मान्यताओं के अनुसार, आप सभी तिथियों के श्राद्ध का पुण्य सिर्फ इस एक तिथि पर श्राद्ध के माध्यम से पा सकते हैं, इसलिए आश्विन अमावस्या पितरों के तर्पण की अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण तिथि कहलाती है।
आज हम इस तिथि के महत्व और इससे जुड़ी हुई महत्वपूर्ण बातों के बारे में विस्तार से बताएंगे, इसलिए लेख को अंत तक ज़रूर पढ़ें। और इस लेख को दूसरों को सुनाएं, सांझा करें, वितरित करें, शेयर करें ब्रह्मदत्त त्यागी
आश्विन अमावस्या की तिथि
इस वर्ष आश्विन अमावस्या 25 सितम्बर, यानिकि आज रविवार को मनाई जा रही है।
यूं तो आश्विन अमावस्या का
आरंभ: 24 सितम्बर को मध्यरात्रि 03:12 बजे से शुरू हो चुका है..... और इसका,समापन: 25 सितम्बर, रविवार यानिकि आज मध्यरात्रि 03:23 बजे तक होगा।
सोलह श्राद्ध के समापन के रूप में मनाई जाने वाली, आश्विन अमावस्या के दिन उन पितरों का तर्पण किया जाता है, जिनकी मृत्यु अमावस्या या पूर्णिमा तिथि पर हुई थी। यदि आपको किसी पितृ के मृत्यु की तिथि के बारे में कोई जानकारी नहीं है, तो आप इस दिन एकत्रित रूप से अपने कुटुंब के सभी पितरों का श्राद्ध कर्म कर सकते हैं।
आश्विन अमावस्या की तिथि में रौहिण, कुतुप और अपराह्न काल को पूजा और तर्पण विधि के लिए सबसे उचित माना जाता है। अपराह्न काल के समाप्त होने तक आपको श्राद्ध-तर्पण की हर विधि को पूरा कर लेना चाहिए, क्योंकि इन तीनों काल में श्राद्ध करने से आपके पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और आपको अपने पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
तो चलिए अब देखें कि इस वर्ष रौहिण, कुतुप और अपराह्न काल की अवधि कब से कब तक होगी-
आश्विन अमावस्या के दिन कुतुप मूहूर्त-
आरंभ: सुबह 11:48 बजे
समापन:दोपहर 12:37 बजे
इसके बाद रौहिण मुहूर्त-
इसके बाद रौहिण मुहूर्त-
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आरंभ: दोपहर 12:37 बजे
समापन: दोपहर 01:25 बजे
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अपराह्न काल-
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आरंभ: दोपहर 01:25 बजे
समापन: दोपहर 03:50 बजे
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इस दिन किए जाने वाले अनुष्ठान-
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अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करना धार्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है, इसलिए अगर संभव हो पाए तो इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान ज़रूर करें।
इसके बाद शुद्ध वस्त्र धारण करें और सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
इस दिन गाय के गोबर से बने उपले को जलाकर उस पर लोबान और घी डालकर घर की चौखट पर रखें और इससे घर में धूप दें।
साथ ही, शाम के समय दो, पांच या सोलह दीप भी जलाकर घर की चौखट पर रखें।
श्राद्ध भोग के लिए पुड़ी-सब्जी, खीर और विभिन्न तरह के पकवान बनाकर पत्तल पर सजाएँ और पंचबलि अर्थात गाय, कुत्ता, कौआ, देव और अंत में चींटियों को अर्पित करें।
इसके अलावा इस दिन ब्राह्मण, या किसी जरूरतमंद को दान अवश्य करें।
इस तरह आश्विन अमावस्या पर विधिपूर्वक श्राद्ध और तर्पण करने से आपको पितरों का आशीर्वाद मिलता है और वे आपके घर पर आने वाली किसी भी तरह की बाधा से आपकी रक्षा करते हैं।
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तो यह थी आश्विन अमावस्या की संपूर्ण जानकारी, ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ जानना चाहता है आपको यह जानकारी कैसी लगी