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"मैं बिखरी तो उसने अपनी हिफ़ाज़त बढ़ा ली, अब एहसासों को भी तिजोरी में महफ़ूज़ रखता है।" Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️
अगर तुम ना मिलते, ख़्वाब ना मिलते, ये अंजाम ना मिलते, अज़ाब ना मिलते, तेरे जाने के बाद अगर सुकूँ मिल जाता कहीं, तो ये ख़लिश ना मिलती, चश्म-ए-आब ना मिलते। Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️
"ख़ामोश लम्हों में अक्सर, तेरी यादें बोल उठती हैं, मैं कुछ कह नहीं पाती, मगर आँखें बोल उठती हैं।" Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️
"वो पागल लड़की" वो लड़की जो कभी डरती थी अंधेरों से, अब इन्हीं अंधेरों से मन को बहलाती हैं। बैठ के वो आधी रात में खुले आसमां के निचे, अक्सर इन चाँद तारों को अपना दर्द सुनाती हैं। कोई सुनने वाला नहीं उसको, इसलिए घंटों वो खुद से ही बतियाती हैं। कभी वो खामोश हो जाती हैं, कभी रोती हैं, तो कभी मुस्कुराती हैं। कभी खिलखिलाकर हंसती हैं, कभी टूट कर बिखर जाती हैं। जब दर्द हदें पार कर जाते है, आँखें अपने आप भर आती हैं। अकेले में वो चीखती हैं, जी भर के, बीते लम्हों की याद उसे सताती हैं। अपनों की फ़िक्र में, वो झूठी मुस्कान के पीछे अपना दर्द छुपाती हैं। अकेले रहना उसे पसंद है, दुनिया की भीड़ से खुद को अक्सर बचाती हैं। मालूम है कि कुछ ठीक नहीं होगा, फिर भी पगली झूठी उम्मीदों में खुद को बहकाती हैं। Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️
लबों पे न आ सके हक़ीक़त-ए-दिल की सदा, राज़-ए-दिल को हँसी में छुपाना पड़ता है। हर ज़ख़्म का मआलम कहाँ बयाँ हो सके, कभी ख़ुद को ही आईना दिखाना पड़ता है।. Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️
भरे रेगिस्तान में अपनी आँखों से पानी बरसते देखा, हाँ मैंने खुद को आईने में रोते हुए देखा। सूखे ख्वाबों की धरती पर, खुद को धूल में मिलते देखा, हर दर्द की लहर में, मैंने अपना अक्स खोते देखा। Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️
"ज़िंदगी के बेज़ुबान अध्याय" कभी ग्रंथ सी ज़िंदगी हुआ करती थी, हर पन्ने पर कोई मुस्कुराहट लिखी थी, मालूम न था कि आने वाले अध्याय इतने कठिन, इतने बेज़ुबान होंगे, जिनका कोई हल हमारे पास नहीं होगा। चहकती, मुस्कुराती ज़िंदगी में, एक दिन कहीं से आंधी आती है — और सारे रंग, सारी खुशियाँ, जीने की चाह, और कुछ हसीन ख़्वाब सब अपने साथ उड़ा ले जाती है। पीछे छोड़ जाती है तो बस — आँसू, दर्द, और पतझड़-सी वीरान ज़िंदगी, जहाँ कभी बहारें थीं, अब सन्नाटा है, जहाँ हँसी गूंजती थी, अब आहट भी नहीं आती। पर दिल है कि अब भी उम्मीद से जिंदा है, हर टूटन के बाद भी, जीने की वजह ढूँढता है, कभी किसी किरण में, कभी किसी याद में, वो ज़िंदगी को फिर से जी उठने की दुआ माँगता है। शायद यही ज़िंदगी का सच है — हर दर्द, एक नई समझ छोड़ जाता है, हर गिरना, एक नई राह दिखा जाता है, और जब सब कुछ खो देने का एहसास होता है, तभी इंसान खुद को पाना शुरू करता है। अब समझ आया है कि... ज़िंदगी हल की नहीं, एहसास की किताब है, जिसे समझने के लिए जवाब नहीं, बस एक सच्चा दिल चाहिए। ❤️ Kirti Kashyap "एक शायरा"✍️
"तेरे साए में" चल अंधेरे, आज तुझसे गुफ़्तगू करते हैं, रात की ख़ामोशी में कुछ रूह की बात करते हैं। कई चेहरों से उजाले में मिली थकान है, तेरी चादर तले ज़रा आराम करते हैं। कुछ दिन व्यस्त रही, तुझसे मुलाक़ात ना हो सकी, ज़िंदगी के सिलसिलों में कुछ यूँ उलझी रही, सोचा तू कहीं ख़फ़ा तो नहीं मुझसे, फ़िक्र मत कर, तेरा दामन मैं छोड़ने वाली नहीं, तेरे पहलू में ही तो दिल को ठहराव मिलता है। उजालों ने बहुत रौनक़ दी, मगर चैन नहीं, तेरे साए में हर दर्द भी मुस्कुराता है। चल, आज फिर तेरे पहलू में बैठ लूँ, तेरे आँचल में ही तो रूह को सुकून मिलता है। Kirti Kashyap"एक श्यारा"✍️
"चश्म-ए-तर" तेरी सोहबत के अशफाक़ से संवर जाउंगी मैं, कसम से और भी ज्यादा निखर जाउंगी मैं। कुछ ऐसे घुल जाउंगी तुझमें खुशबु बनकर, फिर धीरे-धीरे तेरे दिल में उतर जाउंगी मैं। बख़्त होगा अगर मिली पनाह तेरी आगोश में, तेरे दिल से निकलकर किधर जाउंगी मैं। जो छोड़ा हाथ तुमने तो बिखर जाउंगी मैं, तुम्हारी क़सम फिर जीते-जी मर जाउंगी मैं। ये हवा, चाँद, तारे सब गवाह है "कीर्ति" की वफ़ा के, फिर भी ठुकराया तो चश्म-ए-तर जाउंगी मैं। Kirti Kashyap"एक शायरा ✍️ सोहबत = मित्रता, दोस्ती, साथ अशफ़ाक़ = नर्मी और प्रेम का व्यहार, एहसान बख़्त = किस्मत, सौभाग्य आगोश = आलिंगन चश्म-ए-तर = आँसुओ से भरी आँखें
लहज़े का हुनर विरासत नहीं होता, ये तो दिल की रियाज़त से निखरता है। जिसे एहसास की ज़ुबाँ हासिल हो, वो ख़ामोशी में भी फ़साना कह जाता है। Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️
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