वो वहीं खड़ी खड़ी रो रही थी,
ना जाने क्या मन मे सोच रही थी,
उसकी मंज़िल को वो ढूंढ रही थी,
मंज़िल सामने ही थी पर दिख नहीं रही थी,
दिख गई तो उस पर केसे चले वो सोच रही थी,
बस वो वहीं खड़ी खड़ी रो रही थी।

-Mansi

Hindi Thought by Mansi : 111845393

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