तमन्नाओं को ख्वाहिसो में बदलते देखा है।
हर वक्तको हमने छूट जाते देखा है।
कितना भी कश के पकड़े रखे लम्हों को ।
वक्त को अक्सर खो जाते देखा है।
रेत की तरह फिसलते देखा है।
पानी की तरह बहते देखा है।
और कही बार आंखो से बिछड़ते देखा है।
हम थम जाते है कहीं कुछ थामने।
पर वक्तको हम ने चलते देखा है..

-Tru...

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