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अंजाम जानते हुए भी हद-ए-मोहब्बत से गुज़र जाता है, वो खुशबू बनकर मेरी रग-ए-जाँ में बिखर जाता है। वरक़-ए-हयात है वो कुछ इस कद्र हमनवा मेरा, की हर हर्फ़ साँसों में घुल कर ज़हन में उतर जाता है। आखिरी साँस तक भी गुम रहूंगी उसकी यादों में, आईना भी देखूँ तो उसका अक्स उभर आता है। Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️
"तन्हाई की तासीर" कभी हालात, कभी तक़दीर पे रोना आया, दिल में उठी टीस, जब एक तस्वीर पे रोना आया। ख़ामोशी के पर्दों में बहुत दर्द छुपाया मैंने, आज अपनी एक-एक तहरीर पे रोना आया। चेहरे पे ओढ़ लिया मुस्कानों का नक़ाब, अपने शिकस्त दिल के फिर ज़मीर पे रोना आया। ताउम्र नाज़ किया अपनी अख़लाक़-ओ-शराफ़त पे, मगर अब मासूम दिल के बे-तक़सीर पे रोना आया। कुछ दबी ख़्वाहिशों ने जब सांस लेने की सोची, फिर बिगड़ी तक़दीर बनाने की तदबीर पे रोना आया। रात भर चाँद ने समझाया बहुत इस दिल को मगर, अपनी तन्हाई की सोहबत की तासीर पे रोना आया। Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️ तहरीर = लिखी हुई बात, लेखन शिकस्त = टूटा हुआ,, हार खाया ज़मीर = अंतरात्मा अख़लाक़ = अच्छा बर्ताव बे-तक़सीर = बे-क़सूर, बिना गलती तदबीर = कोशिश, उपाय सोहबत = साथ तासीर = असर
"ज़िन्दगी का हाल" ज़िन्दगी का कैसा मैं ये हाल कर बैठी, कितने खराब गुज़रे हुए साल कर बैठी। ये सूनी आँखें, मायूसी, ये बुझती रंगत, फीका चेहरे का नूर-ओ-ज़माल कर बैठी। आईने में अपना अक्स भी अंजाना लगा, ख़ुद से ही अपने वजूद पर सवाल कर बैठी। ख्वाहिशों की आग में खुद को राख़ कर बैठी, एक ख़्वाब को हक़ीक़त का ख्याल कर बैठी। मर ही जाती अग़र कलम ना मिली होती, कज़ा पास दिखी तो फिर अहवाल कर बैठी। "कीर्ति" किस बात का अब मलाल कर बैठी, क्यों आधी रात को ये आँखें लाल कर बैठी। Kirti Kashyap "एक शायरा"✍️
दिल फिर कहीं दिली रहगुज़र से ना गुज़र जाए कहीं, ज़हर-ए-उल्फत कोई मेरे लहू में ना उतर जाए कहीं।
"अज़ब कश्मकश है कि क्या चाहता है, आफ़ताब महताब से उजाला चाहता है।" Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️
"मेरी परेशानी" ज़माने से अदावत, मेरी परेशानी, मोहब्बत से बगावत, मेरी परेशानी। सुकूँ की ना मुझको है कोई चाहत, है आहत से राहत, मेरी परेशानी। उजालों से टूटा है नाता कुछ ऐसे, अंधेरों की सियासत, मेरी परेशानी। हर एक लफ़्ज़ में रहती है तल्ख़ी कोई, ख़ुद अपनी ही इबारत, मेरी परेशानी। रुख़सार पे झलकती है सख़्ती कोई, ये आँखों की नज़ाकत, मेरी परेशानी। ये झूठी तबस्सुम, ये टूटी सी हिम्मत, ये दिल की कराहत, मेरी परेशानी। "कीर्ति" रखती तो है लोगों के तानों का जवाब, मगर विरासत की शराफ़त, मेरी परेशानी। Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️
"ऐ हवा, जा ले जा उस मुल्क़ तक मेरे जज़्बातों की हकीकत, जहाँ कोई समझे मेरी ख़ामोशियों की असल अकीदत।" Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️
हर ख़ामोश लफ़्ज़ किसी जख़्म का गवाह हो रहा है, कलम से निकला हर हरफ़ चीख-चीख कर रो रहा है। Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️
ना कमल मिला, ना गुलाब मिला, मगर चलो रातरानी तो मिली तुम्हें, ना कसमें, ना वादे, ना सौगातें, फिर भी यादों की एक निशानी तो मिली तुम्हें। Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️
कितने अरसे बाद आज वो सज-सँवर के दहलीज़ से गुज़री है, काजल, बिंदी, पायल, कँगना, सादगी में ही कितनी निखरी है। लबों पर बेशक हँसी है, मग़र आँखों में एक उदासी ठहरी है, सबको बस रौनक दिखती है, मग़र भीतर कहीं ख़ामोशी बिखरी है। Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️
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