नज़्म:
#वह इक सवाल...
वह इक सवाल जो तूने किया था,
मैं उसी का जवाब ढूँढ रहा हूँ,
कभी सर्द रातों में, कभी घनघोर बारिशों में,
कभी भूख प्यास में, कभी तन्हा तेरी याद में,
कई सदियां गुज़ार दीं, यूँ तेरे इंतज़ार में,
मैं आकर वहीँ रुक गया, जहाँ था तेरे ख़याल में,
फिर वापस वहीँ उलझ गया, तेरे सवाल के जवाब में....
सच में जो इक सवाल तूने किया था,
मैं अभी भी उसी का जवाब ढूँढ रहा हूँ...
लेखक - हैदर अली ख़ान
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