कसूर इस दिल का नही मौसम का है
वक़्त बेवक़्त बदलता जो रहता है,
तुम मुरझाया मत करो कुछ कलियों की ख्वाहिश होती है तुम्हे देखने की,
आज कुछ इस तरह बरस पड़ा है ये नीला आकाश जैसे मिल गये हम और आप,
बस ये ख्वाहिश हो दिल की आप यु हि देखते रहो हम ऐसेही आह्व भरते रहे,
ये भरी महफ़िल मे अकेलापन बिताने को दिल करता है
तेरा यु चुपके से देखना दूरिया मिटाने को दिल करता है,
असल मे कसूर इस दिल का नही मौसम का है वक़्त बेवक़्त बदलता जो रहता और......



Piya

Hindi Blog by Piya : 111813859

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now