पढ़ा था एक बार कहीं कि,,
जाने क्यूँ???
जाने अनजाने हम एक ऐसे रिश्ते की डोर से बँध जाते हैं कि,,,,,,
टूट ना जाए कहीं इसलिए दूर जा नहीं पाते,,,,
और फँस ना जाए उलझकर इसमें कहीं
सोचकर ये पास
आ नहीं पाते!!!
""जाने क्यूँ???""
(अज्ञात)
-Khushboo bhardwaj "ranu"