The Complete Story of Incomplete Love - 9 in Hindi Love Stories by Nirali Ahir books and stories PDF | अधूरे इश्क की पूरी दास्तान - 9

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अधूरे इश्क की पूरी दास्तान - 9

प्रीतम नीलिमा के जवाब का इंतजार कर रहा था,पर नीलिमा अब भी कुछ नहीं बोल रही थी तभी अंधेरे में से आकाश की आवाज आई हा बोल दो नीलिमा  प्रीतम सच में तुम्हे बहोत चाहता है और तुम भी तो उसे चाहती हो!तभी विष्णु भी बोला नीलिमा बन जाओ न मेरी भाभी फिर प्रीतम भैया भी नहीं रोक पाएंगे आपको मेरा कण पकड़ने से।

     इन दोनों की बात सुनकर नीलिमा बोली अरे मेरी तो हा ही है तुम लोगो को इतना भी पता नहीं चलता? अगर किसी लड़की की ना होती तो सीधे गाल पर तमाचा आता ओर लड़के की आंख में आंसू होते ना कि लड़की के।
   
     ये सुन प्रीतम खुशी से उछल पड़ा,तभी नीलिमा ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और प्रीतम ने उसे अंगूठी पहना दी।
    
     विष्णु के लाइट चालू करते ही पूरे घर में एक साथ रोशनी छा गई और एक बार फिर फूलों की बारिश हो गई ये देख नीलिमा प्रीतम के सिने से लिपट गई और बोली में भी तुमसे बहोत प्यार करती हु वो भी तुम्हारी तरह पहली नजर से ही पर सोचा नहीं था इतनी जल्दी तुम प्रपोज करोगे। तभी प्रीतम आंखों में हल्के आंसू ओर होठों पर मुस्कान के साथ बोला क्या करता रहा नहीं गया तुम्हारे साथ होकर भी तुम्हारे बिना।

     उन दोनों को लिपटा देख विष्णु तो इतना खुश था मानो उसे उसकी मोहब्बत मिल गई हो पर अब आकाश का सब्र जवाब दे गया था,उसकी आंखों ने अब उसकी एक भी ना सुनी और छलक गई।उसके ना चाहने पर भी आंसू गाल तक आ गए।

     ये देख विष्णु ने उसे गले लगा लिया ओर बोला आकाश में तुम्हारा ये एहसान जिंदगीभर नहीं भूलूंगा इस वक्त जो खुशी मेरे भाई के चेहरे पर है उसकी वजह तुम हो,में तुम्हारा दर्द समझ नहीं सकता पर महसूस जरूर कर सकता हु मेरी भगवान से यही ख्वाहिश है कि तुम्हे भी मेरे भाई की तरह सारी खुशी मिले।

    घर का माहौल भावुक सा हो गया था उसे संभालते हुए आकाश बोला नीलिमा ओर प्रीतम को हमे कुछ देर अकेले छोड़ देना चाहिए क्यू विष्णु?विष्णु ने भी हंसते हुए हामी भरी और बोला हा भाई अब हमारा क्या काम चलो।

    प्रीतम ओर नीलिमा दोनों हंस पड़े वो वही सोफे पे बैठ गए और काफी देर तक बाते की फिर अंदर से आकाश आया और बोला नीलिमा अब हमे चलना चाहिए काफी देर हो चुकी है और मैने मामी से कहा था हम जल्दी आ जाएंगे। 
      
     नीलिमा ने कहा हम्म मुझे भी मम्मा ने बोला था वो बाहर जानेवाले है। तभी प्रीतम बोला पर नीलू में तो बाहर लंच का प्लान बना रहा था हम चारों का!नीलिमा ने कहा लंच नहीं प्रीत हम डिनर के लिए जाएंगे वरना मम्मी पापा को लेट हो जाएंगा जाने में।

     प्रीतम ने कहा ठीक है पर डिनर पे कोई बहाना नहीं चाहिए,ओर ये बात आकाश तुम्हें भी लागू होती है।आकाश ने कहा तुम दोनों अकेले नहीं जा रहे हो? प्रीतम ने बोला नहीं हम चारों जाएंगे।आकाश ने कहा ठीक हैं फिर डिनर पे मिलते हैं।

     नीलिमा ने प्रीतम को हग करके बाय बोला और आकाश के साथ घर के लिए निकल गई।

     घर पहुंचते ही नीलिमा की मम्मी ने बोला आ गए तुम लोग? मुझे तो लगा था देर हो जाएगी।
    
    तभी आकाश बोला ऐसे कैसे देर हो जाती मामी में जो साथ था नीलिमा के क्यू नीलिमा सही कहा ना? तू चुप नहीं रह सकता पागल नीलिमा ने हल्का गुस्सा दिखाते हुए बोला।ये देख आकाश हंस दिया।

    नीलिमा की मम्मी दोनों के चहेरे देख रही थी तभी उसकी नजर नीलिमा के हाथ पर गई उसने नीलिमा की उंगली में प्रीतम की पहनाई अंगूठी देख ली और वो मुस्कुरा दी और बोली आकाश अब तुम क्या करने वाले हो पूरा दिन?
     
     आकाश ने बोला कुछ नहीं मामी वैसे कुछ तय नहीं है क्यू कुछ काम था? 
       हा अगर तुम्हे कोई काम नहीं है तो आज यही रुक जाओ वैसे भी नीलिमा अकेली रहेंगी हम देर रात आएंगे तुम साथ रहोगे तो मुझे भी फिकर नहीं रहेंगी क्यों नीलिमा ?
     नीलिमा जवाब दे उससे पहले उसका मोबाइल बज उठा देखा तो प्रीतम का कॉल था।नीलिमा ने जल्दबाजी में कहा ठीक है आकाश तुम यही रुक जाओ आज ओर अपने कमरे की ओर चली गई।

    नीलिमा की मम्मी खुश हो गई तभी उसके पापा भी वहां आ गए और बोले बेला हमे अब निकालना चाहिए वरना देर हो जाएगी।
    तभी बेला ने कहा हा सुमित में तैयार ही हु और हा आकाश आज यही पर रुकेगा नीलिमा के साथ।सुमित ने कहा ठीक है और आकाश की तरफ देखके बोले ख्याल रखना उसका हम रात तक लौट आएंगे।
     आकाश ने कहा जी मामा आप बे फ़िक्र होकर जाइए में आपके आने तक यही पर हु।
    सुमित ओर बेला आकाश ओर नीलिमा को बाय बोलकर चले गए आकाश ओर नीलिमा घर में अकेले थे।

     तभी आकाश सोफे पर पसर के बैठ गया ओर टीवी का रिमोट उठाकर टीवी चालू कर के टीवी देखने लगा और नीलिमा बाल्कनी में खड़ी होकर प्रीतम से फोन पे बात करने लगी। 

   तभी आकाश ने आवाज दी और बोला अभी हम वही से आ रहे हैं ओर तुम फिर भी फोन पे चिपकी हुई हो कम से कम एक कप कॉफी तो पूछनी चाहिए किसी इंसानको!
    नीलिमा हॉल में आते हुए बोली अब कॉफी का नाम ले ही लिया है तो एक कप मेरे लिए भी बना देना।

    आकाश हैरान होने की एक्टिंग करते हुए बोला वाह क्या जमाना है मेहमान खुद कॉफी बनाए और पिलाए भी। ऐसा बोल दोनों हंस पड़े।
   नीलिमा ने दो कप कॉफी बनाई और दोनों ने साथ साथ पी। कॉफी पीते हुए नीलिमा बोली अच्छा आकाश में डिनर पे कौन सी ड्रेस पहनूं?
    वो दोनों बात कर ही रहे थे तभी दरवाजे की डोरबेल बजी नीलिमा बोली इस वक्त कौन आया होगा मम्मी पापा तो रात को आएंगे?
   आकाश ने बोला दरवाजा खोलोगी तो पता चलेगा कि कौन है मुझसे पूछोगी तो में तो कोई अंतर्यामी नहीं हु जो बतादु।
    नीलिमा खड़ी होकर दरवाजे की ओर आगे बढ़ी दरवाजा खोल ने के लिए