इस रात के रूप अनेक ...........

किसी के लिए पूर्णिमा की - सी उजियारी रात ,
किसी के लिए अमावस की - सी काली रात ।
लंबी हो जाती रात जब हो किसी का इंतज़ार ,
छोटी पड़ जाती ये रात जब करना हो इकरार ।
नागिन - सी डसने लगती विरह में कभी ये रात ,
कभी वादों की गवाह बन जाती ये चाँदनी रात ।
कभी नयनों में निंदिया है पर सोने नहीं देती ये रात ,
कभी निंदिया में मीठे - से ख़्वाब दिखाती है ये रात ।

Hindi Blog by उषा जरवाल : 111807657

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