शायरी सुनाते वक्त आकाश की आंखों के कोनेभीग गए अपने प्यार को यूं किसी ओर का होता देख पाना इतना भी आसान नहीं होता,अपनी ही आंखों के सामने अपने प्यार को किसी ओर का होते हुए देखना अपनी मौत देखने बराबर होता है पर आकाश ने अपनी सारी फीलिंग्स अपने दिल के एक कोने में दबा लिया ओर नीलिमा का हंसता चेहरा याद कर मुस्कुरा दिया।
विष्णु ने आकाश के कंधे पे हाथ रखा और एक प्यारी सी मुस्कान दी मानो मन ही मन कह रहा हो कि में तेरा दर्द समझ सकता हु पर तू टेंशन न ले में तेरे साथ हु।तीनों वहां से चलने लगे चलते चलते ही आकाश ने प्रीतम से कहा अरे भाई यह तक तो पहुंच गया आगे क्या प्लान है? मतलब उसे प्रपोज करना है रिश्ता आगे बढ़ाना है या बस यू ही चलाना है? प्रीतम ने कहा सोच तो में भी कुछ ऐसा ही रहा हु पर समझ नहीं आ रहा क्या ओर कैसे करूं?
उसे उलझन में देख विष्णु ने कहा मेरे पास एक प्लान है अगर तुम कहो तो!आकाश तुरंत बोला अरे प्लान है तो फौरन बताओ वरना प्रीतम से तो कुछ होने से रहा हमे ही कुछ करना होगा।
विष्णु ने कहा तुम उसे किसी बहाने से घर बुलाओ हम घर पर सारा इंतजाम कर देंगे जैसे ही वो आएगी तुम उसे सीधा प्रपोज कर देना !प्रीतम ने कहा आइडिया अच्छा है पर घर पर पापा होंगे तो?विष्णु ने कहा पापा कल बिजनेस मीटिंग के लिए बाहर जाने वाले है मौका अच्छा है और अगर पापा घर पे भी हुए तो हमारा सपोर्ट करेंगे।
आकाश ने कहा अरे वाह इससे अच्छा आइडिया ओर कोई नहीं होंगा,नीलिमा को तुम्हारे घर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी मेरी में उसे लेके आऊंगा।ये सुन प्रीतम ओर विष्णु ने चौंकते हुए आकाश की ओर देखा।आकाश बोला इतना चौंकने की जरूरत नहीं है साथ देने का वादा किया है तो आखिर तक साथ दूंगा।
प्रीतम ओर विष्णु ये सुनकर आकाश के लिए मन ही मन में गर्व महसूस करने लगे।थोड़ी देर की चुप्पी के बाद आकाश बोला तो बताओ प्रीतम नीलिमा को कितने बजे लेकर आऊ? प्रीतम बोला पापा सुबह जल्दी ही निकल जाएंगे तो हम 11 बजे तक सब तैयारी कर लेंगे उसके बाद में तुम्हे कॉल करूंगा लेकिन आकाश तुम नीलिमा से कहोंगे क्या? आकाश ने कहा वो सब तुम मुझ पर छोड़ेदो में सब सम्भाल लूंगा प्रीतम ने कहा ठीक हैं भाई ,फिर वो आकाश के करीब आकर दोनों कंधे पर हाथ रखकर बोला थैंक्यू वेरी मच आकाश दोस्त तो बहुत देखे पर तुम्हारे जैसा ना कोई देखा है ना कोई मिला है यू आर द बेस्ट आकाश यू आर द बेस्ट।ये सुनकर आकाश बोला अब बस कर पगले नीलिमा ने नहीं रुलाया पर तू रुलाएगा ये सुन तीनों साथ ही हंस पड़े।
कल मिलने का वादा कर के सब कॉलेज की छुट्टी के बाद घर चले गए। नीलिमा छत पर जुले में बैठे बैठे प्रीतम को याद कर के दिल ही दिल में खुश हो रही थी और इस तरफ प्रीतम की तो मानो रातों की नींद चैन सबकुछ गायब था उसे बस सुबह का इंतजार था,उसे इंतजार था उस घड़ी का जब अपने सामने नीलिमा खड़ी हो ओर हाथ में गुलाब लेकर घुटनों पर वो बैठा हो ओर वो नीलिमा से पूछे विल यू मेरी मि? ओर शर्मा कर नीलिमा हा केहदे।
इन खयालों में डूबे प्रीतम को देख खिड़की से झांकते विष्णु ओर मनीष मुस्कुरा रहे थे। विष्णु बहुत ज्यादा खुश था अपने भाई प्रीतम के लिए,बचपन से ही उसने अपने लिए कुछ नहीं चाहा पर अपने भाई प्रीतम के लिए वो हर चीज चाही जिससे प्रीतम के चहेरे पर स्माइल आ जाती।
बचपन में जब मनीष दोनों के लिए खिलौने लाता तो विष्णु हमेशा प्रीतम को दे देता अगर प्रीतम को पसंद नहीं आता तो ही विष्णु उसे लेता था और इस बात को मनीष हमेशा नोटिस करता ओर हर बार कोशिश करता की दोनों को समान चीजें ही मिले जिससे उसका दूसरा बेटा उस चीज से वंचित ना रहे।
मनीष अपने दोनों ही बेटो से समान प्रेम करता था,पर विष्णु की इस आदत की वजह से वो थोड़ा चिंतित हो जाता उसने कई बार समझाया कि वो अपने आप को प्रीतम से नीचा न समझे उसके लिए उसका प्यार सही है पर इतना प्रेम सही नहीं की खुद का अस्तित्व मिटा दे तब विष्णु हंसकर कहता पापा वो प्रेम ही क्या जो खुद के बारे में सोचे प्रेम में तो बस सामने वाले के लिए अस्तित्व क्या खुद को ही मिटा दो खुद को लुटा दो।
ये सुन मनीष संतुष्ट हो जाता।दूसरी ओर प्रीतम भी विष्णु पे अपनी जान छिड़कता था,एक पल भी अपने छोटे भाई को अकेला ना छोड़ता जैसे उसके ही शरीर का दूसरा हिस्सा हो और अपने दोनों बेटो को इस तरह प्यार करता देख मनीष निश्चित हो गया था ओर खुश भी था।
दूसरे दिन प्रीतम जल्दी उठ गया,मनीष तब तक जाने के लिए तैयार हो चुका था फिर उसने विष्णु को भी उठाया।उठते ही बोला लड़की को प्रपोज तुझे करना है और नींद मेरी उड़ा रखी है,तभी प्रीतम बोला मेरे राजा तू नहीं उठा तो मेरी हेल्प कौन करेगा इसलिए तू फ्रेश होकर जल्दी से बाहर आजा।
तीनों ने ब्रेकफास्ट किया ओर मनीष अपनी बिजनेस मीटिंग के लिए निकल गया और दोनों भाई तैयारी करने लगे।डेकोरेशन का सारा सामान विष्णु ले आया ओर फिर दोनों अरेंज करने लगे कुछ ही देर में तो पूरा हॉल दुल्हन की तरह सुंदर सजा लिया,प्रीतम ने घड़ी में देखा तो अभी 10 बजे थे।उसे 1 घंटा ओर इंतजार करना पड़ेगा क्योंकि आकाश 11 बजे नीलिमा को लेकर आने वाला था।
इस तरफ आकाश नीलिमा के घर पहुंच गया।आकाश को देख नीलिमा की मम्मी बोली क्या बात है आकाश सुबह सुबह तुम यहां?आकाश ने जवाब देते हुए कहा हा मामी आज एक कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए हमें एक दोस्त के वहां मिलना था तो नीलिमा को साथ लेने आया था नीलिमा की मम्मी ने कहा ठीक है ले जाओ पर जल्दी आ जाना आज सन्डे है तो नीलिमा के पापा ओर में बाहर जाएंगे।