सरदार भगत सिंह


     "बीसवीं सदी का शुरुआती दौर भारत पूरी तरह से गुलामी की जंजीरों में बंधा हुआ था, जहाँ एक तरफ नियामिकी शाशन के माध्यम से सामान्य मानवीय के हितों को अनदेखा कर साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा की व्यापक मानसिकता वाले विचारो के साथ भारतीय समाज को कुचलने की कोशिश की जा रही थी, वहीँ दूसरी तरफ देश के अंदर राष्ट्रवाद की भावना शैशवावस्था से प्रौढ़ावस्था की तरफ अग्रसित हो रही थी। 

         " सितंबर 1907 ईसवी में पंजाब के लायलपुर जिले में देश के महान क्रांतिकारी सरदार भगत सिंह का जन्म हुआ जो भारत ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व के आदर्श सिद्ध हुए"  13अप्रैल 1919 ईसवी में जलियांवाला बाग हत्याकांड से पूरा देश शोक में डूब चुका था उस वक्त भगत सिंह मात्र 12 वर्ष के थे यह खबर सुनकर उनसे रहा नहीं गया और मिलो पैदल चलकर जलियावाला बाग़ पहुंचे, जलियावाला बाग़ हत्याकांड भगतसिंह की सोच पर गहरा प्रभाव डाला, जिसके कारण लाहौर में नेशनल कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर भगतसिंह ने नौजवान सभा की स्थापना की। 

        भगतसिंह अपने चाचाओं की किताबें पढ़कर सोचते थे कि इनका रास्ता  सही है कि नहीं, गाँधीजी का असहयोग आंदोलन छिड़ने के पश्चात गांधीजी के अहिंसात्मक तरीको औऱ क्रांतिकारियो के हिंसक आंदोलनों में से अपने लिये रास्ता चुनने लगे,  गांधीजी द्वारा असहयोग आंदोलन रद्द करने के पश्चात गांधीजी के प्रति थोड़ा रोष जरूर उत्पन्न हुआ परंतु पूरे राष्ट्र की तरह वे भी  गांधीजी का सम्मान करते थे और उन्होंने स्वतंत्रता के लिये हिंसात्मक क्रांति का मार्ग चुना।

           काकोरी काण्ड में रामप्रसाद बिस्मिल सहित 4 क्रांतिकारियो को फांसी की सज़ा व 16 अन्य की कारावास की सजाओ से भगतसिंह इतने उद्विग्न हुये कि पंडित चंद्रशेखर आज़ाद के साथ उनकी पार्टी रिपब्लिकन एशोसिएशन से जुड़ गये और उसे एक नया नाम दिया हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एशोसिएशन  जिसका उद्देश्य - सेवा, त्याग, और पीड़ा झेल सकने वाले नौयुवको को तैयार करना था।

         1928 ईसवी में साइमन कमीशन के बहिष्कार के लिए भयानक प्रदर्शन हुये और इस प्रदर्शन में भाग लेने वलो पर अंग्रेजी शाशन द्वारा लाठी चार्ज कर दिया गया जिससे आहत होकर लालालाजपत-राय की मृत्यु हो गईं, यह घटना सरदार भगतसिंह के लिए किसी भी कीमत पर बर्दास्त योग्य नही था और उन्होंने एक गुप्त योजना के तहत पुलिस सुपरिंटेंडेंट स्कॉट को मरने की योजना सोची। 17 दिसंबर1928 को करीब सवा चार बजे पूर्व योजना के तहत ए. एस. पी. सांडर्स के आटे हि राजगुरू  ने पहली गोली सीधी उसके सर पर चलाई तत्पश्चात भगत सिंह ने 3-4  गोली दाग कर उसको मौत के घाट उतार दिये इस तरह से इन लोगो ने लालालजपत रॉय के मौत का बदला लिया।

  to be continue....
#બરાબર #શહીદદિવસ

Gujarati Motivational by દિવ્યેશ ચોચા : 111371878

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now