"तन्हाई की तासीर"
कभी हालात, कभी तक़दीर पे रोना आया,
दिल में उठी टीस, जब एक तस्वीर पे रोना आया।
ख़ामोशी के पर्दों में बहुत दर्द छुपाया मैंने,
आज अपनी एक-एक तहरीर पे रोना आया।
चेहरे पे ओढ़ लिया मुस्कानों का नक़ाब,
अपने शिकस्त दिल के फिर ज़मीर पे रोना आया।
ताउम्र नाज़ किया अपनी अख़लाक़-ओ-शराफ़त पे,
मगर अब मासूम दिल के बे-तक़सीर पे रोना आया।
कुछ दबी ख़्वाहिशों ने जब सांस लेने की सोची,
फिर बिगड़ी तक़दीर बनाने की तदबीर पे रोना आया।
रात भर चाँद ने समझाया बहुत इस दिल को मगर,
अपनी तन्हाई की सोहबत की तासीर पे रोना आया।
Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️
तहरीर = लिखी हुई बात, लेखन
शिकस्त = टूटा हुआ,, हार खाया
ज़मीर = अंतरात्मा
अख़लाक़ = अच्छा बर्ताव
बे-तक़सीर = बे-क़सूर, बिना गलती
तदबीर = कोशिश, उपाय
सोहबत = साथ
तासीर = असर