मैने ख़्वाबों में बरसों तराशा जिसे तुम वही संग-ए-मरमर की तस्वीर हो तुम न समझो तुम्हारा मुक़द्दर हूँ मैं मैं समझता हूँ तुम मेरी तक़दीर हो तुम अगर मुझको अपना समझने लगो मैं बहारों की महफ़िल सजाता रहूँ

Hindi Blog by अब ला इलाज हो गए है देव बाबू : 111861907

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