The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
जिंदगी मे बदलाव ------------------------------------ जिंदगी खुबसुरत और बडी लगने लगेगी जब । मै, मेरा, मुझे, मेरे लिए, इन को जगह नही होगी। होगा यहा सब ,अपना, सबका, हर एक के लिए..। दृष्टिकोन को तुम बदलो, छोटीसी ज़िंदगी, छोटीसी दुनिया, बडी बडी खुशियों भरी होगी....। नजर मे बदलाव, सोच मे बदलाव लाने से प्रतिमा निखर जाती है । --------------------------------------------- स्वलिखित रचना कवी अरुण वि.देशपांडे-पुणे
तकदीर से शिकायत नही ------------------------------------ कई चेहरे गुजरे नजर के सामने से, किसी पर यह दिल आया ही नहीं। सोचता था बड़ी सूनी है जिंदगी, कसर कभी कम होगी कि नहीं! एक दिन अलग आया जिंदगी में, पल वो, जब मिले तुमसे भूला नहीं। आँखों ही आँखों में बातें क्या हुई, बातों से कुछ कहना पड़ा ही नहीं। तुम ही बताना, क्या जादू हो गया! दिल कब चुराया तुमने, पता नहीं। दिल खुशी से भर गया है अभी, अकेलेपन का नामो-निशान नहीं। जब से आई हो जिंदगी में तुम, तकदीर से कोई शिकायत नहीं ।। ------------------------------------------------ हिंदी भाषा डॉट कॉम पर प्रकाशित -अरुण वि.देशपांडे-पुणे 9850177342 --------------------------------------------------
कवी अरुणदास लिखित- ।। श्री दत्तगुरूंची आरती ।। त्रिगुणात्मक मूर्ती पाहुनी आनंद दाटला हो मनी दर्शनाची झाली कामनापूर्ती करू या दत्तगुरूंची आरती ।। केला होता संकल्प कधीचा दर्शनासी येईन हो दरबारी दयाळू तुम्ही केली इच्छापूर्ती करू या दत्तगुरूंची आरती ।। नामस्मरणे मन आनंदले निराशेचे जळमट दूर झाले नित्य पडो नजरेस ही मूर्ती करूया श्रीदत्तगुरूंची आरती ।। भक्तवत्सल सद्गुरू तुम्ही कवीअरुणदास विनवणी भक्तांना व्हावी कृपेची प्राप्ती करूया दत्तगुरूंची आरती ।। --------------------------------------------- कवी अरुणदास" अरुण वि.देशपांडे-पुणे ९८५०१७७३४२ -------------------------------------------------
#स्वलिखित रचना कवी-अरुण वि.देशपांडे-पुणे शीर्षक- और थोडी देर.. ----------------------------- दिल की बात कह दू और थोडी देर ठहरो जरा तुम सामने यूं बैठे रहो दिलसे कुछ तो कहो दिल की बात कहूं मै और थोड़ी देर ठहरो जरा हाल मेरा देखलो जरा प्यार महसुस करलो जरा दिन बहार के अब आये है और थोडी देर ठहरो जरा मुझे जबसे प्यार हुवा है दिल मे खयाल तुम्हारा है लगे ना कही ये दिल अभी और थोडी देर ठहरो जरा ----------------------------------------- #स्वलिखित रचना कवी-अरुण वि.देशपांडे-पुणे
सर्वांना रक्षाबंधन शुभेच्छा💐 *********************** दादास राखी बांधते ताई या प्रेमातून नाही होता येत कधी कुणा उतराई.. बहीण-भावाच्या नात्याचे हळवे भावुक गोड प्रतीक राखीचे भाव बंधन आहे .. जपणे आहे नाते मनातून हेही एक नाते बंधन आहे... ******* -अरुण वि.देशपांडे-पुणे 9850177342
सावन की धारा बरसे युहीं. - Arun V Deshpande
चारोळी- सांजवेळ **** मन असतो गुंता भावनांचा त्यास आवडे भावनांचे खेळ विरहाचे क्षण नकोसे वाटे नको नको व्याकुळ सांजवेळ । *****
मन मन को समझना कठिन है वह कभी दोस्त होता है, तो कभी दुश्मन बन जाता है । अब जैसा भी है यह , निभाना तो पड़ेगा ही l - Arun V Deshpande
किसी दोस्त का बहुत दिन के बाद फोन आता है खुशीयाली पुछता है जब वो दिल भर आता है,आंखे नम हो जाती है । -Arun V Deshpande
Copyright © 2025, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser