#त्याग
चन्द्रमा के काले रजकणों को, दाग कहते हैं,
संगीतज्ञ, संगीत के सात स्वरों को, राग कहते हैं।
मेरे दोस्त! परिस्थिति वश कुछ छोड़ना, छोड़ना नहीं होता,
क्योंकि, जो दिल से छोड़ा जाए, उसे ही त्याग कहते हैं।।
दर्पण में जैसे कोई, दिखावा नहीं होता,
प्यार हो तो उसमें कोई, जतावा नहीं होता।
और यदि किसी चीज को एक बार छोड़ दिया जाए,
तो बाद में उसे छोड़ने का कोई पछतावा नहीं होता।
बिना आंच के कभी लोहा, गल नहीं सकता,
तेल के बिना कभी दीपक, जल नहीं सकता।
और यदि किसी को दिखाने के लिए किया हो त्याग,
तो वो त्याग जीवन में कभी, फल नहीं सकता।।
अमृत हमेशा, अमरता पाने के लिए पिया जाता है,
और प्रयास, सफलता पाने के लिए किया जाता है।
लेकिन मेरे भाई! त्याग, कभी कुछ पाने के लिए नहीं,
बल्कि त्याग, परिग्रह घटाने के लिए किया जाता है।।
जिससे किसी युगल की शोभा हो, उसे सुहाग कहते हैं, सभी घरों को जो प्रकाशित करे, उसे चिराग कहते हैं।
और जो अगले जनम का तो पुण्य बांधता ही है। लेकिन,
जो इस जनम में दिल को सुकून दे, उसे त्याग कहते हैं।।