सुनने और सुनाने को अब,
कुछ भी जीवन में बचा नहीं।
घाव अब नासूर हो गए कि,
मरहम लगाने का मजा नहीं।।

मिश्री

-किरन झा मिश्री

Hindi Shayri by किरन झा मिश्री : 111857162

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