लकीरें हाथों की मिटाओगे कितना
एक एक कर इन नसमझों को
समझाओगे कितना
जब जब बुरा वक़्त आया
खुद से झेला है न
खुद को कमज़ोर और बनाओगे कितना
ख़ामोश कर दो जुबान सब की
वक़्त को आजमाया है, और आजमाओगे कितना
खुद को साबित करने का यही तो पल है
खुद को इस हालत तक समझाओगे कितना।
#ArjunaBunty