तेरी कोमल रूह का एहसास
तेरी कोमलता की खुशबू में,
छुपा है स्नेह का एहसास,
जैसे कोई मधुबन खिला हो,
हर साँस में बस मिठास।
संकोच में भी एक भाषा है,
जो कहती है अनकही बातें,
स्पर्श की वो पहली धड़कन,
जाग उठती हैं सब सौगातें।
तेरा रूप, तेरा एहसास,
जैसे चंद्रमा की ठंडी किरण,
नरमी में भी छिपा समर्पण,
जैसे बहारों की पहली तपन।
ये इश्क़ है, ये इबादत है,
ये पवित्रता का है स्पर्श,
हर भाव में है एक दुनिया,
जो खुद में समेटे है एक अर्श।