क्या कहुँ समझ नहीं आता!
समझा तो मील नहीं पाता!
मिलते है,वो पराये समजकर !
मुझे लगता,अपना समजकर!
क्या बताऊं?कितना है प्यार?
तूम तो भये परदेशी हो यार!
कीतने दूरसे आती है मिलने!
फ़िर नजदीकीमैं दूरी कैसे?
मैं तो इन्सान हूँ बताया था!
अब डरने से फायदा क्या ?
- વાત્ત્સલ્ય

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