मैं ढूंढता रहा तुम्हारे कदम
जो कहीं मिले नहीं,
खोजता रहा यादें
जो कभी सोयी नहीं,
देखता रहा समय
जो कभी रुका नहीं,
पूछता रहा पता
जो कहीं लिखा नहीं गया,
सोचता रहा नाम
जिसे किसी ने माना नहीं,
कहता रहा कहानी
जो कभी सुनी नहीं गयी,
गिनता रहा आँसू
जो कभी गिरे नहीं,
ढूंढता रहा तुम्हारे कदम
जो कहीं मिले नहीं।


*महेश रौतेला
२७.०९.१५

Hindi Poem by महेश रौतेला : 111834726

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