ग़म को तो छुपा लीया मुस्कुराहट के पीछे ,
पर इस आँखो की नमी को छुपाऊ कैसे ?
ज़ख्म जो तूने दिया ,
नासूर उसको बना दिया ,
तेरा तोहफ़ा समझ कर ,
तो शिक़ायत तुझसे करूँ कैसे ?

-Piyusha

Hindi Shayri by Piyusha : 111810773

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