प्रथम दिवस को छोड़िए गलत ज्ञान और संग।
दूजे दिवस को कीजिए पावन अपनो अंग।
और तीसरे दिवस में ले लीजे सन्यास।
नारी की नारित्व का न करिए परिहास।
दिवस चार बीते नही मन को करो प्रसन्न।
पांच दिनों के भीतर छोड़ो तामस अन्न।
दिवस छठा संयोग है।
उसे करो उपयोग।
आसन कुश का डार के ताहि लगाओ भोग।
सात दिनों में पाओगे तुम इतना सा ज्ञान।
अठवे दिन स्वयं टूटेगा गर्व और अभिमान।
नौ दिन है नवरात है
नवम नियम अपनाए।
फिर व्रत करे या न करे
चित्त संत होय जाए।

-Anand Tripathi

Hindi Shayri by Anand Tripathi : 111834972

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