सूरत देख लो बेशक
सीरत पहचान नहीं सकते
चंद दिनों की दोस्ती में
मुझे तुम जान नहीं सकते

Hindi Shayri by Nirali Kamboya : 111522974
Nirali Kamboya 4 years ago

Ji sirji bilkul sahi kaha aapne

shekhar kharadi Idriya 4 years ago

बिलकुल सही... क्योंकि वक्त को वक्त देना पड़ता है , किसिके चेहरे देखने से ज्यादा हृदय कि निस्वार्थ सुंदरता दिखनी पड़ती है, सही, गलत का फर्क हमें ही दिखना पड़ता है, क्योंकि इस भीड में सच्चे रिश्तें को तलाशना मानों सुई में धागा पिरोना जैसा है, कदाचित.. कोई अच्छा मिल जाए यथार्थ प्रेम का स्वरूप बनकर किंतु.. उसकीं कदर भी करनी चाहिए क्योंकि कभी कभी परखना भी भावनात्मक से नहीं मस्तिष्क से निर्णय लेकर करना चाहिए ।। धन्यवाद

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