“तेरी-मेरी अनकही दास्ताँ के गवाह हैं ये ज़मीं-आसमाँ”

तेरी-मेरी अनकही दास्ताँ के गवाह हैं ये ज़मीं-आसमाँ
तेरी आँखों में लिखी जो शायरी, कैसे करूँ मैं बयाँ?
तू मेरी कहानी, मैं तेरी ज़ुबाँ
तू मेरी कहानी, मैं तेरी ज़ुबाँ
तू मेरी कहानी, मैं तेरी ज़ुबाँ
तू मेरी कहानी, मैं तेरी ज़ुबाँ
तेरा-मेरा रिश्ता पुराना, जन्मों-जन्मों से आना-जाना
बन के मीत रे (मीत रे, मीत रे)
तेरा-मेरा रिश्ता पुराना, जन्मों-जन्मों से आना-जाना
बन के मीत रे
हाँ, जब ये नहीं थे चाँद-सितारे
ना थी नदियाँ, सागर किनारे
तब से अपनी प्रीत रे, तब से अपनी प्रीत रे
आसमाँ भी करता है
(करता है, करता है, करता है)
आसमाँ भी करता है अफ़साना बयाँ
तेरे-मेरे इश्क़ का, हाँ
तू मेरी कहानी, मैं तेरी ज़ुबाँ
तू मेरी कहानी, मैं तेरी ज़ुबाँ
तू मेरी कहानी, मैं तेरी ज़ुबाँ
तू मेरी कहानी, मैं तेरी ज़ुबाँ
तेरे बिना कैसा ये जीना? दिल से बँधी है डोर तेरी
साँसों में मेरी साँस रे (साँस रे)
तेरे बिना कैसा ये जीना? दिल से बँधी है डोर तेरी
साँसों में मेरी साँस रे
तुम ज़िंदगी हो, तुम बंदगी हो
दर्द भी तुम हो, तुम ही दवा हो
तुम ही दिल की प्यास रे
तुम ही दिल की प्यास रे
जो तू कहे, यारा (यारा, यारा, यारा)
जो तू कहे, यारा, ये वादा रहा
होंगे हम एक पल में फ़ना
तू मेरी कहानी, मैं तेरी ज़ुबाँ
तू मेरी कहानी, मैं तेरी ज़ुबाँ
तू मेरी कहानी, मैं तेरी ज़ुबाँ
तू मेरी कहानी, मैं तेरी ज़ुबाँ
ज़ुबाँ
मैं तेरी ज़ुबाँ

Hindi Poem by Umakant : 111848021

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