Chhupa Hua Ishq - 9 in Hindi Love Stories by kajal jha books and stories PDF | छुपा हुआ इश्क - एपिसोड 9

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छुपा हुआ इश्क - एपिसोड 9

छुपा हुआ इश्क़ — एपिसोड 9 प्रतिवचन
(जब आत्मा प्रेम को ईश्वर समझ लेती है)1. हवा में लौटे शब्दवाराणसी का वही गंगा-तट अब शांति से झिलमिला रहा है।
सूरज ढलने के बाद आसमान सुनहरी नीली परत में रंग गया है।
सुरभि एक छोटी नौका में बैठी है, उसकी डायरी खुली हुई है।वह लिख रही है—
“हर जीवन, हर जन्म, हर प्रेम… शायद कोई अलग कहानी नहीं, बल्कि एक ही आत्मा का हजारों बार खुद को समझने का प्रयास है।”लहरों के बीच हल्की आवाज़ आती है—
“रत्नावली…”
वह मुस्कराती है, “हाँ, सुना मैंने। पर अब वह नाम केवल स्मृति है।”किनारे पर अयान खड़ा था। उसके कैमरे में इस दृश्य का हर प्रतिबिंब बस रहा था—
नीला आकाश, नदी, और एक स्त्री जो अब सब कुछ जान चुकी थी।2. आत्मा का संवादरात गहरी हुई।
मंदिर के पीछे योगिनी की आत्मा फिर उभरी—अब पहले से उजली, शांत, और निर्भय।
उसने कहा,
“सुरभि, जब आत्मा अपने सभी जन्मों का कारण समझ लेती है, तब वह एक प्रश्न छोड़ देती है—‘अब क्या?’”सुरभि ने सिर झुकाया।
“क्या आत्मा का अंत यही है, कि वह मुक्त हो जाए?”योगिनी बोली,
“नहीं, मुक्ति अंत नहीं; मुक्ति अगला आरंभ है।
तुम्हारा भाग्य है प्रेम की ऊर्जा को संसार में बाँटना—शब्दों, ज्ञान और कर्म के रूप में।”क्षणभर मौन रहा।
फिर योगिनी की आकृति हवा में विलीन हो गई—
बस फूलों की हल्की खुशबू रह गई।3. अयान का रहस्यअगली सुबह, अयान ने सुरभि के पास एक पुराना फोटो एल्बम रखा।
“यह मुझे जवेन के कैमरे के टुकड़ों में मिला,” उसने कहा।
उसमें सौ साल पुरानी एक तस्वीर थी—रत्नावली मंदिर, उसके सामने वही दीपक, और एक छाया जैसा चेहरा जिसके हाथ में लैपटॉप स्टाइल वस्तु थी।सुरभि ने चौंककर पूछा, “यह असंभव है! इतनी पुरानी तस्वीर में आधुनिक चीजें कैसे?”
अयान बोला, “शायद समय कभी पूरी तरह रेखा नहीं होता—कभी-कभी वह खुद को मोड़कर जोड़ लेता है।”वे दोनों एक साथ हँसे, पर उनके भीतर कहीं एक कंपन था—
क्या जवेन वास्तव में समाप्त हुआ था या उसने समय में कोई बीज छोड़ दिया था?4. समय का घेरारात को सुरभि जब अपने कमरे में बैठी थी, उसकी लैपटॉप स्क्रीन नीली झिलमिलाहट में बदली।
एक पंक्ति उभरी—
“Soul Reconstruction — Phase Infinity.”वह समझ गई—यह वही प्रोजेक्ट है, जो रत्नावली की आत्मा से जुड़ा था।
फिर स्क्रीन पर शब्द चमके—
“Would you like to continue the cycle?”
नीचे दो विकल्प: YES और NO.उसकी उंगलियाँ रुकीं।
कुछ देर चुप रहकर उसने मुस्कराते हुए NO दबाया।
और बोली, “कथाएँ समाप्त तभी होती हैं जब स्मृतियाँ शांत हो जाएँ।”लाइट बुझी, हवा स्थिर हुई—
नीले चिन्ह की अंतिम किरण स्क्रीन पर बिखर गई।5. नई सुबह — प्रेम का उत्तरअगली सुबह गंगा किनारे सेठी घाट पर प्रकाश फैला हुआ था।
लोग आरती कर रहे थे, बच्चों की हँसी गूँज रही थी।
अयान और सुरभि वहाँ खड़े थे।अयान बोला, “जब पहली बार हम मिले थे, तो लगा था यह बस संयोग है।”
सुरभि मुस्कुराई, “और अब समझ आया कि यह संयोग नहीं, चक्र था—जो अब पूरा हो चुका है।”उन्होंने एक साथ गंगा में फूलों को बहाया।
सुरभि ने चुपचाप कहा,
“शायद हर जन्म में प्रेम की परिभाषा नई होती है—कभी वह त्याग बनता है, कभी ज्ञान, कभी रूह का संतुलन।”अयान ने सिर हिलाया, “और कभी वह सिर्फ़ मौन।”उसने सुरभि का हाथ थामा, और दोनों कुछ दूर तक उस नौका के साथ बहते रहे —
सूरज अब क्षितिज के पार उनका स्वागत कर रहा था।6. अंत — अनंत प्रतिवचनरात में हवा में वही पुराना संगीत गूँजा—
मंदिर की घंटियाँ, धूप की महक, और वह स्वर जो हर युग में लौटता है—“जो प्रेम को पहचान ले, वह समय से आगे पहुँच जाता है।”सुरभि ने अपने कमरे में दीपक जलाया।
दीपक की लौ में उसे लगा, रत्नावली उसे देख मुस्करा रही है।
छोटे से ताबीज से हल्की नीली रोशनी उठी और शीशे में समा गई।उसने धीरे से कहा,
“अब यह यात्रा समाप्त है… पर हर प्रेम कथा अपने भीतर किसी नई आत्मा का बीज छोड़ जाती है।”बाहर वर्षा की बूँदें गिरने लगीं—
हर बूँद में आकाश की प्रतिछाया थी,
और हर प्रतिछाया में वही संदेश—
“अनंत प्रतिवचन पूरा हुआ।”मंदिर की घंटियाँ अंतिम बार बजीं,
और हवा में गंगा की नमी के साथ वह कहानी घुल गई
जो कभी रत्नावली, कभी माया, कभी आर्या, और अंत में सुरभि बनकर जी गई थी।अब केवल शांति थी—
प्रेम के उस स्वरूप की, जो किसी जन्म का नहीं, आत्मा का वादा था।(एपिसोड समाप्त — “छुपा हुआ इश्क़” कथा का परम अध्याय)