ईशान और तानिया अब तक ऐसे ही एक दूसरे में खोए हुए थे। फिर थोड़ी देर बाद दोनो एक दूसरे से अलग होते है, और अपना सिर एक दूसरे से मिलाकर एक दूजे की आंखों में खोए रहते है। तानिया रोई हुई थी,तो उसकी आंखें थोड़ी भीगी हुई थी, जिसमे वो और भी खूबसूरत नजर आ रही थी। और ईशान के तो पूरे चेहरे का आकर्षण ही कुछ और था, जिसमे तानिया खोई हुई थी। तभी ईशान बोलता है कि;
ईशान - सुनो ना, I love you.
तानिया यह सुनकर फिर से होश में आती है और ईशान से दूर हट जाती है।
तानिया - हमने तुमसे कहा ना कि हमसे ऐसी बातें मत किया करो! हम सिर्फ दोस्त है, समझे ईशान!
यह बोलते हुए तानिया को बहुत बुरा लग रहा था लेकिन उसके पास और कोई ऑप्शन भी नही था!
ईशान को समझ में नही आता है और वो वापस पूछता है कि ;
ईशान - आप मजाक कर रही है ना?
तानिया (नजरें चुराते हुए)- हम क्यों मजाक करेंगे भला? यही सच है, कि हम कभी भी एक नही हो सकते है! हम दोस्त ही अच्छे है!
ईशान - अच्छा, तो अभी जो कुछ भी हुआ, वो भी दोस्ती में होता होगा, मुझे नही पता था! ईशान ने थोड़े गुस्से में बोला, क्योंकि वो फिर से चिढ़ गया था।
तानिया - हम बुरा फील कर रहे थे, तो तुमने सिर्फ हमे कंसोल किया है, इससे ज्यादा कुछ नही! तानिया ने एक एक शब्दों पर जोर देते हुए कहा। यह शब्द ईशान को तीर की तरह लगे थे, और उसकी आंखों में भी आंसू आ गए।
तानिया जैसे ही ईशान की तरफ मुड़ती है, तो देखती है कि उसकी आंखों से आंसू गिरे जा रहे है, जिसे वो छुपाने की कोशिश कर रहा है। यह देखकर उसके दिल में चुभन सी होती है, और वो ईशान के पास जाकर उसके गालों पर हाथ रखकर बोलती है कि;
तानिया - ईशान, तुम रो क्यों रहे हो?
ईशान - कुछ नही! और आपको क्या कि मैं रोऊं या हंसु! ईशान ने तानिया को अपने से दूर करते हुए कहा। आज समझ में आया कि एक तरफा प्यार कितनी तकलीफ देता है। काश, मैं अपने दिल को समझा पाता! और वो जाने लगता है, तभी तानिया उसे पीछे से आवाज लगाकर रोकती है और उसके पास आते ही उसके होठों पर किस कर देती है। लेकिन ईशान फिर भी गुस्से में ही था, तो वो खुद को तानिया से अलग करने की कोशिश करता है। पर तानिया उसे कही नही जाने देती है, तो ईशान उसे सबक सिखाने के लिए इस किस को वाइल्ड रूप दे देता है। ऐसे ही थोड़ी देर दोनो फिर से एक दूसरे में खोए रहते है, फिर अलग हो जाते है। उसके बाद तानिया बोलती है कि;
तानिया - अब भी कुछ कहने की जरूरत है क्या डंबो? बहुत पसंद हो तुम हमे, समझे! पर ईशान इसका जवाब देने की जगह तानिया के कस के गले लग जाता है, और थोड़ी देर दोनो ऐसे ही रहते है। फिर तानिया बोलती है कि ;
तानिया - ईशान, शायद हमे कुछ ज्यादा ही समय हो गया है। चले क्या? उसने सोचते हुए बोला।
ईशान - नही, आज बस ऐसे ही रहने दो ना मुझे! तुम नही जानती कि कितना सुकून मिल रहा है, तुम्हे बाहों में लेकर! और तानिया को और भी कस के गले लगा लेता है, जैसे अपने से कही दूर ना जाने देना चाहता हो! फिर तानिया खुद को ईशान से अलग करती है, और बोलती है कि;
तानिया - घर पर मम्मी पापा आए हुए है, उनसे तो मिले ही नही हम अब तक! तभी उसकी नजर ईशान के चेहरे पर जाती है और वो हंसने लगती है। इधर ईशान की नजर भी तानिया के चेहरे पर जाती है और वो बोलता है कि;
ईशान - ऐसे घर जाओगी तुम, मेरे प्यार की निशानी लेकर!
तानिया यह सुनकर हंसना रोककर खुद को गाड़ी के कांच में देखती है। तभी उसे अपने होठ पर काटने के निशान दिखते है, को साफ साफ सभी को दिख सकते थे।
तानिया - हमारा तो ठीक है, कुछ भी बोल देंगे, तुम एक बार खुद की शक्ल भी देख लेते! तभी वो तानिया को हटाकर उसी कांच में खुद की शक्ल देखता है। उसके होठ पर भी काटने के निशान साफ नजर आ रहे थे, यह देखकर वो बोलता है कि;
ईशान - मेरी वाली तो बदला लेने में एक्सपर्ट है, और तानिया की तरफ देखकर आंख मारता है। यह सुनकर तानिया उसे कंधे पर धीरे से मारती है। फिर कुछ सोचकर बोलती है कि;
तानिया - ईशान, हम गलत तो नही है ना? तानिया ने थोड़ा सीरियस होते हुए पूछा।
ईशान फिर उसके कंधे पर हाथ रखकर बोलता है कि;
ईशान - प्यार करने वाले क्या गलत होते है, तानिया? हमने कोई गलती नही करी है, हम एक दूसरे को पसंद करते है, और यह बात सभी एक दिन समझ जायेंगे! अब तुम फिर से इतना ज्यादा मत सोचने लग जाना!
तानिया - हां, अब चलो, हम पहले तुम्हे ड्रॉप कर देते है, और फिर अपने घर पर चले जायेंगे! उसके बाद तानिया गाड़ी में बैठती है और अपने निशानों को लिपिस्टिक लगाकर छुपाने की कोशिश करती है, यह देखकर ईशान हंस देता है। ऐसे ही हंसी मजाक करते हुए दोनो घर के लिए निकल जाते है।
आचार्य हाउस में;
राजीव जी और सुहाना जी हॉल में सोफे पर बैठे हुए होते है। उन्होंने सब सजावट हटवा दी थी, और किरण को भी चुप करवाकर अपने पास बिठाया था। किरण अब तक कुछ नही बोली थी, और उसे इस तरह दुखी और टूटा हुआ देखकर राजीव जी और सुहाना जी और भी तकलीफ में आ रहे थे। उन्हे अब अपनी गलती का एहसास हो रहा था कि कैसे उन्होंने सिमरन को अपनी बेटी नही बल्कि नौकरानी मानकर अपने पैरो तले रखा! फिर वो याद करते है कि;
उन दोनो की शादी के कुछ साल बाद भी उनके कोई बच्चा नही हो रहा था, तो राजीव जी एक अनाथ आश्रम जाते है और वहां से एक प्यारी सी बच्ची को गोद लेकर आ जाते है। और यह बच्ची कोई और नही बल्कि सिमरन ही थी, जिसे उन्होंने गोद लिया था। सुहाना जी भी सिमरन से मिलकर बहुत खुश होती है। पहले सिमरन को दोनो बहुत प्यार से रखते थे अपनी बेटी की तरह! तब सिमरन बहुत छोटी थी, इसलिए उसे नही पता था कि राजीव जी और सुहाना जी उसके मम्मी पापा नही है। लेकिन दो साल बाद जब किरण इस दुनिया में आई तो सिमरन के लिए उन दोनो का प्यार कम हो गया। वो किरण को अपनी बेटी मानते थे, और उसे सारी खुशियां देना चाहते थे, लेकिन अब सिमरन को चाहकर भी वो खुद की बेटी नही मान पा रहे थे। फिर उन्होंने धीरे धीरे सिमरन को खुद से दूर कर दिया और किरण की तरफ ही सारा प्यार लुटाने लगे! फिर उन्होंने मिलकर तय किया कि वो दुनिया के सामने सिमरन को नही आने देंगे, इसलिए उन्होंने सिमरन को लाइमलाइट से दूर रखा और उसकी पहचान छुपाकर उसे स्कूल में पढ़ाया। इसी तरह उन्होंने हमेशा दोनो में भेदभाव किया, जिसके कारण किरण ने भी यही सब सिखा और उसकी परवरिश सही से नही होने पर आज वो इतनी बुरी बन गई थी।
राजीव जी के मन में यह सब चल रहा होता है, तभी उन्हे कितना के रोने की आवाज आती है, और वो खयालों से बाहर आते है।
किरण - मैने सिमरन दीदी के साथ बहुत गलत किया है, इसलिए आज मुझे यह सजा मिली है! उसने रोते हुए बोलना शुरू किया! उसके दिमाग में अब बचपन से सभी कुछ घूम रहा था कि कैसे सिमरन ने हर जगह उसकी मदद करी थी, और हर जगह उसे सपोर्ट किया था। और उसने क्या किया, सिमरन को धोखा दिया!
राजीव जी - पछतावा तो हमे भी हो रहा है बेटा, पर तुम अपने आप को दोष मत दो, यह हमारी ही परवरिश का नतीजा है कि हम तुम्हे भी अच्छी शिक्षा नही दे सके! किरण फिर खुद को संभालती है और बोलती है कि;
किरण - उस विपिन को मैं चैन से जीने नही दूंगी पापा! उसे मैं बर्बाद करके रहूंगी! पर सबसे पहले मुझे सिमरन दीदी की माफी चाहिए! वो मुझे माफ करेगी ना मम्मी, उसने सुहाना जी की तरफ देखते हुए रोते हुए पूछा।
सुहाना जी यह देखकर बस रोते हुए इतना ही बोल पाती है कि जरूर बेटा! तभी किरण के दिमाग में एक बात आती है और वो अचानक से सोफे से उठ जाती है!
क्रमश :