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नारी: सृजन और स्नेह की मूर्ति तू सृजन की भूमि पावन, तू प्रेम की गहरी नदी, तेरी कोमलता में छुपी है, जग को रचने की विधि। तेरे आँचल की छाँव में, जीवन मुस्काता पल-पल, तेरी गहराई में बसता, सृष्टि का मधुर संबल। तेरे उर में स्पंदन जागे, ममता की मीठी गूँज, जहाँ से बहती अमृत-धारा, हर संतति को दे अनूभूति। तेरी काया का हर अंश, प्रेम और शक्ति का रूप, जहाँ सृजन का गीत गूँजता, वहाँ खिलता जीवन का रूप। तेरा सम्मान, तेरी गरिमा, इस जग का सबसे बड़ा गहना, नारी! तू ही इस धरती पर, सृजन की पहली रचना।
तेरी कोमल रूह का एहसास तेरी कोमलता की खुशबू में, छुपा है स्नेह का एहसास, जैसे कोई मधुबन खिला हो, हर साँस में बस मिठास। संकोच में भी एक भाषा है, जो कहती है अनकही बातें, स्पर्श की वो पहली धड़कन, जाग उठती हैं सब सौगातें। तेरा रूप, तेरा एहसास, जैसे चंद्रमा की ठंडी किरण, नरमी में भी छिपा समर्पण, जैसे बहारों की पहली तपन। ये इश्क़ है, ये इबादत है, ये पवित्रता का है स्पर्श, हर भाव में है एक दुनिया, जो खुद में समेटे है एक अर्श।
तेरे होंठों पे खामोशी की बात तेरे होंठों पे चुप की बातें, पर आँखों में चाहत की बरसात, एक लम्हा ठहर सा जाता है, जब मिलती है मुझसे तेरी मुलाकात। सर्द हवा का झोंका आया, तेरे होंठ मेरे पास ले आया, एक नरमी, एक सिहरन, जैसे कोई ख्वाब सच्चा हो गया। तेरी साँसों की गर्माहट में, मैं खुद को खोने लगा, तेरे लबों की मिठास में, इश्क़ मेरा सोने लगा। कोई शिकवा, कोई वादा नहीं, बस महसूस कर लो प्यार मेरा, तेरे होंठों पे जो नाम है मेरा, उसे कभी मिटाना नहीं।
खिली कली और तेरा स्पर्श खिलती कली थी, नाज़ुक सी, हसीं, ओस की बूँदों में भीगी हुई कहीं। हवा के झोंके संग लहराई, तेरे आने की आहट जब आई। सूरज की किरणें छूने लगीं, पर तेरे स्पर्श से ही महक उठीं। हौले से तेरा हाथ जो आया, उसकी पंखुड़ियों ने श्रृंगार पाया। तेरी उँगलियों की नरमाई में, थोड़ी लजीली, थोड़ी सहमी, जैसे पहली बार इश्क़ हुआ हो, और दुनिया थम गई हो कहीं। तेरी गर्म साँसों की सरगम में, वो मदहोश सी झूम गई, तेरी बाहों की छाँव पाकर, अपने हर एहसास को बुन गई। अब हर सुबह तेरा इंतज़ार करे, ओस की बूँदों में तेरा प्यार भरे, तेरे बिना अधूरी सी लगे, खिली कली भी सूनी लगे।
तुम्हारी बाहों में... चाँदनी रात में हल्की सी बूँदें, ठंडी हवा में घुलती खुशबू तेरी, तेरी आँखों का जादू ऐसा, जैसे कोई मीठी अधूरी कहानी मेरी। तेरी उंगलियाँ जब छू जाएं चेहरे को, सांसें धीमी-धीमी सुलगने लगें, दिल की धड़कनें तेरी धड़कनों संग, धीरे-धीरे कहीं बहने लगें। तेरी बाहों में खो जाने का मन, हर लम्हा तुझे महसूस करने का मन, तेरे लबों की नरमाई में, अपनी हर सांस समेटने का मन। तू पास हो तो हर मौसम सुहाना, तेरे बिना ये दुनिया वीरान लगे, तेरी गोदी में सिर रखकर सो जाऊं, तो नींद भी जन्नत समान लगे। तेरी हँसी से खिलती सुबह मेरी, तेरे बिना सब अधूरा लगे, तू पास रहे तो बहारें बहकें, तेरे बिना मन मेरा सूना लगे। बस यूं ही लिपटी रहूं तुझसे, वक़्त भी ठहर जाए, तेरे इश्क़ में रंग जाऊं ऐसे, जैसे कोई बारिश में भीग जाए।
जिस भूमि के कण- कण में सदा देवता बसते हैं जहाँ जन जन के मन में सुमन प्रेम के खिलते हैं जिसका रूपलावण्य देख झूम जाता है तन- मन उस पुण्य भूमि को देव भूमि उत्तराखंड कहते हैं जहाँ बद्रीनाथ में श्री नारायण के दर्शन मिलते हैं केदारनाथ धाम में श्रीशिवशंकर तपस्या करते हैं जिस जगह गोमुख से अवतरित होती है माँ गंगा उस पुण्य भूमि को देव भूमि उत्तराखंड कहते हैं जहाँ भारत माँ के प्रहरी शिखर हिमालय रहते हैं कस्तूरी के संग राज्य पशु कस्तूरी मृग विचरते हैं राज्य पुष्प ब्रह्मकमल खिला शोभित होती है जो उस पुण्य भूमि को देव भूमि उत्तराखंड कहते हैं जहाँ पर राज्य-पक्षी मोनाल सुसज्जित रहते हैं राज्य बृक्ष बुराँस के रक्तपुष्प मनमोहक लगते हैं जहाँ के राज्य फल काफल हैं औषधि से पूरित उस पुण्य भूमि को देव भूमि उत्तराखंड कहते हैं जहाँ हरि तक जाने के द्वार हरिद्वार में मिलते हैं माँ गङ्गा के पावन जल से पाप सभी के धुलते हैं जिसके पावन आँचल में शांति मिलती है मन को उस पुण्य भूमि को देव भूमि उत्तराखंड कहते हरे पेड़ पौधे प्रकृति में सदैव मनमोहक लगते हैं रंग -बिरंगे फूलों से घर घर में गुलशन खिलते हैं जहाँ सौहार्द भाईचारा की भावना रहती है सबमें उस पुण्य भूमि को देव भूमि उत्तराखंड कहते हैं जिस देवभूमि में जीवन के सब अरमान संवरते हैं जहाँ कण -कण के भीतर देव- दर्शन हम करते हैं आओ नौ नवम्बर स्थापना दिवस शुभ अवसर पर देवभूमि उत्तराखंड को करबद्ध नमन हम करते हैं देव भूमि उत्तराखंड को.....
#नमामि_दुर्गे निज स्वभाववश जननी दयादृष्टि कीजै। करुणा कर करुणामयी चरण शरण दीजै।। #जय_माता_दी
#Love
आज दिल ♥️बहुत उदास है😔😔 कुछ भी पोस्ट करने का मन नहीं कर रहा🙄🙄 फिर भी पेश हैं दो✌️ लाइनें ✌️✌️ 🙄🤣😛 ____ __________ एक छोटी ✌️और एक बड़ी 🤓😃🤣🤣😂
💕तलब उठती है ,#बार #बार तुमसे #बात करने की...💕 💕धीरे #धीरे ना जाने , कब, तुम कब #मेरी #लत बन गए...💕
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