रात की हवा में महल की ऊँची खिडकियों से परछाइयाँ लंबी खिंची हुई थीं. कबीर ने तहखाने के पुराने तंजीम- कक्ष से निकलते हुए चंद सीढियाँ ऊपर चढीं — हर कदम पर उसके जूतों की आहट उसकी नसों में बिजली की तरह दौडती. नूरा, जो पीछे से आई थी, उसकी एक झलक लेकर समझ गई थी कि यह कोई साधारण Mission नहीं रहा — अब यह व्यक्तिगत बदला बन चुका था.
कबीर( धीरे से, अपने मन से) जो भी सच है — उसे बाहर निकालना होगा. आज नहीं तो कभी नहीं.
नूरा ने उसकी बाजू में काटते हुए कहा,
नूरा: तुम्हें अपने साथियों पर भरोसा करना होगा, कबीर. अकेला ये लडाई खतरे में डाल देगी.
कबीर ने बिना मुडे कहा,
कबीर: मैं तुम्हारे भरोसे पर हद तक चलूँगा. पर जो भी हुआ — जवाब मिलेगा.
वे दोनों जब ऊपर आए तो महल के मेन हॉल में कुछ लोग इकट्ठे थे — वेरिका, सारा, और कुछ पुराने भरोसेमंद नौकर. वेरिका के चेहरे पर लोहे जैसी सख्ती थी; उसकी आँखों में अब डर नहीं, आक्रोश जला रहा था.
वेरिका( सख्त) अगर वहाँ कोई भी हमारी इन्तजार में है — उसे अब तक की सारी गल्तियाँ महसूस करवाऊँगी.
सारा( धीमे स्वर में, पर दृढ) पर ध्यान रखना — हम जवाब में कुछ खो कर नहीं आएँ. हमें सबूत चाहिए, नाम चाहिए.
ठंडी धडकन के साथ, कबीर ने जंगल में देखे गए उस परिचित चेहरे का जिक्र किया. सन्नाटा गहरा गया. वेरिका का चेहरा एक हद तक फीका पड गया — फिर उसने गला साफ किया और पूछा,
वेरिका: उसे तुम पहचानते हो? क्या वह. कौन है?
कबीर ने कडे शब्दों में कहा,
कबीर: मैंने उससे कहा — ‘तुम’। उसने कहा कि सच जानने के बाद तुम अपनी जिन्दगी से नफरत कर दोगे. वह चेहरा मेरा पुराना साथी था — पर उसने नकाब पहन लिया. और यह बताता है कि मामला जितना बडा है, उतना ही जटिल भी.
तभी महल के दरवाजे जोर से खुले — अली, एक वरिष्ठ गार्ड, साँस फूले बाहर आया. उसकी हथेली में एक फोल्डर था, उसमें कुछ ताजा तस्वीरें और एक मोबाइल चिप. उसने आवाज पर सबका ध्यान खींचा.
अली( गर्दन हिला कर) साहब, जंगल के पास एक कार छोडकर कई लोग भागे. उनका रुट देखा गया — शहर की तरफ, पुराने शिपयार्ड के पास एक गोदाम. और —( वह फोल्डर खोलता है) — यहाँ एक तस्वीर है. यह वही गियर है जो ब्लैक शैडो प्रयोग करता है.
कबीर ने तस्वीरें झट से देखीं — नकाब, वही कोट, वही हाथ, बस अलग एंगल से. नूरा ने मोबाइल चिप उठाई और कहा,
नूरा: इसमें कैमरा रिकॉर्डिंग है. मैंने उसे तेजी से क्लीन करके देखा — कुछ मिनट का फुटेज है. वहां एक आवाज है — किसी ने ‘पिंजरा’ शब्द कहा.
कबीर ने घटते हुए Color में कहा,
कबीर: पिंजरा? — सोने का पिंजरा? उसने धीरे से फुटेज चलाने का इशारा किया) चलाओ.
फुटेज में धुंधली रोशनी, हाथों की आहट और किसी के कदम तेज- तेज चलते दिखाई दिए. कैमरा अचानक उछलता है और फिर एक नकाबपोश की आवाज आती है —“ जब पिंजरा टूटेगा, सब चमकेंगे। कैमरा झट से घूमा — और कहीं पीछे से एक नाम उभरता हुआ सुनाई देता है —“ अरमान.
अलमास( एक और गार्ड, सांस रोक कर) अरमान? यह नाम वही है — कमिश्नर अरमान?
सारा ने तब तक कडा चेहरा पकडा जिस पर उम्र का भार झलक रहा था, पर वह झट से अपने आपको संभालते हुए बोली,
सारा: अरमान? यह संभव नहीं. उसकी आँखें कबीर की तरफ झपकीं) क्या हम गलती कर रहे हैं?
कबीर ने चेहरा कस कर कहा,
कबीर: अगर अरमान का नाम कहीं आता है तो मतलब कि यह लडाई सिर्फ बाहरी दुश्मन तक सिमित नहीं. किसी ने पिंजरे के भीतर ही छुरा घोंपा है.
वेरिका ने फट कर कहा,
वेरिका: तो हमें सीधे अरमान के पास जाना होगा. उसे पूछो — क्यों उसका नाम इस फुटेज में आया.
कबीर ने सिर हिलाया, पर अंदर दिल में एक अनकही चेतावनी भी थी — अरमान कोई साधारण आदमी नहीं; वह कमिश्नर है, और उसकी विश्वसनीयता पर किसी के दाँत नहीं चलने चाहिए. पर समय अब विलम्ब नहीं सहता था.
कबीर: ठीक है. पर हम पुलिस की ही तरह चलेँगे — धमाकों से नहीं, दिमाग से. अगर ये जाल अरमान तक जाता है, तो हमें सभी कडियाँ जोडनी होंगी. नूरा, तुम और मैं यही करेंगे — जाके गोदामों की खबर लें और उस फुटेज के टेक्स्ट को ट्रेस करो. वेरिका, तुम महल पर रहो और किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखो. सारा — तुम समीर की माँ और मीना की सुरक्षा का इंतजाम करो.
सारा ने काँपती, मगर दृढ आवाज में कहा,
सारा: मैं यह सर्वश्रेष्ठ करूँगी. समीर की माँ ने मेरा हाथ थामा था — मैं उसे खतरे में नहीं छोड सकती.
रात गहरी होती चली गई, और कबीर व नूरा शहर की ओर दो मोटरसाइकिल लेकर निकल पडे. हवा तेज थी — खून और खनखनाते सवालों की गंध हर मोड पर फैली महसूस हो रही थी. रास्ते में नूरा ने मंदिर चौक के पास अचानक ब्रेक लगाया — उसकी आँखों में कुछ खोजने की तीव्र चाह थी.
नूरा: यहाँ पिछले कुछ दिनों से अजीब चल रहा है — दुकानदार कह रहे थे कि कुछ लोग नकाब में खरीददारी कर रहे थे, और वे नक्शे क्लिपबोर्ड पर जांच करवा रहे थे. लगता है ब्लैक शैडो का नेटवर्क अब और भी खुल कर काम कर रहा है.
कबीर: यानी कि वे सिर्फ हमलों तक सीमित नहीं, वे शहर के हर एक हिस्से में पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं. हमें वे सारे लिंक काटने होंगे — संपर्क बनाएँ, और उनका नेटवर्क बेनकाब करें.
वे दोनों जब गोदाम पहुँचकर छिपकर देखते हैं तो सामने का दृश्य ऐसा था कि जब दिल पर हाथ रखा जाए तो साँस अटकी. गोदाम की खिडकी से अंदर देखा तो कुछ मशीनें लगी थीं, और बीच में वही नकाबपोश मोहर लगा हुआ था — पर इस बार वहाँ सिर्फ कुछ कागज और नक्शे नहीं, एक बडी फाइल भी खुली पडी थी — जिसमें“ Operation Pinigra” लिखा था.
कबीर ने चपत लगाते हुए कहा,
कबीर( सीधा किनारे में) पिनिग्रा? पिंजरा का कोड- नेम? वह फुसफुसाया) यहाँ कुछ बडा है.
तभी अंदर से कदमों की आहट ने उनकी छिपने की जगह बेनकाब कर दी. दो पहिएदार गाडियाँ बाहर से भाग जाती हैं, और एक पतला- सा आदमी दरवाजे से निकलते हुए कहता है,
पतला आदमी( धीमे, क्लीन आवाज में) रिपोर्ट तैयार कर लो — अगला कदम तब होगा जब कबीर विराज की आँखें खुलेंगी.
कबीर का दिल मानो चीर गया —“ कबीर विराज” — उसका नाम, उसकी पहचान अब खुले रूप में खेल में थी. पर साहस के साथ जानने की लालसा भी बढी. उन्होंने पल भर के लिए सोचा — और फिर आग के साथ अंदर भरकर, अचानक आवाज की दिशा में गोली चलाई. लडाई तेज हुई.
गोली की गूंज के साथ ही गोदाम में हलचल मची; नकाबपोश वहाँ- वहाँ इधर- उधर भागे; पर कबीर ने उस पतले आदमी को धर दबोचा. वह आदमी पंजे लडखडाते हुए बोला,
पतला आदमी: मुझे मत मारो! मैं केवल डिलिवरी मैन हूँ — मैंने नाम ही भेजा है.
कबीर ने उसकी गर्दन पर दबाव बढाया, उसकी आँखों में सच्चाई मांगते हुए पूछा,
कबीर: कौन तुम्हें भेजता है? नाम दे!
वह आदमी कांपते हुए बोला,
पतला आदमी: वे. वे कहते हैं — ‘जब पिंजरा टूटेगा, तब सब चमकेंगे. अरमान ने कहा — धैर्य रखो। ’
कबीर के दिमाग में ताजा बिजली चमकी — अरमान का नाम फिर उछला. पर इस बार उसने किसी बात का अंदाजा लगा लिया — अरमान के जुडने का मतलब कोई उच्च स्तरीय षड्यंत्र था. कबीर ने आदमी को नूरा के हवाले कर दिया और कहा,
कबीर: इस आदमी की डिलीवरी रिकॉर्ड हमारे पास भेजो. उसके फोन की लोकेशन ट्रेस करो. और जाहिर है — उसे पुलिस के हवाले करने से पहले कुछ बातें हमें पता करनी होंगी.
नूरा ने मोबाइल Check करते हुए फिर खोला और कहा,
नूरा: यहाँ एक और फोल्डर है — ‘रिटर्न फाइल’। इसमें कुछ एन्क्रिप्टेड मेसेज हैं. लेकिन इन्हें किसी ने ‘रीना’ नाम के पते पर भेजा है.
कबीर के मन में एक ताजा सवाल खटका — रीना? रीन का नाम महल से जुडा था — वह जिनके पिता कहीं गायब हुए थे. क्या यह कोई और कडी थी?
कबीर ने मन ही मन ठान लिया — अब समय संक्षिप्त था. वे फाइलें, फोन रिकॉर्ड, और हर नुक्ते की तह तक जा कर सबूत जोडेंगे. पर एक चीज निश्चित थी — अरमान की छवि अब संदिग्ध थी, और पिंजरे का जाल कहीं और से खींचा जा रहा था.
वापसी पर, महल के भीतर अली और वेरिका से मिलने के बाद एक और झटका आया — महल के पीछे पुराने स्क्रैपयार्ड में एक पुरानी फोटो मिली, जिस पर अरमान एक अजनबी के साथ खडा था; अजनबी की कलाई पर वही अंगूठी थी जो कुछ दिनों पहले समीर के पास मिली थी. अब कडी और सख्त हुई — समीर, अरमान, ब्लैक शैडो — सब किसी न किसी धागे से जुडे थे.
वेरिका( घबराते हुए) अगर यह सच है तो अर्थ बदल जाएगा — यह केवल बाहर से हमला नहीं रहा. हमारे आसपास के लोग भी खेल में हो सकते हैं.
कबीर( ठंडे स्वर में) इसका मतलब ये हुआ — अब कोई भी मासूम नहीं रह गया. सबको परखना होगा. और जब पिंजरा टूटेगा, तब उस चमक के पीछे क्या है — सोना या खून — यह तय करने की जिम्मेदारी अब हमारी है.
अगली सुबह, महल के मेन हॉल में जब मेहमान और रिपोर्टर उभरते हैं, तो कबीर ने सार्वजनिक रूप से एक बयान दिया — पर उसकी आँखों में कडवाहट और चेहरे पर थकान थी. उसने कहा,
कबीर( माइक्रोफोन के सामने) शहर में जो भी घटनाएँ हुई हैं, वे सिर्फ कुछ पलों की गवाही नहीं हैं. जो लोग इससे जुडे हैं — उनके चेहरे प्रकाश में आएँगे. यह लडाई बडे पैमाने की है, और हम उसे हर हाल में सुलझाएँगे.
कैमरा पैन करता है और ब्लैक शैडो का स्क्रीन पर वर्चुअल संदेश फिर टकराता है —“ पिंजरा टूटेगा, सच उभरेगा। पर इस बार आवाज में तिलिस्म और ठंडक दोनों थीं.
cut टू — एक सुनसान कमरे में, कोई अंजान शख्स फोन पर कहता है,
अंजान( धीमी, खामोश आवाज) उन्होंने पहला वार सह लिया. अब दूसरा चरण शुरू करो. और याद रखो — कबीर जितना सुलझेगा, उतना ही वह खुद से लडता जाएगा.
कहानी की लकीरें गहरी होती चली जाती हैं — हर नाम एक नया सवाल छोडता है. समीर की मजबूरी, अरमान की झलक, रीना का पत्र, और पिंजरे की पुरानी तिजोरी — सब एक दूसरे में उलझे. कबीर की नींद अब दूर की बात थी; उसकी आँखे सच की तलाश में नजर रह गई थीं.
अंतिम शॉट — महल की ऊँची मीनार से एक कबूतर उडता है; उसकी परछाई दीवार पर बिखरती है. स्क्रीन पर सफेद अक्षरों में उभरता है: To Be Continued — अगला अध्याय: पिंजरे की तिजोरी”
अगला सीन: पिंजरे की तिजोरी”
महल की लंबी गलियों में सुबह की धूप बिखरी थी, मगर उस रोशनी में भी अंधेरे की गंध समाई थी. पिछली रात की लडाई, गोदाम में मिले सुराग और अरमान का नाम — सबने माहौल को असामान्य बना दिया था.
कबीर बालकनी पर खडा था. उसकी आँखों के नीचे नींद की कमी से काले घेरे साफ थे, पर उसकी निगाहें अभी भी तेज थीं. उसके हाथ में वही तस्वीर थी जिसमें अरमान और अजनबी साथ खडे थे. तस्वीर का हर कोना एक नया सवाल बनकर उसे घूर रहा था.
पीछे से वेरिका आई, उसके हाथ में मोबाइल था. उसने धीमी आवाज में कहा —
वेरिका: तुम्हें ये देखना होगा. ये रीना का मैसेज है. उसने कहा है कि वो सिर्फ तुमसे मिलना चाहती है।
कबीर ने चौंककर मोबाइल लिया. स्क्रीन पर छोटा- सा मैसेज चमक रहा था:
कबीर, अगर सच जानना चाहते हो तो आज रात पुराने किले की तिजोरी में आओ. पिंजरे की चाबी वहीं छिपी है. — रीना”
कबीर के चेहरे पर हल्की मुस्कान आई, मगर उसकी आँखों में चिंता भी थी.
कबीर( मन ही मन) पिंजरा, तिजोरी, चाबी. ये खेल और गहरा हो गया।
दृश्य एक: मीना और समीर
महल के अंदर, मीना और समीर आमने- सामने बैठे थे. समीर की माँ अब सुरक्षित कमरे में रखी गई थीं, लेकिन समीर का मन शांत नहीं था.
मीना: तुम मुझसे कुछ छुपा रहे हो, समीर. क्यों हर बार तुम्हारा नाम इन सब घटनाओं में जुड जाता है?
समीर की आँखें भर आईं. उसने होंठ काटे और धीमी आवाज में बोला —
समीर: मीना, मैं चाहता तो सब साफ कह देता. लेकिन अगर कह दूँ, तो शायद तुम मुझसे नफरत करोगी. और मैं ये सह नहीं पाऊँगा।
मीना ने उसका हाथ पकड लिया.
मीना: सच कितना भी कडवा हो, झूठ से बेहतर होता है. कम से कम मुझे बता दो — क्या तुम इस ‘सोने के पिंजरे’ से जुडे हो?
समीर ने सिर झुका लिया. उसकी आँखों में पानी था, पर होंठ बंद थे. तभी बाहर से गोली की आवाज आई. दोनों चौंक गए.
दृश्य दो: महल पर हमला
अली और गार्ड्स दौडते हुए अंदर आए.
अली: साहब! पीछे वाले दरवाजे से कुछ लोग घुसने की कोशिश कर रहे हैं. उनके पास हथियार हैं।
कबीर तुरंत नीचे आया, उसके साथ नूरा और वेरिका भी. चारों तरफ अफरा- तफरी मच गई. महल की दीवारों से गोलियों की गूंज सुनाई दी.
कबीर ने गार्ड्स को आदेश दिया —
कबीर: सबको सुरक्षित कमरों में ले जाओ. किसी को भी बाहर निकलने मत देना।
नूरा ने कबीर को कवर दिया और दोनों ने मिलकर हमलावरों को रोकने की कोशिश की. कुछ देर बाद, दो नकाबपोश पकडे गए.
कबीर ने उनमें से एक का नकाब खींचा — और उसके चेहरे को देखते ही सभी दंग रह गए. वह चेहरा था. अरहान का दोस्त, जो महीनों से गायब था.
वेरिका( हैरान होकर) ये. ये तो फैज है! अरहान का सबसे करीबी!
कबीर ने गुस्से में उसकी गर्दन पकड ली.
कबीर: क्यों? तुम यहाँ क्यों आए? किसके कहने पर?
फैज हंस पडा. उसकी हंसी में खौफ था.
फैज: कबीर, तुम समझते नहीं हो. पिंजरे का खेल सिर्फ बाहर से नहीं, तुम्हारे ही घर से शुरू हुआ है. असली गद्दार तुम्हारे बहुत करीब है।
कबीर का चेहरा सफेद पड गया. उसने फैज को नूरा के हवाले किया और मन ही मन ठान लिया कि अब रीना से मिलना ही होगा.
दृश्य तीन: पुराने किले की तिजोरी
रात का अंधेरा गहराया हुआ था. कबीर और नूरा दोनों पुराने किले पहुंचे. जगह वीरान थी. टूटी दीवारों और जंग लगे दरवाजों के बीच से हवा अजीब सी सीटी बजा रही थी.
तिजोरी एक तहखाने में थी — मोटे लोहे का दरवाजा, जिस पर सुनहरी नक्काशी बनी थी. जैसे कोई रहस्य खुद को छुपा रहा हो.
अचानक पीछे से कदमों की आहट आई. कबीर ने मुडकर देखा — रीना वहाँ खडी थी. उसके चेहरे पर डर और हिम्मत दोनों थे.
रीना: कबीर, मैं झूठ नहीं बोल रही. पिंजरे की असली चाबी इसी तिजोरी में है. लेकिन सावधान रहना — इसे खोलना आसान नहीं।
कबीर ने तिजोरी को देखा. उस पर तीन ताले लगे थे. नूरा ने एक- एक कर चाबी लगाई. पहला ताला खुला. फिर दूसरा. तीसरे ताले को खोलते ही तिजोरी धीरे- धीरे कराहती हुई खुल गई.
अंदर से जो मिला, उसने सबको हैरान कर दिया.
पुराने दस्तावेजों का ढेर, कुछ तस्वीरें और एक वीडियो टेप. कबीर ने तुरंत टेप चलाया. स्क्रीन पर अरमान दिखाई दिया.
अरमान( वीडियो में)
अगर तुम ये देख रहे हो, तो मतलब पिंजरा टूटने वाला है. असली दुश्मन बाहर नहीं, भीतर है. वह शख्स जिसे तुम सबसे ज्यादा भरोसा करते हो, वही तुम्हें गिराने की साजिश कर रहा है।
वीडियो अचानक बंद हो गया.
रीना के होंठ काँप रहे थे. उसने धीरे से कहा —
रीना: कबीर, ये सब मैं बहुत पहले जान गई थी. लेकिन डर के मारे चुप रही. अब और चुप नहीं रह सकती।
कबीर ने उसका कंधा पकड लिया.
कबीर: तुम्हें बताना होगा — वो कौन है? जिस पर भरोसा करूँ, वही गद्दार. कौन?
रीना की आँखों से आँसू बहे. उसने होंठ खोले ही थे कि अचानक गोली चलने की आवाज आई. रीना जमीन पर गिर गई.
नूरा चीख पडी.
कबीर ने चारों तरफ देखा — अंधेरे में कोई छिपा हुआ था. उस छाया ने सिर्फ एक वाक्य कहा और गायब हो गई —
पिंजरा टूटेगा, लेकिन ताले की चाबी मेरे पास है।
कबीर रीना का सिर अपनी गोद में रखकर कांप रहा था. उसकी आँखों में आँसू और दिल में जलते सवाल थे.
दृश्य चार: गहराता रहस्य
महल में लौटकर जब उसने सबको बताया तो माहौल और भारी हो गया. वेरिका की आँखों में डर था, सारा का चेहरा सफेद.
सारा: अगर रीना सही कह रही थी. तो गद्दार यहीं है. हमारे बीच।
कबीर ने गहरी सांस ली.
कबीर: अब हमें शक करना होगा हर किसी पर. चाहे वो दोस्त हो, या परिवार. क्योंकि पिंजरे की चाबी अब भी गायब है।
क्लिफहैंगर
कैमरा धीरे- धीरे महल के अंदर घूमता है. हर चेहरा दिखता है — सारा, वेरिका, समीर, मीना, अली. हर कोई रहस्य में डूबा हुआ.
फिर स्क्रीन काली होती है और सफेद अक्षर उभरते हैं:
सोने का पिंजरा — अगला अध्याय: गद्दार कौन?
सोने का पिंजरा: अगला सीन
गद्दार का चेहरा”
दृश्य एक: महल की बैठक
रात गहरी थी. बाहर तूफान चल रहा था, बिजली की गडगडाहट से महल की दीवारें कांप रही थीं. महल के विशाल हॉल में सब इकट्ठे थे — कबीर, नूरा, वेरिका, सारा, समीर, मीना, अली और कुछ पुराने गार्ड. सबके चेहरों पर चिंता की परछाईं थी.
कबीर मेज के सिर पर खडा था. उसके हाथ में वही वीडियो टेप की कॉपी थी जिसमें अरमान की आवाज गूँजी थी.
कबीर:
तुम सबने सुना. अरमान ने साफ कहा है — गद्दार हमारे बीच है. और अब हमें सच का सामना करना होगा. चाहे वह कितना भी दर्दनाक क्यों न हो।
सन्नाटा गहरा गया. हर कोई एक- दूसरे को देख रहा था, मानो शक की परछाईं हर चेहरे पर उतर आई हो.
दृश्य दो: शक की चिंगारी
वेरिका अचानक उठ खडी हुई.
वेरिका:
मुझे सबसे ज्यादा शक फैज पर है. वह अरहान का सबसे करीबी था, और अब दुश्मनों के साथ मिला. अरहान महीनों से लापता है, और फैज महल पर हमला करता है? क्या यह संयोग हो सकता है?
समीर ने तुरंत विरोध किया.
समीर:
नहीं! हो सकता है फैज को मजबूर किया गया हो. असली गद्दार कोई और है, जो पर्दे के पीछे सब चला रहा है।
मीना ने गहरी सांस ली.
मीना:
समीर, तुम्हें इतनी चिंता क्यों हो रही है? तुम हर बार फैज के लिए सफाई क्यों देते हो? कहीं तुम.
समीर चौंक पडा. उसके चेहरे का रंग उड गया.
समीर:
मीना! तुम मुझ पर शक कर रही हो?
मीना की आँखों में आँसू थे.
मीना:
मैं चाहकर भी नहीं करती. लेकिन हालात मुझे मजबूर कर रहे हैं।
दृश्य तीन: अरमान का आगमन
अचानक दरवाजा धडाम से खुला. भीतर आया वही शख्स, जिसका नाम अब तक रहस्य में था — कमिश्नर अरमान.
उसकी वर्दी गीली थी, चेहरा गंभीर.
अरमान:
काफी हो गया. अब खेल मेरे हाथ में है. अगर तुम सच जानना चाहते हो, तो मुझे सुनना होगा।
सबकी आँखें उसकी ओर टिक गईं.
कबीर:
तुम्हारा नाम बार- बार दुश्मनों की फाइलों में क्यों आ रहा है? रीना की मौत से ठीक पहले भी तुम्हारा नाम लिया गया. सच बताओ, अरमान — तुम Kiss तरफ हो?
अरमान की आँखों में अजीब चमक थी. उसने धीरे से कहा —
अरमान:
मैं उसी तरफ हूँ, जहाँ सच है. लेकिन जिस गद्दार को तुम ढूंढ रहे हो. वह मेरे बहुत करीब है. और तुम्हारे भी।
दृश्य चार: तिजोरी का रहस्य
अरमान ने जेब से एक पुराना नक्शा निकाला.
अरमान:
ये किले की तिजोरी का दूसरा हिस्सा है. उसमें वह दस्तावेज है जो असली गद्दार का नाम बताएगा. लेकिन याद रखना — उसे खोलते ही खून बहेगा. क्योंकि जिसने भी पिंजरा बनाया है, उसने उसमें मौत का ताला भी डाला है।
कबीर ने नक्शा लिया. उसके हाथ काँप रहे थे, पर आँखों में दृढता थी.
कबीर:
खून से डर कर हम पीछे नहीं हट सकते. हमें सच्चाई चाहिए।
दृश्य पाँच: रहस्यमय सुराग
रात के अंधेरे में सब नक्शे के मुताबिक किले की गहराई तक पहुँचे. वहाँ दीवार में छिपा एक और दरवाजा मिला.
जब उसे खोला गया, तो अंदर से पुरानी फाइलें और एक डायरी निकली. डायरी पर सुनहरी लिखावट थी —“ सोने का पिंजरा”
कबीर ने डायरी खोली. पहले ही पन्ने पर लिखा था:
जिसे सबसे अधिक भरोसा करोगे, वही सबसे बडा गद्दार होगा।
सारा ने काँपते हुए कहा —
सारा:
ये. ये तो हमारे लिए लिखा गया है।
नूरा ने आगे का पन्ना पलटा. उसमें तस्वीरें चिपकी थीं — विराज के परिवार की, अरहान की, वेरिका की. और सबसे अंत में समीर की तस्वीर पर लाल गोला बना था.
सभी की साँसें थम गईं.
मीना( चीखते हुए)
नहीं! ये झूठ है! समीर गद्दार नहीं हो सकता!
कबीर ने समीर की तरफ देखा. उसकी आँखें सवाल कर रही थीं.
कबीर:
समीर, अब सच बोलो. क्या तुम इस सबमें शामिल हो?
दृश्य छह: समीर का इकरार
समीर के होंठ काँप रहे थे. उसने धीरे- धीरे सिर झुका लिया.
समीर:
मैं. मैं गद्दार नहीं हूँ. लेकिन. हाँ, मैंने पिंजरे वालों के लिए काम किया. मजबूरी थी. उन्होंने मेरी माँ की जान को खतरे में डाल दिया था. अगर मैं उनकी बात न मानता, तो.
उसकी आँखों से आँसू बह निकले.
समीर( रोते हुए)
मैंने सोचा था, बस जानकारी दूँगा. किसी को नुकसान नहीं पहुँचेगा. लेकिन ये खेल बहुत बडा था. अब मैं फँस गया हूँ. मुझे माफ कर दो।
मीना ने उसे गले से लगा लिया, मगर उसके चेहरे पर गहरा दुख था.
दृश्य सात: असली गद्दार अब भी छिपा
अरमान ने जोर से कहा —
अरमान:
समीर सिर्फ मोहरा था. असली गद्दार अभी भी हमारे बीच है. जिसने इसे इस्तेमाल किया, वही सबसे बडा खिलाडी है।
सन्नाटा छा गया. सब एक- दूसरे को देखने लगे.
अचानक किले की छत से आवाज आई — ठहाकों की गूंज. एक नकाबपोश वहां खडा था.
नकाबपोश:
आखिरकार तुम सच के करीब पहुँचे, कबीर. पर याद रखो — असली गद्दार का चेहरा तब सामने आएगा, जब सोने का पिंजरा टूटेगा. और उस दिन तुम्हारी दुनिया बिखर जाएगी।
इतना कहकर वह अंधेरे में गायब हो गया.
कबीर ने मुट्ठियाँ भींच लीं. उसकी आँखों में आग जल रही थी.
कबीर:
चाहे जो भी हो. मैं उस पिंजरे को तोडकर रहूँगा. और गद्दार को बेनकाब करूँगा।
क्लिफहैंगर
कैमरा धीरे- धीरे समीर के आँसुओं, मीना की चीख, वेरिका की चिंता और कबीर की जलती आँखों पर घूमता है.
बिजली की गडगडाहट के बीच स्क्रीन काली होती है.
सफेद अक्षरों में उभरता है:
सोने का पिंजरा — अगला अध्याय: असली खिलाडी कौन?
रात के तीसरे पहर शहर की सुनसान गलियों में हल्की धुंध तैर रही थी. हवा में नमी थी और अँधेरा इतना गहरा कि हर कदम किसी रहस्य की ओर ले जाता. उसी धुंध में, एक टूटी- फूटी चौकी के पास, फटे कपडों में बैठा एक भिखारी लोगों से रोटी और सिक्कों की गुहार लगा रहा था.
लेकिन उस चेहरे पर जो थकान दिख रही थी, वो नकली थी. उसकी आँखें तेज थीं, सोच गहरी थी, और चाल में शिकार पर नजर रखने वाले शिकारी की झलक. वही कबीर था—जिसे लोग शहर का गरीब समझते थे, मगर असल में वो दौलत, ताकत और शोहरत से भरे उस साम्राज्य का वारिस था जिसे दुनिया“ सोने का पिंजरा” कहती थी.
कबीर की परछाईं
कबीर ने उस रात भिखारी का कटोरा एक तरफ रख दिया. उसके पीछे की पुरानी दीवार में लगी ईंट हटी और अंदर से लोहे की सीढियाँ नीचे उतरने लगीं. वो झुककर उस गुप्त रास्ते से भीतर गया. नीचे एक शानदार तहखाना था, जिसकी दीवारों पर सोने के नक्काशीदार लैंप झिलमिला रहे थे.
यह तहखाना उसका असली घर था. वहाँ फटे कपडे नहीं, बल्कि सोने और हीरे से जडे दस्तावेज, पेंटिंग्स और हथियार रखे थे. मेज पर शाही खानदान की मोहर पडी थी—जिसका वारिस वही था.
कबीर ने शीशे में खुद को देखा. भिखारी का रूप हटाकर उसने अपनी असल शख्सियत पहचानी—तेज नजरें, रौबदार चेहरा और अदृश्य ताकत.
दुनिया मुझे रोटियों के टुकडे के लिए तरसता समझती है. लेकिन असलियत ये है कि पूरा खेल मेरी मुट्ठी में है।
सेरिन की आहट
उसी वक्त दरवाजे पर धीमी आहट हुई. कबीर पलटा. सामने सेरिन खडी थी—उसकी आँखों में बेचैनी और दिल में अजीब- सी उलझन.
कबीर. कब तक तुम ये खेल खेलते रहोगे? एक तरफ भिखारी बनकर गलियों में रहना और दूसरी तरफ इस पिंजरे के असली मालिक बनना. आखिर सच का सामना कब करोगे?
कबीर ने हल्की मुस्कान दी.
सेरिन. सच वो नहीं जो दुनिया देखे. सच वो है जिसे छुपाकर सही वक्त पर इस्तेमाल किया जाए. और वो वक्त अभी नहीं आया।
सेरिन ने उसकी ओर कदम बढाया.
लेकिन इस खेल में तुम अकेले नहीं हो. कोई है जो तुम्हारी हर चाल पर नजर रख रहा है. वो चाहता है कि तुम्हारी पहचान सबके सामने उजागर हो जाए।
कबीर की आँखें सख्त हो गईं.
मुझे पता है. लेकिन उस गद्दार की असली सूरत भी ज्यादा देर छिपी नहीं रहेगी।
जियाना की परछाईं
शहर के दूसरे कोने पर, एक आलीशान हवेली में, जियाना दर्पण के सामने बैठी थी. उसकी उँगलियों में हीरे जडे छल्ले चमक रहे थे. उसने धीमी आवाज में कहा—
कबीर सोचता है कि वो अकेला खिलाडी है. लेकिन इस शतरंज की बिसात पर उसकी हर चाल मैं देख रही हूँ. ‘सोने का पिंजरा’ अगर उसका है, तो उसकी चाबी मेरे पास होगी।
उसके पीछे खडे दो नकाबपोश लोग सिर झुकाए खडे थे.
तैयारी करो, जियाना ने आदेश दिया. हमें कबीर की असली पहचान सबके सामने लानी है. लेकिन उस तरह नहीं जैसे वो सोचता है. हम उसकी ताकत को उसके खिलाफ इस्तेमाल करेंगे।
जेरेफ का षड्यंत्र
इसी बीच जेरेफ एक अँधेरे कमरे में नक्शे पर झुका हुआ था. उसके चेहरे पर खतरनाक मुस्कान थी.
कबीर. तुम अपने आप को इस पिंजरे का मालिक समझते हो, लेकिन असली मालिक वही होगा जो इसे खून से रंग देगा. तुम्हारे पास दौलत है, लेकिन मेरे पास वो रहस्य है जो तुम्हारे साम्राज्य को मिटा देगा।
उसने मेज से एक पुरानी तसवीर उठाई. उसमें कबीर अपने असली रूप में खडा था—शाही लिबास में, ताकत और रौब से भरा.
अब ये तस्वीर सबके सामने आएगी. और तुम्हारा खेल खत्म।
जारिन खान की चाल
वहीं दूर, रेगिस्तानी हवाओं के बीच बने महल में, जारिन खान ने अपनी अंगूठी पर जडा लाल पत्थर चमकाया.
सोने का पिंजरा. सदियों से हमारे खानदान की आँखों की किरकिरी रहा है. कबीर को लगता है कि वो अकेला मालिक है, लेकिन उसे पता नहीं—इस खेल की असली Door मेरे हाथ में है।
उसकी आवाज गूँज उठी—
कबीर को ये पिंजरा विरासत में मिला है. लेकिन इसे तोडकर मैं ही साबित करूँगा कि असली ताकत किसके पास है।
टकराव की शुरुआत
अगले दिन शहर के बाजार में अजीब- सा माहौल था. कबीर हमेशा की तरह फटेहाल भिखारी बनकर वहीं बैठा था. लोग उसे अनदेखा करते हुए गुजर रहे थे. लेकिन उसी भीड में सेरिन उसके पास आई और धीरे से फुसफुसाई—
तुम्हें आज रात मिलना होगा. जियाना और जेरेफ ने तुम्हारे खिलाफ बडा खेल रचा है. अगर देर हुई तो तुम्हारी पहचान सबके सामने आ जाएगी।
कबीर ने कटोरे में सिक्का डालने का बहाना किया और सेरिन की आँखों में झाँका.
तो खेल शुरू हो चुका है.
रहस्य गहराता है
रात होते ही हवेली के तहखाने में एक गुप्त बैठक हुई. कबीर, सेरिन और उसके भरोसेमंद लोग वहाँ मौजूद थे. कबीर ने दीवार पर लगी पुरानी तसवीर निकाली—वही तसवीर जिसमें उसका शाही रूप दर्ज था.
ये तसवीर अगर बाहर गई, तो मेरा भिखारी रूप खत्म हो जाएगा. और इसके साथ ही वो खेल भी खत्म हो जाएगा, जिसके लिए मैं सालों से जी रहा हूँ।
सेरिन ने धीमी आवाज में कहा—
लेकिन कबीर. कब तक तुम अपनी असलियत छुपाते रहोगे? जियाना और जेरेफ किसी भी हद तक जा सकते हैं. और जारिन खान. वो तो तुम्हारा खून बहाने को तैयार बैठा है।
कबीर ने अपनी मुट्ठी भींची.
तो फिर अब वक्त आ गया है कि ‘सोने का पिंजरा’ का सच सामने आए. लेकिन मेरे तरीके से।
कबीर रात के अँधेरे में उस पुराने खंडहर जैसी झोपडी के बाहर बैठा था. फटे कपडे, गंदा कम्बल और हाथ में टूटा हुआ प्याला—हर किसी की नजर में वह बस एक भिखारी था. लेकिन उसके ठहरे हुए चेहरे और आँखों की गहराई में वो ठंडापन छिपा था जिसे कोई समझ नहीं सकता था. उसकी नजरों के पीछे छुपा था शाही रुतबे का राज, जिसे दुनिया भुला चुकी थी.
वहीँ पास, परछाइयों में सेरिन खडी थी. उसकी आँखें तेज और सवालों से भरी हुई. कब तक ये खेल खेलोगे कबीर? उसने धीमी आवाज में कहा.
कबीर ने उसकी तरफ देखा, होंठों पर हल्की मुस्कान उभरी. जब तक सच सामने लाने का वक्त नहीं आता, सेरिन. अभी नहीं।
अचानक अँधेरे से कदमों की आहट गूँजी. जियाना अंदर आई, उसके चेहरे पर गुस्सा और बेचैनी दोनों थे. हम पर शक किया जा रहा है. जरेफ और उसके लोग पास आ गए हैं. अगर तुम्हारी असली पहचान सामने आ गई तो सब बर्बाद हो जाएगा।
कबीर ने अपने गले में छुपी हुई सोने की चेन को छुआ, जिसके साथ पुराना राजसी निशान लटक रहा था. यह वही निशानी थी जो उसकी असली शाही विरासत की पहचान थी—वो विरासत जिसके लिए दुश्मन भी प्यासे थे.
तभी दूर से गाडियों के हॉर्न और गार्ड्स की आवाजें सुनाई दीं. जारिन खान अपने काफिले के साथ वहाँ पहुँच चुका था. उसका अंदाज हमेशा की तरह शानो- शौकत भरा था. चमचमाती कारें, हथियारबंद आदमी, और उसके चेहरे पर घमंडी मुस्कान.
जारिन ने कबीर को घूरते हुए कहा—" भिखारी. या आमिरजादा? तुम्हारी आँखें सब बयां कर देती हैं. लेकिन खेल अभी शुरू हुआ है।
सेरिन, जियाना और जेरेफ तीनों के चेहरे तमतमा उठे. सवाल हवा में तैरने लगे—
क्या जारिन को सच का सुराग मिल चुका था?
कबीर कब तक अपनी असली पहचान छुपा पाएगा?
और असली गद्दार कौन था—घर के भीतर का कोई अपना या बाहर का कोई दुश्मन?
अँधेरे में गूँजते ये सवाल ही" सोने का पिंजरा" की असली जंजीर थे.
कबीर ने धीरे से सिर उठाया. उसकी आँखें अब भिखारी की नहीं, बल्कि बादशाह की लग रही थीं. जारिन खान उसकी ओर बढा, लेकिन तभी जरेफ बीच में आ गया.
ये खेल तुम्हारे समझ से बाहर है, जारिन, जरेफ ने ठंडी आवाज में कहा.
सेरिन की आँखें कबीर पर टिक गईं—वो जैसे पहली बार उसकी असली परत देख रही थी. तुम आखिर छुपाना क्या चाहते हो, कबीर?
क्या जारिन ही असली दुश्मन था या किसी और ने चाल चली थी?
कबीर की असली ताकत अब सामने आएगी या फिर वो रहस्य और गहराएगा?
सोने का पिंजरा" अब और भी तंग लगने लगा था.
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