Apna bana le Piya - 4 in Hindi Love Stories by Namita Shrivas books and stories PDF | अपना बना ले पिया - 4

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अपना बना ले पिया - 4

अब आगे...


राघव आरव को ले कर वहां से जा चुका था। वही वैदेही उसे जाते हुए देख रही थी।  उसका मन पूरी तरह से भारी हो चुका था । उसने अपने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसके ससुराल में उसका पहला दिन ऐसा होगा ... । वो उदास थी।  लेकिन घर के सभी लोग भी बहुत परेशान थे।  खास कर के मीनाक्षी जी ... वो ही वैदेही को पसंद करके लाई थी। और उस से कहा था कि उसे यहां किसी तरह की तकलीफ नहीं होगी।  लेकिन वो देख चुकी थी कि एक ही दिन में वो किस तरह से तकलीफों से घिर चुकी थी। 

लेकिन तभी वैदेही सबकी ओर देखती है और कहती है ," अरे मै तो भूल ही गई ... मैने हलवे के साथ खीर भी बनाई है।  मै अभी ले कर आती हूं । "

उसकी आवाज से उदासी जैसे गायब ही हो चुकी थी ऐसा लग रहा था कि अभी जो भी हुआ उसका उसे कोई फर्क ही न पड़ा हो ... । वो मुस्कुराते हुए किचन की ओर जाने लगती है बाकी सब उसे हैरानी से देखने लगते है । मीनाक्षी जी को थोड़ी फिकर होने लगती है इसलिए वो उसके पीछे चली जाती है।  

किचन में वैदेही सबके लिए अलग अलग कटोरी में खीर निकालती है और उसे ट्रे में सजा कर बाहर आने के लिए मुड़ती है लेकिन जैसे ही वो देखती है कि मीनाक्षी जी वही खड़ी हुई है तो वो कहती है ," आप यहां क्यों आ गई ? मै बस आ ही रही थी।  अंकल तो मीठा नहीं लेंगे न ... मैने उनके लिए खीर नहीं निकाला है ।"

उसकी बाते सुन कर मीनाक्षी जी और बुरा लगता है वैदेही बहुत ही ज्यादा कोशिश कर रही थी नॉर्मल दिखने की।  मीनाक्षी जी उसके पास आती है और उसके कंधे पर हाथ रख कर कहती है ," बेटा तुम ठीक तो हो न ? "

वैदेही हलका सा मुस्कुरा कर सिर हिला देती है जिसे देख कर मीनाक्षी जी कहती है ," बेटा देखो मुझ से छुपाने की जरूरत नहीं है।  मै जानती हूं राघव की उस हरकत ने तुम्हे तकलीफ दी होगी।  उसे थोड़ा वक्त लगेगा इस रिश्ते को अपनाने में । लेकिन इन सब में तुम्हारे साथ नाइंसाफी होगी।  मुझे तो समझ नहीं आ रहा है कि क्या करूं ?"

उनकी आंखे भर आती है वही वैदेही उन्हें प्यार से कहती है ," अगर उन्हें वक्त लगेगा तो हम इंतजार कर सकते है।  लेकिन ये जरूरी नहीं कि हम उदासी के साथ ये सब करें .. । मै जानती हूं आप लोगों लग रहा होगा कि किस तरह की लड़की है जिसे बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ा कि उसका पति उस पर इतना चिल्ला कर गया है।  लेकिन अब तो आप सब मेरी फैमिली का हिस्सा है आप अंकल , चाचा जी चाची जी और देवर जी भी ... फिर आप सबकी खुशी का भी ध्यान रखना होगा। इसलिए मैने सोचा है कि अगर उन्हें सब कुछ एक्सेप्ट करने में वक्त लगेगा तो हम इंतजार करेंगे लेकिन ऐसे नहीं।  सब साथ में और खुशी के साथ ।"

वैदेही की समझदारी भरी बाते सुन कर मीनाक्षी जी से रहा नहीं जाता। वो आगे बढ़ कर उसे गले से लगा लेती है।  वो रोते हुए कहती है ," तुम्हे शादी के पहले ही दिन बता दिया कि मेरा फैसला कितना सही है।  Thank you बेटा... । "

वैदेही बस हल्का सा मुस्कुरा देती है 

इधर राघव आरव के स्कूल की ओर बढ़ रहा था उस वक्त दोनो बैक सीट पर बैठे हुए थे और आरव बार बार उसकी ओर ही देख रहा था।  राघव के हाथ में एक फाइल थी लेकिन उसका ध्यान फाइल में नहीं लग रहा था।  उसके दिमाग के बार अब वैदेही आ रही थी।  उसे ऐसा लग रहा था कि वैदेही जान बुझ कर वो सारी चीजे करने की कोशिश कर रही है जिसने वो आरती की यादों को मिटा सके।  जो कि राघव कभी नहीं होने देने वाला था ।

तभी आरव कहता है ," डैडी आपने मम्मा के साथ वैसा क्यों किया ? वो बहुत अपसेट हो गई थी ... । "

उसके मुंह से मम्मा वर्ड सुन कर राघव गुस्से से लाल हो जाता है लेकिन वो आरव पर चिल्लाना नहीं चाहता था आखिर वो आरती की आखिरी निशानी थी।  इसलिए वो अपने गुस्से को थोड़ा कंट्रोल करके कहता है ," बेटा देखो वो आपकी मम्मा नहीं है ... आप उन्हें मम्मा कह कर मत बुलाना। आपकी बस एक मम्मा है आरती मम्मा ..   उसके अलावा कोई आंटी आपकी मम्मा नहीं बन सकती है ।"

ये बात सुन कर आरव कहता है ," क्यू ? वो भी मेरी मम्मा है।  दादी ने मुझे बताया कि जब आप दोनो को शादी हो जाएगी तो वो भी मेरी मम्मा बन जाएगी।  और अब आप दोनो की शादी तो हो चुकी।है इसलिए वो मेरी मम्मा है और मैं उन्हें मम्मा कह कर ही बुलाऊंगा । "

राघव गुस्से से मुट्ठी कस लेता है और खुद से कहता है ," ये मॉम ने भी मेरे बेटे की आदतें बिगाड़ रखी है।  मुझे पहले ही इक दोनो को दूर रखना चाहिए था।  लेकिन अभी भी देर नहीं हुई है । अब से मैं किसी को आरव के साथ नहीं रहने दूंगा । "

वो फिर से अपनी फाइल की ओर देखने लगता है । लेकिन इस बीच वो भूल गया था कि वो आरव को उसकी ही फैमिली से दूर करने के बारे में सोच रहा है।  इस वक्त उसके दिमाग में बस यही चल रहा था कि वो किसी भी कीमत पर आरव को और वैदेही को एक दूसरे के पास नहीं आने देगा।  

कुछ देर के बाद राघव ऑफिस पहुंच जाता है और काम में बिजी हो जाता है। ।इधर वैदेही भी काम में बिजी हो जाती है और सभी से बात करने लगती है।  धीरे धीरे शाम हो जाती है और वेदांत जो घर के लिए निकल रहा था अचानक ही उसकी नजर राघव के केबिन पर जाति है वो देखताभाई की राघव अब तक नहीं गया है।  

वो खुद से कहता है ," आखिर भाई ऐसा क्यों कर रहे है ?"

वो न में सिर हिलाता है और उसके केबिन की ओर जाने लगता है इतना तो वो भी जानता था कि इस वक्त राघव को देर तक काम नहीं करना चाहिए। कोई घर पर उसका इंतजार कर रहा होगा।  लेकिन राघव कभी किसी की नहीं सुनता था।  

वो केबिन का डोर नॉक करता है और दरवाजा खोल कर अंदर जाता है तो देखता है कि राघव के हाथ अभी भी कंप्यूटर पर चल रहे है।  वो धीरे से कहता है ," भाई आप घर के लिए नहीं निकल रहे है ?"

राघव बिना उसकी ओर देखे कहता है ," तुम जाओ मुझे थोड़ी देर हो जाएगी। "

" लेकिन भाई ... वेदांत कुछ और कहना चाहता था लेकिन उसके पहले ही राघव गुस्से से कहता है ," तुम्हे एक बार में सुनाई नहीं देता क्या ? जाओ यहां से ..  । "

उसकी दांत सुन कर वेदांत का मुंह बन जाता है लेकिन वो कुछ नहीं कर सकता था।  आखिर वो उसका बड़ा भाई था।  इसीलिए उसे चुपचाप से जाना पड़ता है।  उसके जाने के बाद राघव गुस्से में की बोर्ड पर हाथ चलाने लगता है वो बात अलग थी कि वो कुछ टाइप नहीं कर रहा था।  वो गुस्से में कुछ देर तक उस पर हाथ चलाता है और फिर उसे दूर हटा कर चेयर पर लीन हो कर बैठ जाता है ।

वो जानता था ये सब इसलिए हो रहा है क्योंकि वो वैदेही उसको लाइफ में आई है वरना वो जो भी करता मिली उसे नहीं रोकता था उसे बहुत ही ज्यादा गुस्सा आ रहा था । वो फिर से अपना काम करने की कोशिश करता है और काफी देर तक ऑफिस में ही रहता है । 

आधी रात को राघव घर के लिए निकलता है क्योंकि वो किसी की शक्ल देखना नहीं चाहता था खास कार्बको वैदेही की ... । वो इस वक्त भी गुस्से में था।  कुछ देर के बाद वो घर पहुंच जाता है वो देखता है कि घर ने हर ओर ही लाइट्स ऑफ है लेकिन किचन की जली हुई है।  

तभी उसकी नजर एक लड़की पर जाति है जो किचन से निकल रही थी।  ये कोई और नहीं वैदेही ही थी उसे देख कर राघव की आंखे छोटी हो जाति है । वो जिसे नहीं देखना चाहता था आखिर वो ही उसे पहले दिख गई । वैदेही उसके पास जाति है और कहती है ," काफी लेट हो गया आपको ..  । आप फ्रेश हो जाइए मैं आपके लिए खाना लगा देती हूं। "

इतनी देर तक जगने के बाद भी वैदेही की आवाज में कोई थकावट नहीं थी न ही उसका चेहरा मुरझाया हुआ था।  ऐसा लग रहा था कि वो सुबह से अब तक ऐसी ही है। राघव उसे देखता है फिर उस से नज़रे फेर लेता है।  वो वैदेही को बिना जवाब दिए आरव के कमरे की ओर बढ़ने लगता है।  

तभी वैदेही कहती है ," आरव काफी पहले ही सो चुका है .. । वो आपका वोट कर रहा है लेकिन आप नहीं आए तो आपकी मॉम ने कहा कि उसे सुला देना चाहिए।  इसलिए मैने उसे सुला दिया।  "

वो मुस्कुरा कर राघव की ओर देखती है लेकिन उसकी ये बात सुन कर राघव का गुस्सा बढ़ जाता है।  वो आपकी मुट्ठी कस लेता है और वैदेही को गुस्से से देखने लगता है ।

कंटिन्यू...