#दरिया नहीं #मैं बस इक #किनारा हूँ,
#वो कहती हैं #मैं कोई #आवारा हूँ...

#तमाशा करके #मुझे क्या #हासिल
#दुनिया से नहीं #मैं खुद से #हारा हूँ...

उसकी #नज़र में हूँ बस #ख़ाक सा
पर #माँ की #आँखों का मैं #तारा हूँ...

#अंजाम#इश्क़ जानता हूँ,
#जिंदगी की हर #बाजी मैं #हारा हूँ..!!
SKM,,,,,,

-किरन झा मिश्री

Hindi Poem by किरन झा मिश्री : 111846158

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