छोटी सी बात पे तुम रूठे
हम भी रूठ बैठे
न तुम हमें मनाने आये
न हम तुम्हें मनाने आये
फिर कौन किसे मनाये
तुम भी खामोश रहे
हम भी खामोश रहे
फिर खमोशी टूटे कैसे
गलती कुछ तुम्हारी थी
कुछ हमारी भी थी
फिर क्यों न दोनों बैठें
और शायद बातों बातों में
फिर से बात बन जाए

Hindi Poem by S Sinha : 111847745

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