हमारे विचार स्वतंत्र होने चाहिये
स्वच्छंद नहीं
हमारा पहनावा सभ्य होना चाहिये
असभ्य नहीं
हमारी भाषा सरल होनी चाहिये
अस्पष्ट नहीं
हमारा व्यक्तित्व गरिमामय होना चाहिये
कुंठित नहीं
हमारा चरित्र आदर्शानुरूप होना चाहिये
दोषयुक्त नहीं
हमारी आत्मा गौरवान्वित होनी चाहिये
घृणित नहीं
हमें मानवता का सही ज्ञान होना चाहिये
अन्यथा हम मानव नहीं
अनिता पाठक