कौन हैं यहां जो, तुझको उठा रहे हैं-
-स्वयं को गिराकर,तुझको हंसा रहे हैं - कौन है.....

मां-बाप, अंकल-आंटियां,
-मतलब कि हैं सब टाटियां-
दिन-रात ऋण का बोझ ये,
-तुझ पर चढ़ा रहे हैं - कौन हैं.....

भाई-बहन-भाभी सभी,
-तु रिश्तों में जिनको छांटिया-
दुख-दर्द न कभी बांटिया,
-पीड़ा बढ़ा रहे हैं - कौन हैं.....

_टाटियां- ओट

#मैं_और_मेरी_तन्हाई
#दर्पण
#दर्दछलकजाताहै
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#योरकोटकविता
#सनातनी_जितेंद्र मन

Hindi Poem by सनातनी_जितेंद्र मन : 111750294

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