Hindi Quote in Poem by Dakshal Kumar Vyas

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जीवन सत्य

खुल पड़े पन्ने सारे
क्या छोड़ा क्या लिए चल रहा हूं
इस अभिमान भरी दुनिया में
आकांक्षाए पूरी करने के चक्कर में
कुछ बनने के अरमान में
कुछ करना भूल गया हूं
सत्य की राह पकड़े राखी हैं
समाज को बांधे रखा है
स्वयं भोग में
देश को परे रख दिया हैं
योगी से भोगी की दिशा में अंधेरा दिखा
उत्तर की पहाड़ियों से किरणें दिखी हैं
छोड़ दिया है जो ले चला था
सपने पूरे करने का सपना टूट गया
कुछ बनने की ज़िद त्याग दी हैं
करने का निर्णय ले लिया
देश हित में समर्पण किया

रचयता दक्षल कुमार व्यास

Hindi Poem by Dakshal Kumar Vyas : 111803550
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