दिव्यांग हो नहीं कर सकती दुनिया ने बताया ।
शेरनी है तू किसी से न डर भाई ने सिखाया ।
दुनिया वालों ने तो हर पल हदों को दिखाया ।
पर सपनों के पंख लगा उड़ना भाई ने सिखाया ।
चूल्हा चौका सिखाओ इसे दुनिया ने कहलाया ।
हाथों के तीन हुनर से भाई ने मिलाया ।
पहले बल्लेबाजी से फिर कलम से उनने रूबरू कराया।
फिर हाथ में थमा बंदूक मेरे पांवों को बादल पर पहुंचाया ।
वादा है आपसे अब दुनिया को दम दिखाऊंगी।
शेरनी हूँ आपकी परिवार का गर्व बन जाउंगी ।
सृष्टि तिवाड़ी
-srishti tiwari