🤗 दास्तां ए सैनिक 🤗

आपको सुनाता हूं मैं एक फौजी की व्यथा
जब छुट्टी मांगो तब होती है ऐसी कथा
सर छुट्टी जाना है छ महीने बीत गए दिन
अरे कुछ दिन रुको यह काम नहीं होगा तुम बिन
छुट्टी जाने की हर योजना हो जाती है नाकाम
क्या करोगे जाकर जब कुछ नहीं है काम
अपने मन से जा सको घर इतनी भी नहीं आजादी
क्यों परेशान होते हो अभी नहीं हुई है शादी
कभी कभी तो गाड़ी में बैठाकर उतार लेते हैं
पता नहीं किस चीज की इतनी सजा देते हैं।
कोई नही जा पाता है घर अपने मर्जी से
कोई ऐसा है नहीं जो भेज सके हमदर्दी से
मुंह लटकाए आते है जब हो जाती छुट्टी कैंसिल
फिर तो फीकी लगती है हर सजी सजाई महफिल
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जय हिन्द 🇮🇳⚔️
vp àrmy ⚔️🇮🇳

Hindi Poem by Vipin Prajapati ‍️‍️‍️‍️‍️‍ : 111722493

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