#hindi urdu poetry

कश्ती-ए-उम्र-ए-रवाँ मे बहुत दूर चले आए हम
उस शफ़क़ को पाने की कशिश में,
वो सुहानी शाम ,कहीं छोड़ आए हम!
वो सुकून के पल ,कहीं छोड़ आए हम....

अपनी जिद पूरी करने की कोशिश में,
जद्दोजहद कर ! हवा में जो धूल उड़ाई हमने,
वो अब याद-ए-दोस्त की रह गई
इस धूल में कहीं दोस्ती गवायी हमने.....

मोहरों से इल्फ़ थी कुछ ऐसी,
कि सिक्कों कि खनक बस सुन पाए हम
वो मोहब्बत आवाज देती रही हम को ,
लेकिन शोहरत कमाने से फुर्सत ना मिली हमको

जिंदगी की कश्ती में
अब समेट लिया है सब कुछ,
लेकिन सुकून की रुत नहीं है इस रूख
चलो आओ दूर चले
जहाँ मिले जो कहीं बुल आए हैं
हम कहीं उम्र की धुन में
Deepti

Hindi Poem by Deepti Khanna : 111809651

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