आंँखों में आशा की किरण, दिल में पीयूष प्रवाह रखी
मन में स्वाति बूंद की चाह रखी
हूँ मैं जंगली या असली, सोचता नहीं
आता है विश्वास, दीप तुम दीप्तिमान रहना..
अचल दीपक समान रहना!
रास्ते आवाज देते हैं, जीवन सफ़र जारी रखना रखना।
(जगदीप, किरण, स्वाति और पीयूष)
जगदीप सिंह मान 'दीप'
#जंगली