तरस आता है......
जो चिंता में हैं डूबे।
नफरती इस शहर के.....
अरे! ओ बदनाम से सूबे।
जिद्द छोड़ ए-जिंदगी,चल कहीं कुछ काम कर लें...
जो गुज़रीं सो गुज़री,बचीं वो हर शाम अपने नाम कर ले।
#जिंदगी_एक_फ़लसफा
#रोकनानहीं
#जिंदगी_है_कैसी_ये_पहेली
#जीने_की_तमन्ना
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

Hindi Shayri by सनातनी_जितेंद्र मन : 111786112

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now