बड़े ध्यान से पकड़कर उसे अपनी आंखों में प्यार भरकर और अपनी सॉफ्ट वॉइस से बोलता है"क्या हुआ जान तुम इतनी बेचैन क्यों थी कोई बुरा सपना देखा है क्या? 

इतना बोलकर वह आरोही के चेहरे पर फूंक मारता है और उसके बालों को सहलाने लगता है।

अब तक आरोही शांत हो गई थी उसकी सांसे नॉर्मल हो चुकी थी। जिसे देखकर तरुण टेबल के पास जाकर जग में से पानी गिलास में निकाल कर आरोही की तरफ बढ़ा देता है। 

आरोही धीरे धीरे से अपनी आंखों को ऊपर कर कर तरुण को देख रही थी और उसके हाथों से पानी लेकर एक सांस में ही पी लेती है ।

उसे पानी पीते देखकर तरुण उसके बाजू बैठ जाता है। और उसका पानी पीने खत्म होने के बाद उसके हाथों से ग्लास को लेकर टेबल पर रख देता है।

इस पल आरोही और तरुण बस खामोश थे। आरोही को तरुण को अपने सामने देखकर सुकून मिल रहा था जिसकी वजह से वह तरुण के गले लग जाती है। और अपनी आंखों को बंद कर कर धीरे से बोली" पता नहीं कैसा सपना देखा था मैंने ठीक से कुछ याद नहीं है बस इतना जानती थी कि कोई मुझसे कुछ ऐसा लेकर जा रहा था जिसे देखकर मेरी हालत खराब हो रही थी नहीं जानती क्या मतलब था इस सपने का। ऐसे लग रहा था जैसे कि मुझसे मेरा कोई अपना दूर जा रहा हो,,।

तरुण उसकी बातों को सुनकर कुछ नहीं बोलता है बस उसे अपने गले लगा कर उसकी पीठ को सहला रहा था तो वही आरोही अपनी बातों को खत्म कर कर तरुण के गले के लॉकेट से खेल रही थी। वह लॉकेट आरोही और तरुण के पहले अक्षर से बना हुआ था।

तभी आरोही के दिमाग में कुछ आता है। और वह तरुण से अलग होकर उसे अपनी आंखें छोटी कर कर देखती हैं। जिसे देखकर तरुण अपनी नजरों को इधर-उधर घूमाने लगता है। 

तो आरोही सही से बैठकर उसके चेहरे को अपनी तरफ कर कर घूरते हुए उसे सवाल करती है"तुम इतनी रात मैं मेरे कमरे में क्या कर रहे हो?,,

जिस पर तरुण आरोही के हाथों को अपने चेहरे से हटाकर उसे अपनी करीब करते हुए बोला मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही थी इसलिए मैं बिना कुछ सोचे समझे तुमसे मिलने चला आया। 

वैसे भी जबसे में अपना काम कश्मीर से खत्म कर कर आया हूं तब से तुम्हारे साथ एक पल की  सांस  सुकून के साथ नहीं मिली है।

कोई ना कोई मुश्किल हमारी लाइफ में आ रही है और ऊपर से हमारी शादी कितनी बार पोस्टपोन हो चुकी है। 

जिसकी वजह से मैं बेचैन हो गया था तो मेरे दिल मैं तुम्हें देखने की तड़प बढ़ने लगी थी।

वह तरुण की बातें समझ जाती है क्योंकि उसे भी बहुत ही ज्यादा डर लग रहा था। आरोही तरुण की हाथों पर अपनी हाथ को कसती है और अपनी बेचैन नजरों से तरुण को देखते हुए बोली सच कहूं तो मुझे भी बहुत ज्यादा डर लग रहा है, क्या सच में पंडित जी की बातें सच हो जाएगी? अब धीरे-धीरे कर कर मुझे पंडित जी की बातों पर भरोसा हो रहा है। 

आरोही की बात सुनकर तरुण उसके माथे पर टैप 
करते हुए बोला बकवास बातें मत सोचा करो वैसे भी मुझे तो  वह पंडित काम ढोंगी ज्यादा लगा ‌।।

तरुण की बात सुनकर आरोही के चेहरे पर हल्की मुस्कान आती है और वह तार उन को हल्की हाथों से मारते हुए बोलती है" कुछ भी बोलते हो तुम भूल गए हो कि वह तुम्हारे फैमिली पंडित है अगर दादी ने तुम्हारे मुंह से ऐसी बातें सुनी तो वह तुम्हारी कान खींचकर लाल कर देगी,,।

वैसे भी तुम्हें नहीं लगता कि उसे पंडित की बातें कहीं ना कहीं सच हो रही है अब तुम ही देखो की तीन बार हमारी शादी की डेट निकल गई है और तीनों बार कुछ ना कुछ गड़बड़ हो गई है। इतना बोलकर आरोही के मुस्कान गायब होती है। 

जिसे महसूस कर कर तरुण उसको अपनी गोद में उठाकर बालकनी में ले जाता है। और बालकनी के झूले पर बैठा है और उसे अपनी गोद में बीतता है तो आरोही भी सही से उसके गोद में बैठ जाती है और अपने दोनों हाथ उसके गले पर रखती है। 
तो वही‌  तरुण अपनी पकड़ को आरोही की कमर पर मजबूत करता है।

नहीं जानता मैं क्या सच है -क्या झूठ है । बस इतना जानता हूं कि तुम मेरी धड़कन हो जिसके बिना मैं जिंदा नहीं रह सकता। चाहे कितनी भी मुश्किल हो हमारी शादी होकर रहेगी। यह बात तरुण बड़े गंभीर लहजे में आसमान को एक तक घूरते हुए बोलता है। 

जिसे देखकर आरोही तरुण के चेहरे को अपनी तरफ करते हुए उसकी आंखों में आंखें डाल कर बोलती है तुम्हारी बातें मुझे ऐसी लग रही जैसे मैं किसी नवल हीरोइन हूं और तुम नवल के हीरो हो, आई मीन डिट्टो किसी पजेसिव हीरो की तरह बात कर रहे हो तुम इतना कह कर वह खिलखिला कर हंसने लगती है। 

जिसे देखकर तरुण कुछ नहीं कहता है बस उसे एक तक देखने लगता है और उसे अपने गले लगाता है। वह आंखें बंद कर कर कुछ सोच रहा था। 

दोनों कुछ पल ऐसे ही बैठ जाते हैं तभी आ रही के   कानों  में तरुण की पेट की गूड गूढ़ कर आवाज आती है। जिसे सुनकर तरुण एंब्रेस हो जाता है तो आरोही, बेइंत हस्नै लगती है। 😁😁😁😁😁😄

उसे ऐसे हंस कर देखकर तरुण अपने मुंह को फूलाते हुए बोला तुम्हें पता है मुझे तुम्हारी इतनी याद आ रही थी कि मैं अपनी बुक को भूल गया था और बिना कुछ समझ यहां आ गया पर तुम तो मुझ पर ऐसे हंस रही हो , that नॉट फेयर  जान ।

इतना बोल करवा आ रही को अपनी गोद से उतर कर कमरे के अंदर बढ़ जाता है। आरोही, उसकी नाराजगी को महसूस कर कर उसके पीछे-पीछे चली जाती है। और उसे मानने लगती है। 

कुछ देर तक उनका रुटने मानने का सिलसिला जारी रहता है। तभी फिर से एक बार तरुण के पेट से आवाज निकलती है।

सुनकर आरोही उसकी हाथ पकड़ कर किचन की तरफ बढ़ जाती है । तरुण उस  के पीछे चुपचाप बिना आवाज कर चलता रहता है। 

वह दोनों किचन में आते हैं तो आरोही पहले एक गिलास पानी तरुण को देती है । गैस पर बर्तन चढ़ती है और उसे पर पानी डाल कर दो मैगी  की पैकेट निकलती है और मैगी बनाने के लिए रख देती है। 

उसके बाद फ्रिज के  पास जाकर ब्रेड की पैकेट, चीज, केचप और दो तीन सब्जी निकलती है। जिसमें टमाटर प्याज और शिमला होती है। और साथ में एक ठंडी दूध की बोतल  निकलती है।
तरुण भी आ रही की मदद कर रहा था जैसे सब्जी को काटने  में और किचन में अभी दोनों के फैले हुए रहते एक को साफ करता है।

एक तरफ मैगी बन रहा तो दूसरी तरफ आरोही सैंडविच बना रही थी। कुछ देर बाद मैगी और सैंडविच दोनों तैयार रहते हैं तो आरोही एक प्लेट में सैंडविच रखती है और दो कटोरे में मैगी फिर दो गिलास ठंडा दूध यह सब कुछ एक ट्रेन में लेकर अपने कमरे की तरफ जाती है। 

जिसे देखकर तरुण उसके हाथों से वह ट्रे लेकर उसके कमरे की तरफ जाता है। आरोही भी मुस्कुराते हुए उसके पीछे चली जाती है। 

सॉरी फॉर शॉर्ट चैप्टर बट जल्दी आपको लॉन्ग चैप्टर में मिलेंगे तब तक के लिए शर्ट चैप्टर से काम चला लीजिए और थैंक यू फॉर रीडिंग माय नावेल एंड वेटिंग फॉर मी नोवल।

रिव्यू योर कमेंट करना मत भूलना आपको आज का चैप्टर कैसा लगा यह जरूर बताना। 

और यह भी बताना कि कल की कैरेक्टर इंट्रोडक्शन और शार्ट समरी आपको कैसी लगी तब तक के लिए टेक केयर बाय-बाय