तेरी आदत लगने से पहले, सब सही था ।
आज तेरे बिना ना मर पाता हूं ना जी पाता हूं ।
वैसे तो आदत ना थी दिल लगाने की
एक गलती क्या की जमीन ने भी नहीं संभाला।
तेरी आदत लगने से पहले सब सही था।
क्या कसूर था मेरी सच्ची मोह्बत का।
मासूम, निस्वार्थ और कपट रहित था।
आग दोनों तरफ थी ।
तुम कोयला और हम राख क्यू ।
तेरी आदत लगने से पहले सब सही था।
आज भी लोग मुझे गलत और तेरी मोहब्बत सच्ची मानते है।
उनको कौन समझाए।
तेरी आदत लगने से पहले सब सही था।
गलती हमारी है । हमेही मोहब्बत का बुखार लगा था।
आज इस तरह टूटे है ना कोई जान है ना पहचान।
तभी तो तेरी आदत लगने से पहले सब सही था।
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