की सूरज की तपिश जलाती भी है
और किरने सहना भी सिखाती है
की मोम से मन को पत्थर सा बन
ज़मी पर ठहरना के काबिल भी बनती है
#Shweta

Hindi Shayri by Shweta Singh : 111665528

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